मूवी रिव्‍यू: फ्राइडे नाइट प्‍लान

‘फ्राइडे नाइट प्‍लान’ की कहानीदो भाई हैं। झगड़ालू हैं। हाई-स्कूल में पढ़ते हैं। एक रात वह साल की सबसे रोमांचक पार्टी में शामिल होने का प्‍लान बनाते हैं। मां घर में नहीं है। चाहत यही है कि मां के बिजनेस ट्रिप से लौटने से पहले दोनों घर आ जाएं। लेकिन क्या सब कुछ प्‍लान के मुताबिक होगा? दिवंगत इरफान के बेटे Babil Khan की इस नई फिल्‍म Friday Night Plan की कहानी इसी जुगत के इर्द-गिर्द बुनी गई है।’फ्राइडे नाइट प्‍लान’ का ट्रेलर’फ्राइडे नाइट प्‍लान’ मूवी रिव्‍यू’फ्राइडे नाइट प्लान’, राइटर-डायरेक्‍टर वत्सल नीलकंठन की पहली फिल्म है। 1 घंटे और 49 मिनट में वह एक प्यारी कहानी लेकर आए हैं, जो दो भाइयों की कभी न भूलने वाली यात्रा बन जाती है। दोनों झगड़ालू हैं, लेकिन यह यात्रा उनके बीच प्‍यार और सौहार्द का रिश्‍ता बनाती है। यह फिल्म खुद के व्‍यक्‍त‍ित्‍व को ढूंढ़ने की भी कहानी है। वत्‍सल ने बड़ी चतुराई से कई सारे किरदारों को कहानी से जोड़ा है, हालांकि कभी-कभी यह महसूस होता है कि वह इन किरदारों का और भी बेहतर तरीके से इस्‍तेमाल कर सकते थे।कहानी में हाई स्कूल सीनियर सिद्धार्थ और उसके छोटे भाई आदि हैं। सिद्धार्थ को अक्सर ‘शिट्टी सिड’ के नाम से पुकारा जाता है। वह हाई स्कूल के नियमों को नहीं मानता। जबकि उसका भाई आदि का उत्साह उसके बिल्‍कुल उलट है। इससे पहले कि दोनों अप्रत्याशित घटनाओं के कारण एक सूत्र में बंधते हैं, हमें दोनों के बीच की भाइयों वाली प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलती है।एक फुटबॉल मैच में जीत के लिए गोल दागने वाले सिद्धार्थ की अपनी पॉपुलैरिटी है। उसे शुक्रवार की रात एक खास पार्टी का निमंत्रण मिलता है। छोटा भाई आदि भी एक्‍साइटमेंट में इस प्‍लान में शामिल हो जाता है। घर पर मां नहीं है, ऐसे में दोनों पार्टी में श‍िरकत करने के लिए अपनी सीमाएं लांघते हैं। लेकिन भाइयों का यह प्‍लान उन्‍हें तबाही की एक ऐसी रात में धकेल देता है, जहां उन्‍हें सारी बाधाओं से खुद निपटना है। इस शुक्रवार की रात की घटनाओं में आगे हंसी भी है और उत्‍साह भी। डर भी है और चिंता भी।फिल्म का मुख्‍य आकर्षण बाबिल खान और अमृत जयन हैं। दोनों ने कहानी और किरदार के मुताबिक बहुत ही अच्‍छी परफॉर्मेंस दी है। पूरी फिल्‍म इन्‍हीं दोनों के कंधों पर टिकी हुई है। दोनों के बीच की बातचीत, बहस और झड़पें आम जीवन के भाइयों की तरह असल लगती हैं। वत्‍सल नीलकंड ने बड़ी कुशलता से फिल्मको मेलोड्रामा से बचाकर रखा है। पर्दे पर जो भी होता है, वह प्रामाणिक लगता है और नए जमाने के बच्‍चों से रिलेट करने वाला है। उनकी मां के किरदार में जूही चावला भी स्‍पेशल अपीयरेंस में एक महत्‍वपूर्ण पुट लेकर आती हैं।पूरी फिल्म शुरू से अंत तक अपनी एक रफ्तार से बढ़ती जाती है। राहुल पेस और नरीमन खंबाटा का साउंडट्रैक कहानी के साथ मेल खाता है। खासकर ‘पेंडोरा का डब्बा’, ‘माज़े में’ और ‘बहाने’ जैसे गाने सुनने में अच्‍छे लगते हैं।’फ्राइडे नाइट प्लान’ पहले प्यार, दोस्ती और भाइयों के आपसी कंपीटिशन के विषयों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है। हालांकि, ऐसे भी कई सीन्‍स हैं, जहां भावनाओं पर अधिक काम किया जा सकता था। इसे और मार्मिक बनाया जा सकता था। फिल्‍म का अंत भी सरलता के साथ लिखा गया है।क्‍यों देखें- भाइयों के रिश्‍ते, हाई स्‍कूल वाली उम्र, प्‍यार, दोस्‍ती और खुद की खोज से जुड़ी एक सरल और फीलगुड फिल्‍म देखना चाहते हैं, तो ओटीटी प्‍लेटफॉर्म नेटफ्ल‍िक्‍स पर ‘फ्राइडे नाइट प्‍लान’ आपके लिए एक अच्‍छा विकल्‍प है।