‘हड्डी’ की कहानीएक क्रूर किन्नर बदले की आग में तप रही है। वह उन लोगों से बदला लेने के मिशन पर है, जिन्होंने उसकी जिंदगी तबाह की है। लेकिन इस किन्नर की खुद की जिंदगी में कई गहरे रहस्य हैं। वह एक संदिग्ध बिजनेस चलाती है, जिससे उसके इस मिशन का भी पर्दाफाश हो सकता है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी इस किन्नर महिला के लीड रोल में हैं। ‘Haddi’ की कहानी इसी प्लॉट के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन क्या वह अपने इस मिशन को पूरा कर पाएगी, बदला ले पाएगी, क्या फिर उसके गहरे राज़ उसे तबाह कर देंगे। यह जानने के लिए आपको ओटीटी प्लेटफॉर्म Zee5 पर ये फिल्म देखनी पड़ेगी।यहां देखें, ‘हड्डी’ मूवी का ट्रेलर’हड्डी’ मूवी रिव्यूक्या एक बेहतरीन एक्टर को एक डार्क कैरेक्टर में कास्ट कर लेने, उसका रूप बदल देने से कोई फिल्म अच्छी साबित हो सकती है? ‘हड्डी’ देखकर आप को भी यह यकीन हो जाएगा कि यह किसी फिल्म के सफलता की गारंटी नहीं है। ‘हड्डी’ एक ऐसी फिल्म है, जो एक परेशान करने वाले मुद्दे पर रोशनी तो डालती है, लेकिन यह अपने मुख्य किरदारों यानी हीरो और विलेन पर बहुत अधिक निर्भर है। जहां कहीं भी कहानी की गहराई में उतरने की बात आती है, यह फिल्म किनारे को छूकर ही आगे बढ़ जाती है और कमजोर पड़ जाती है।नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म में ‘हड्डी’ नाम के एक भयावह और डाराने वाले किन्नर (ट्रांसजेंडर) की भूमिका निभाई है। एक ऐसा किरदार जो अपने फायदे के लिए अंतिम संस्कार की यात्राओं से पार्थिव शरीर को लूटता है। लेकिन वह यह सब अकेले नहीं करती। एक खूंखार माफिया के साथ उसकी मिलीभगत है, जो देह व्यापार, जबरन वसूली और ऐसे कई अन्य अपराधों में शामिल है। इस गिरोह का दुष्ट बॉस है राजनेता प्रमोद अहलावत (अनुराग कश्यप) है। वो जो चाहता है, उसे पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। लेकिन उसके साथ काम कर रही ‘हड्डी’ का अंतिम लक्ष्य कुछ और है और यही इस फिल्म का सार है।IMDb पर ‘हड्डी’ के सिनॉप्सिस में लिखा है, ‘क्या यह कदम इच्छाओं से प्रेरित है या बदले की भावना से?’ खैर, समस्या बिल्कुल यही है। पूरी फिल्म एक भ्रमित करने वाली कहानी है। सबसे पहले, यह कल्पनाओं के किसी भी स्तर पर इच्छाओं से प्रेरित नहीं है। यह हर तरह से एक रिवेंज ड्रामा है, लेकिन फिल्म में पल-पल बदलाव होता है, खासकर पहले भाग में। ‘हड्डी’ के किरदार और उसके मंसूबे रहस्य पैदा करने का प्रयास करते तो हैं, पर यह दर्शकों को भ्रम में ज्यादा डालती है। जैसे-जैसे फिल्म का दूसरा भाग शुरू होता है, कहानी कुछ हद तक संभलती है और को-राइडर के साथ ही डायरेक्टर अक्षत अजय शर्मा यह जिज्ञासा जगाने में कामयाब होते हैं कि फिल्म में आगे क्या होगा। हालांकि, ऐसा लगता है कि वह खुद अपने गढ़े किरदारों में दृढ़ विश्वास नहीं रखते हैं। लिहाजा, यह दिल को छू नहीं पाती है।हड्डी और उसके प्रेमी जोगी (मोहम्मद जीशान अय्यूब) के बीच की केमिस्ट्री रंग नहीं जमा पाती है। दोनों अच्छे अभिनेता हैं, लेकिन बावजूद इसके न तो नवाज़ुद्दीन और न ही जीशान इस केमिस्ट्री में जान डाल सके हैं। हालांकि, नवाज़ुद्दीन अपने खूंखार किरदार के लिए डर, घृणा और सहानुभूति जरूर बटोरते हैं। कई जगहों पर उनका मेकओवर उनकी हरकतों से भी ज्यादा बातें करता है। अनुराग कश्यप की खलनायकी प्रभावशाली है, लेकिन हमने उन्हें पहले भी फिल्मों में ऐसा करते देखा है। ईला अरुण फिल्म में प्यारी अम्मा की भूमिका में अच्छी लगी हैं। फिल्म का डार्क टोन इसकी कहानी के साथ अच्छी तरह मेल खाता है। साउंडट्रैक में एक गाना ‘बेपर्दा’, जिसे रोहन गोखले ने कंपोज किया है, सबसे अलग है।’हड्डी’ में एक बेहतरीन और एंटरटेनिंग थ्रिलर बनने की पूरी संभावना थी। यह एक ऐसी फिल्म बन सकती थी जो भावनात्मक रूप से भी जुड़े। डायरेक्टर के मौका था कि वह फिल्म में LGBTQ समुदाय के संघर्षों को दिखा सकें, लेकिन अफसोस कि वह इनमें से किसी भी मानक को पूरा नहीं कर सके। ‘हड्डी’ को चमकाने के लिए, राइटर और डायरेक्टर को इसके जरूरी तत्वों पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत थी।क्यों देखें- नजवाजुद्दीन सिद्दीकी को पसंद करते हैं, उन्हें एक अलग अवतार में देखना चाहते हैं और ओटीटी पर कुछ और देखने के लिए नहीं है तो एक बार ‘हड्डी’ को देख ही सकते हैं।