‘चंदा मामा दूर के…’ हिंदी सिनेमा का 68 साल पुराना वो गाना, जिसने हमें हमेशा चंद्रमा के करीब रखा

‘चंद्रयान-3’ की चांद की सतह पर सफल लैंडिंग ने हिंदुस्‍तान को अंतरिक्ष और दुनिया में वो मुकाम दिया है, जिसकी आस बरसों से थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों की मेहनत के हम सभी कर्जदार हैं। यह वह सपना है, जिसे भारत की जमीं पर जन्‍मे हर इंसान ने बचपन से ही देखा है। हर मां ने अपने नौनिहाल के लिए चंदा को मामा बनाया और वही गीत गुनगुनाया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के नाम अपने संबोधन में कहा- चंदा मामा दूर के….। ‘इसरो’ प्रमुख एस सोमनाथ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री जिस गीत के बोल की बात कर रहे थे, वह 68 साल पहले 1955 में रिलीज हुई फिल्‍म ‘वचन’ से है।गाना, ‘Chanda Mama Door Ke’ कभी पॉपुलर काउंटडाउन शो ‘बिनाका गीतमाला’ के साल के सबसे ज्‍यादा पसंद किए गानों की लिस्‍ट में छठे नंबर पर था। आशा भोसले इस गीत को आवाज दी है, जबकि म्‍यूजिक डायरेक्‍टर रवि ने इसे कम्‍पोज किया। रवि ने ही इस गाने के बोल भी लिखे हैं। एक ऐसा गाना, जो बरसों से हर मां अपने जिगर के टुकड़े के गा रही है। इस गीत को सुनकर कभी बच्‍चे प्‍यार से निवाला खाते हैं, तो कभी यह उनके लिए सबसे प्‍यारी लोरी बनती आई है।यहां सुने गाना ‘चंदा मामा दूर के…’बच्‍चों की प्‍याली से महबूबा की सूरत तक सबमें समाया है ‘चांद’चांद की चमक को लेकर हमारा ये प्रेम यूं ही नहीं है। रामायण में भी जिक्र है कि राजा दशरथ अपने बेटे राम को पानी में चंद्रमा की छवि दिखाते थे। बच्‍चों की पानी भरी प्‍याली से लेकर महबूबा की सुंदरता का बखान करने तक में ‘चांद’ हमारा प्रतीक रहा है। साहित्‍य में भी हर दशक में किसी ना किसी कवि ने चंद्रमा को लेकर प्रेमभाव की रचना की है। चांद एक ऐसा रूपक है, जो बचपन से लेकर जवानी तक हम सभी ने कहीं ना कहीं इस्‍तेमाल किया है। खासकर हिंदी सिनेमा के गीतों में इसका चलन बहुत अध‍िक रहा है। आनंद बख्‍शी ने 1965 में ‘हिमालय की गोद में’ के लिए ऐसा ही एक गाना लिखा- चांद सी महबूबा हो मेरी…यहां सुने गाना, ‘चांद सी महबूबा हो मेरी…’70 साल पहले गाने में की थी चांद की सतह पर उतरने की भविष्‍यवाणीयह दिलचस्‍प है कि लगभग 70 साल पहले एक हिंदी फिल्म के गाने में चंद्रमा पर रॉकेट के उतरने की भविष्यवाणी की गई थी। यह पॉपुलर गाना है, ‘अरे भाई निकल के आ घर से’ है। साल 1956 में रिलीज फिल्‍म ‘नई दिल्ली’ के इस गाने में गीतकार शैलेन्द्र ने भविष्यवाणी करते हुए लिखा, ‘कल चांद और तारों में पंहुचेगा परमाणु घोड़ा’। हालांकि, यह भी सच है इस हसीन ख्‍वाब जैसी भविष्‍यवाणी को पूरा होने में 67 साल लग गए।हिंदुस्तान जिंदाबाद था, है और रहेगा… Chandrayaan 3 Landing पर झूमी फिल्‍मी दुनिया, सलमान बोले- भारत माता की जयChandrayaan-3: इन 6 एक्टर्स के पास है चांद का &amp#39;टुकड़ा&amp#39;, सुशांत सिंह राजपूत से शाहरुख खान तक का नाम है शामिल’ना रूस, ना जापान, ना अमेरिका प्‍यारे, ये चांद हिंदुस्‍तान का’गीताकर शैलेंद्र ने इसी तरह शक्ति सामंत की फिल्‍म ‘इंसान जाग उठा’ (1959) में भी चांद पर एक दिलचस्प गीत लिखा। एक गाने में उन्होंने लिखा, ‘ये चंदा ना रूस का, ना ये जापान का, ना ये अमेरिका प्यारे, ये तो हिंदुस्तान का’। यहां चांद कोई और नहीं, अपनी चमक से सबको मुग्‍ध कर देने वाली मधुबाला थीं।