विवान शाह को पापा नसीरुद्दीन शाह की बेबाक बयानबाजी पर होता है गर्व, कहा- ये बहादुरी का काम है

‘हैपी न्यू ईयर’, ‘सात खून माफ’ और ‘कबाड़’ जैसी कई फिल्में कर चुके विवान शाह, नसीरुद्दीन शाह और रत्ना शाह के बेटे भले ही हैं, लेकिन वो खुद एक राइटर और थिएटर आर्टिस्ट हैं। इन दिनों वे चर्चा में हैं, अपनी नई फिल्म ‘कोट’ को लेकर। इस खास मुलाकात में उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर बात की है। उन्होंने ये भी कहा कि पिता नसीरुद्दीन शाह की बेबाक बयानबाजी पर उन्हें गर्व महसूस होता है।आपके पिता नसीरुद्दीन शाह ने सालों पहले चर्चित फिल्म ‘पार’ में एक दलित किरदार निभाया था और अब आप ‘कोट’ में दलित लड़के माधव की भूमिका में हैं, तो वहां से प्रेरणा ली आपने?-‘पार’ में पिताजी ने जो नौरंगिया नाम का दलित किरदार निभाया था, वह उन्होंने अपनी जिंदगी के अनुभवों के आधार पर निभाया था। ‘पार’ जैसी फिल्म मेरे और मेरे डायरेक्टर अक्षय दुति के लिए बहुत बड़ी इंस्पिरेशन रही हैं। कई लोगों ने ये आलोचना भी की कि मैं दलित लड़के की भूमिका में कैसे फिट बैठ सकता हूं, तो उनका यह क्रिटिसिज्म उचित है, मगर ‘कोट’ एक छोटे बजट की फिल्म है। इसकी रिलीज की गारंटी नहीं थी। पिछले पांच सालों के इंतजार के बाद अब यह फिल्म आ रही है, ऐसे में अक्षय ने अगर एक असल दलित लड़के को लिया होता, तो वो उसके लिए और भारी पड़ जाता। अब इसकी जिम्मेदारी बड़े प्रोडक्शन हाउसेज पर पड़ती है कि अगर वे ‘कोट’ जैसी फिल्म बनाते हैं, तो किसी असल अननोन दलित लड़के को लेकर वह फिल्म रिलीज कर सकते हैं।आज समाज के रूप में हमारा काफी उत्थान हुआ है, मगर इसके बावजूद पसरे जातिगत भेदभाव को आप कैसे देखते हैं?विवान शाह-किसी भी प्रकार का सामाजिक अंतर या भेदभाव मेरे हिसाब से बहुत बड़ी बीमारी है, अमानवीय सोच है ये। खास तौर पर कास्ट सिस्टम एक ऐसी बीमारी है, जिसकी जड़ें समाज में गहरी बैठी हुई हैं। मैं चाहता हूं हम सभी मिलकर दुनिया में समानता लाएं। मेरे तजुर्बे से बाहर है,यह रोल। बिहार के बिहार शरीफ के पुंगी चौक में शूटिंग करते हुए मेरी आंखें, दिमाग और आत्मा खुल गई। मेरे माता-पिता ने जब यह फिल्म देखी, तो उनका यही कहना था कि फिल्म का टाइटल ‘कोट’ मेरे कैरेक्टर के लिए लिए समाज में इज्जत, अपने अस्तित्व की लड़ाई, अपनी किस्मत को अपने हाथों में लेना जैसे कई चीजों को सिंबोलाइज करता है।Vivaan Shah Love: क्या करिश्मा बनेंगी नसीरुद्दीन शाह की बहू? एक्ट्रेस पर टूटा था दुखों का पहाड़ तब दिया था साथNaseeruddin Shah: रत्ना पाठक का परिवार नहीं बनाना चाहता था नसीरुद्दीन शाह को दामाद, पहली शादी और ड्रग्स थी वजहआपके पिता नसीरुद्दीन शाह अक्सर अपनी बेबाक बयानबाजी के कारण चर्चा में रहते हैं, कई बार विवादों में भी आ जाते हैं, मगर इसके बावजूद अपना मत रखते हैं, इस पर आपका क्या टेक है?नसीरुद्दीन शाह के बेटे विवान-मैं बहुत गर्व महसूस करता हूं, क्योंकि इसमें बहुत हिम्मत लगती है। आज जिस तरह का राजनीतिक और सामाजिक माहौल है, उसमें बेधड़क होकर मत रखना बहुत ही बहादुरी का काम है। मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं, मगर मैं खुद ये नहीं कर पाऊंगा अभी, क्योंकि मैं उस मुकाम तक नहीं पहुंचा हूं। मैंने अभी तक वो अधिकार नहीं कमाया है कि किन्हीं मुद्दों पर अपनी राय रख सकूं। मेरी समझ और सोच-विचार वहां तक पहुंच नहीं पाया है। भविष्य में जब मैं अपने देश और जिंदगी के बारे में और ज्यादा सीख चुका होऊंगा, तो मसलों पर बात जरूर करूंगा।आपके माता-पिता रत्ना पाठक शाह और नसीरुद्दीन शाह, दोनों में से आपके फेवरेट कौन हैं?रत्ना के साथ नसीरुद्दीन शाह-मेरे माता-पिता दोनों मेरे बेस्ट फ्रेंड्स हैं। हम लोग जिंदगी और कला के बारे में अपने ख्यालात साझा करते रहते हैं। हमारे नाट्य ग्रुप मोटली में को-वर्कर्स भी हैं। अपने पिता की पसंदीदा फिल्मों में से मुझे ‘पार’, ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’, ‘जलवा’, ‘मोहन जोशी हाजिर हो’, ‘स्पर्श’, ‘आक्रोश’ जैसी कई फिल्में हैं, जो पसंद हैं। जहां तक ‘मॉम’ के काम की बात करूं, तो यह फिल्म ‘एनकाउंटर द किलिंग’ के अलावा ‘कपूर एंड सन्स’, ‘लिपस्टिक अंडर माय बुरखा’ जैसी फिल्में हैं, जिसमें मां ने कमाल का काम किया है।Naseeruddin shah : कौन थी 15 साल बड़ी नसीरुद्दीन शाह की पहली पत्नी? सुरेखा सीकरी से था ये खास कनेक्शनआपने ‘7 खून माफ’, ‘हैपी न्यू ईयर’, ‘कबाड़’ जैसी कई फिल्मों में काम किया और आप नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह जैसे दिग्गज कलाकारों के बेटे भी हैं, बावजूद इसके आपका करियर अपेक्षानुसार खिल-खुल नहीं पाया?-कई कारण हो सकते हैं, अगर अगर एक्टर उन कारणों के पीछे लग जाए, तो उसमें उसमें कहीं खो जाता है। मुझे लगता है कि कारण खुद में ढूंढना चाहिए, इस्टैब्लिशमेंट या सिस्टम में नहीं। माता -पिता का नाम तो मुझे प्रेरित करता है। मेरे अनकन्वेंशनल लुक को देखकर लोगों को लगता होगा कि ये एक ही तरह के रोल कर सकता है, मगर उम्मीद करता हूं कि शायद ‘कोट’ के बाद लोगों को मैं अलग रूप में दिखूं। बहुत सालों तक मैं बच्चे की तरह दिखता था, तो वो भी शायद एक कारण हो सकता है। हीरो बनने के लिए जिस तरह की प्रतिभा मुझे कल्टीवेट करनी चाहिए थी, शायद वो मैंने नहीं की। मगर मैं 12-13 सालों के करियर में मुझे काम मिलता गया है।