टैगोर की 4 आने की किताब के कारण संपूर्ण कालरा बने गुलजार, मजेदार है फैन वाला किस्‍सा

नवासी साल पहले 18 अगस्त को 1934 में एक ऐसी शख्सियत ने जन्म लिया, जिसका आने वाले वक्त में हिंदी सिनेमा ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड में भी डंका बजा। इसका जन्म ब्रिटिश इंडिया के झेलम इलाके में दीना नाम के एक गांव में हुआ था, और नाम रखा गया था संपूर्ण सिंह कालरा। संपूर्ण सिंह कालरा वही हैं, जिन्हें आज पूरी दुनिया मशहूर राइटर, गीतकार और लेखक गुलजार के रूप में जानती है। गुलजार जिस जगह जन्मे, वह अब पाकिस्तान में है। दुनियाभर में लोग उनके गानों, नज्मों और लिखे गए शब्दों के फैन हैं। गुलजार के 89वें जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़े दो दिलचस्प किस्से बताने जा रहे हैं। एक किस्सा रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़ा है, और दूसरा उस जबरा फैन से, जिसने जावेद अख्तर को गुलजार समझ लिया था।गुलजार का बचपन और परिवारGulzar ने निजी जिंदगी में बहुत दुख देखा, परिवार के साथ विभाजन का दर्द भी झेला। और वही दर्द शायद उनकी लेखनी में भी दिखने लगा। गुलजार के पिता का नाम मक्खन सिंह था, और उन्होंने तीन शादियां की थीं। गुलजार, पिता की दूसरी पत्नी के बेटे थे। लेकिन उनके जन्म के वक्त मां का निधन हो गया। तब गुलजार को उनके पिता की तीसरी पत्नी यानी सौतेली मां ने पाला था।गुलजार की अनदेखी तस्वीर, फोटो: WikiBioदुकान पर काम, गोदाम में सोनागुलजार को बचपन से ही पढ़ने का बहुत शौक था। उनके पिता की दिल्ली में थैले और टोपी की दुकान थी, जिसकी देख-रेख गुलजार भी किया करते थे। इस चक्कर में वह कई बार उस दुकान के गोदाम में सो जाते थे। पर नींद कहां आती थी? लाइट होती नहीं थी, तो ऐसे में गुलजार का समय नहीं कट पाता था। गोदाम के पास ही किताबों की एक दुकान थी। गुलजार ने समय गुजारने के लिए दुकान से किताबें लेकर पढ़ना शुरू कर दिया। उन्हें पढ़ने का इतना ज्यादा चस्का लग गया कि वह एक ही दिन में पूरी किताब पढ़ लेते। लेकिन तभी गुलजार के साथ रवींद्र नाथ टैगोर की एक किताब लगी, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। दरअसल दुकान का मालिक इस बात से तंग आ गया था कि गुलजार एक ही रात में पूरी किताब पढ़कर लौटा देते हैं, और रोजाना नई किताब लेकर जाते हैं।फोटो: Mumbai MirrorGulzar Birthday: गुलजार साहब ने पिता की मौत के 5 साल बाद किया था अंतिम संस्कार, हर रात अंधेरे में बहाते थे आंसू’रवींद्रनाथ टैगोर ने मुझे चोर बना दिया।”गेटबंगाल’ से बातचीत में गुलजार ने हंसते हुए कहा था कि रवींद्रनाथ टैगोर ने मुझे चोर बना दिया। दरअसल वह चार आना में रवींद्रनाथ टैगोर की किताब ‘द गार्डनर’ पढ़ने के लिए लाए थे। दुकानदार ने हिदायत दी थी कि किताब पढ़े बिना न लौटाए। लेकिन गुलजार को वह किताब इतनी पसंद आई कि उन्होंने फिर कभी लौटाई ही नहीं। दुकानदार जब भी किताब वापस मांगता, तो गुलजार कोई न कोई बहाना कर देते।बेटी मेघना के साथ गुलजार, फोटो: Mumbai MirrorRakhee Gulzar: राखी गुलजार ने बिग बी को कहा था एवरेज एक्टर, बोलीं- अमिताभ बच्चन बहुत बुरी फिल्में लेकर आएरवींद्रनाथ टैगोर की किताब ने बदली जिंदगीऐसे में उसने गुलजार को रवींद्रनाथ टैगोर की उर्दू में लिखी किताब दे दी। गुलजार ने वह किताब पढ़ी, जिसने उनकी सोच और जिंदगी की दिशा ही बदल दी। उस किताब को पढ़कर ही गुलजार ने को लिखने का शौक लग गया, और फैसला किया कि वह राइटर बनेंगे। गुलजार गोदाम और दुकान में रहने के दौरान ही अपने ख्यालों को पन्नों पर उतारने लगे। पिता को जब पता चला, तो गुलजार को बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं माने।HBD Vidya Balan: जब गुलजार संग ऐड फिल्म करना चाहती थी विद्या बालन, बेशर्मों की तरह पूछ लिया ये सवालजब फैन ने जावेद अख्तर को समझ लिया गुलजारगुलजार की जिंदगी से जुड़े कई मजेदार किस्से हैं, जिनके बारे में जान फैंस भी उत्साहित हो जाते हैं। एक किस्सा तो वह है, जब एयरपोर्ट पर एक फैन ने जावेद अख्तर को गुलजार समझ लिया था। तब क्या कुछ हुआ था, यह जावेद अख्तर ने खुद ‘एएनआई’ को बताया था। साथ में गुलजार साहब भी थे।शबाना आजमी ने समझाया गुलजार- जावेद अख्तर के लेखन का अंतर, JLF में रखी अपनी बातकन्फ्यूज हो गया फैन और फिर…जावेद अख्तर ने बताया था, ‘मैं और शबाना कहीं से आए थे, और एयरपोर्ट पर बैठे थे। उस जमाने में जेट एयरवेज चल रही थी, तो उनकी लड़कियों ने कहा कि आप दोनों बैठिए। हम दोनों एक ही बेंच पर बैठ गए। शबाना बराबर में ही बैठी थीं। एक साहब तशरीफ लाए। उन्होंने शबाना को नहीं देखा। मेरे सामने ऐसे दो फीट पर खड़े हो गए। मुझे देखा और बोले,’आदाब गुलजार साहब। मैंने भी आदाब किया, तो वह बोला कि गुलजार साहब एयरपोर्ट पर कैसे। तो मैंने कहा कि जावेद अख्तर साहब आ रहे हैं, मैं उन्हें रिसीव करने आया हूं। तो वो बड़ा कन्फ्यूज हुआ कि इतना बड़ा आदमी जावेद अख्तर को लेने आया है?”वो फिर बोला कि आप जावेद अख्तर को रिसीव करने आए हैं? मैंने कहा कि मैं हमेशा आता हूं। जावेद अख्तर साहब कहीं से भी आएं, मैं एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने आता हूं। तो उसके चेहरे पर जो उदासी थी….वो फैन तो गुलजार साहब का, और ये जावेद अख्तर को लेने आए हैं? फिर वो बोला कि अच्छा? चलता हूं गुलजार साहब।’