6 फरवरी की सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर जब खबर आई कि भारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar news) नहीं रहीं तो आंखों से आंसू छलक पड़े। फिल्म इंडस्ट्री में सन्नाटा पसर गया। देशवासी एक महीने से लता मंगेशकर के ठीक होने की दुआ मांग रहे थे, लेकिन उनकी दुआ भी रंग नहीं लाईं। किसी की ‘दीदी’ चली गई तो किसी की ‘आजी’। लेकिन गुलजार का तो ‘करिश्मा’ ही चला गया। मशहूर गीतकार गुलजार (Gulzar on Lata Mangeshkar) ने लता मंगेशकर के साथ कई गानों में साथ काम किया। वह खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि लता के साथ काम करने का सौभाग्य मिला।गुलजार को शब्द ही नहीं मिल रहे कि वह लता मंगेशकर जैसे हीरे को खोने का गम कैसे बर्दाश्त करें? कैसे उसे शब्दों में बयां करें। लेकिन खुद को संभालते हुए गुलजार ने कहा कि लता मंगेशकर एक ऐसा करिश्मा थीं जिन्हें शब्दों तक न तो सीमित रखा जा सकता है और न ही शब्दों में बांधा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘वह आवाज नहीं हमारी संस्कृति थीं।’कच्ची उम्र में ही Lata Mangeshkar ने सीख लिया था हालात से लड़ना, बचपन से ही भाई-बहनों पर लुटाया जीवन1963 से लेकर 2021 तक लता और गुलजार ने संग किया कामगुलजार और लता मंगेशकर ने फिल्म ‘बंदिनी’ के गाने ‘मोरा गोरा अंग लगाए’ में साथ काम किया था। यह फिल्म गुलजार की एक गीतकार के तौर पर पहली फिल्म थी। 1963 से शुरू हुआ यह प्यारा सफर साल 2021 के सिंगल ‘ठीक नहीं लगता’ पर जाकर थमा। यह गाना 26 साल पहले एक फिल्म के लिए रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन किसी वजह से बंद कर दिया गया था।’लता जी अपने आप में करिश्मा थीं, शब्दों से परे हैं’गुलजार ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में लता मंगेशकर को दिल से याद किया और उनके साथ बीते सफर के पन्ने भी पलटे। गुलजार ने कहा, ‘ लता जी अपने आप में एक करिश्मा हैं और ये करिश्मा हमेशा नहीं होता। और आज ये करिश्मा मुकम्मल हो गया। वह चली गईं। वह एक जादुई गायिका थीं, जिनकी करिश्माई आवाज थी। उनके लिए विशेषण ढूंढना भी मुश्किल है। हम उनके बारे में कितनी भी बातें क्यों न कर लें, कम है। आप उन्हें शब्दों में नहीं बांध सकते। वह शब्दों की दुनिया से परे हैं।’अपने आखिरी पलों में वेंटिलेटर पर पिता के गाने सुन रही थीं Lata Mangeshkar, अस्पताल मंगवाया था ईयरफोनअपना आखिरी वादा पूरा नहीं कर पाईं लता मंगेशकर, डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री बोले- अब यह सपना ही रहेगादर्जनों फिल्मों में लता जी-गुलजार ने दिए हिट गाने1963 में साथ में पहला गाना करने के बाद गुलजार ने लता मंगेशकर के साथ एक के बाद एक कई फिल्मों में सुपरहिट गाने दिए। इनमें ‘खामोशी’, ‘किनारा’, ‘लेकिन’, ‘रुदाली’, ‘मासूम’, ‘लिबास’, ‘दिल से…’, ‘सत्या’ और ‘हू तू तू’ जैसी कई फिल्में शामिल हैं।’मेरी आवाज ही पहचान है’ गाने का वो किस्सागुलजार ने आगे उस गाने का किस्सा बयां किया, जिसे उन्होंने डायरेक्ट भी किया था और वह लता मंगेशकर की चिरस्थायी विरासत को पूरी तरह से परिभाषित करता है। यह गाना था फिल्म ‘किनारा’ का ‘नाम गुम जाएगा।’ इस गाने को याद करते हुए गुलजार ने कहा कि जब भी वह लता मंगेशकर के बारे में बात करते हैं तो उन्हें यह गाना एकदम सही लगता है।जब सफेद साड़ी के कारण Lata Mangeshkar का उड़ाया गया था मजाक, गुस्से में सिंगर ने लिया था ये फैसलाVideo: जब Lata Mangeshkar ने संसद में गाया ‘सारे जहां से अच्छा’, गूंज उठा था सदनगुलजार ने कहा, ‘हमने एक फिल्म के लिए गाना लिखा था। मुझे याद है कि मैंने उनसे कहा था कि जब आप ऑटोग्राफ देती हैं तो आप इसका (गाने की लाइनें) इस्तेमाल कर सकती हैं…मेरी आवाज ही पहचान है और ये है पहचान’। मेरा मतलब यह नहीं सोचना था कि यह उनकी पहचान बन जाएगी। लेकिन यह उनकी पहचान बन गई और वह भी इससे पहचानी जातीं।”खुशनसीब हूं कि लता जी के साथ काम करने का मौका मिला’गुलजार खुद को बेहद खुशनसीब मानते हैं कि उनकी मुलाकात लता मंगेशकर से हुई। वह खुद को सौभाग्यशाली समझते हैं कि लता जी के साथ काम करने का सुनहरा मौका मिला। गुलजार ने कहा, ‘मुझे याद है कि उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि ‘आज के गाने इतने अच्छे नहीं हैं’ और कहा, ‘कुछ अच्छी फिल्में बनाएं जिनमें अच्छे म्यूजिक और गानों की गुंजाइश हो।’Lata Mangeshkar Last Days: एक साल से किसी से नहीं मिल रही थीं लता मंगेशकर, कुछ ऐसे बीता आखिरी महीनाLata Mangeshkar Death Reason: कोरोना ही नहीं इस कारण जिंदगी की जंग हार गईं लता मंगेशकरलता ने प्रड्यूस की थी गुलजार की फिल्म, मिला नैशनल अवॉर्डलता मंगेशकर ने गुलजार की फिल्म ‘लेकिन’ भी प्रड्यूस की थी, जिसके लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का नैशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था। इस फिल्म में गाया गाना ‘यारा सीली सीली’ उस वक्त (1991) में काफी हिट हो गया था। गुलजार इसके लिए खुद को खुशनसीब मानते हैं। ‘लेकिन’ को गुलजार ने डायरेक्ट किया था और गानों के लिरिक्स भी लिखे थे।इस फिल्म को 5 नैशनल अवॉर्ड्स मिले थे, जिनमें म्यूजिक डायरेक्शन के लिए लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर समेत गुलजार को बेस्ट लिरिक्स के लिए नैशनल अवॉर्ड मिला था।Lata Mangeshkar Died: 25 रुपये थी लता मंगेशकर की पहली कमाई, पीछे छोड़ गईं इतनी दौलतLata Mangeshkar Died : ‘इस कमी की भरपाई सदियों तक संभव नहीं’ नीतीश-मांझी ने लता मंगेशकर के निधन पर जताया शोक’लता मंगेशकर आवाज नहीं हमारी संस्कृति थीं’गुलजार ने लता मंगेशकर के लिए आगे कहा कि वह ‘हमारी संस्कृति की आवाज’ थीं और हमेशा रहेंगी। वह हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। हमारे डेली रूटीन का हिस्सा हैं। टीवी तो बाद में आया। उस वक्त रेडियो था और सुबह उठते ही हर किसी के कानों में लता मंगेशकर की मीठी और रसीली आवाज गूंजती। उनके गाने लोहड़ी से लेकर होली, ईद और यहां तक कि शादियों में भी बजते। वह अपने जीवनकाल में हमारी संस्कृति की आवाज बनी थीं और आज भी हैं।’Lata Mangeshkar Passes Away: ‘लता दीदी’ ने मुश्किल समय में दिया साथ… याद कर भावुक हुए शाह ने कही बड़ी बात28 दिनों तक अस्पताल में लड़ी जंग, फिर चली गईंबता दें कि लता मंगेशकर बीते 28 दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। उन्हें कोरोना और निमोनिया था, जिससे उनकी सेहत बिगड़ी और वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया। हालांकि कुछ दिनों पहले लता मंगेशकर की हालत में सुधार हो रहा था, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया था। लेकिन शनिवार (5 फरवरी) को लता मंगेशकर की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया। डॉ. प्रतीत समदानी 28 दिनों से अपनी टीम के साथ लता जी का इलाज कर रहे थे। लेकिन लता जी नहीं रहीं।Lata Mangeshkar Death : पीएम मोदी ने ‘लता दीदी’ को याद करते हुए क्या कहा?डॉ. प्रतीत समदानी ने एएनआई को बताया था कि कोरोना और निमोनिया के बाद मल्टीपल ऑर्गन फेल्यिर होने से लता मंगेशकर का निधन हो गया। उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।गुलजार ने लता मंगेशकर को किया याद