वेब सीरीज रिव्‍यू: गन्‍स एंड गुलाब्‍स

‘गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ की कहानीआरज और डीके की इस नई सीरीज की कहानी में दो गैंग हैं। दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े हैं। एक कोलकाता के माफिया सरगना से डील होनी है। दोनों ही गैंग अपनी-अपनी कोश‍िश में लगे हुए हैं। इस कारण फिजाओं में गोली-बारूद का माहौल है। लेकिन इस क्राइम स्‍टोरी में चीजें तब और बिगड़ने लगती हैं, जब एक ईमानदार नारकोटिक्स अफसर और एक मैकेनिक की एंट्री होती है।यहां देखें, ‘गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ का ट्रेलर’गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ वेब सीरीज रिव्‍यू’गन्स एंड गुलाब्स’ में ऐसी कई चीजे हैं, जो इसे बेहतरीन और आश्‍चर्य से भर देती हैं। यह भी आपके चेहरे मुस्कुराहट बिखेरती हैं, तो कभी पूर्णता का एहसास करवाती हैं। यह क्राइम ड्रामा सीरीज सिर्फ 90 के दशक को श्रद्धांजलि ही नहीं है, बल्कि एक्शन से भरपूर और एंटरटेनिंग भी है। आरडी बर्मन की धुनों से लेकर गुलशन देवैया के किरदार के खास हेयरस्टाइल (90 के दशक में संजय दत्त का हेयरस्टाइल), और यहां तक कि टीपू का हाफ स्वेटर (‘डॉन’ में अमिताभ बच्चन जैसा), ये सभी ऐसे पहलू हैं, जो डायरेक्‍टर जोड़ी राज और डीके के 90 के दशक से गहरे प्रेम को दर्शाते हैं।सीरीज के प्‍लॉट की सेटिंग मेकर्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। डायलॉग्‍स में इस्तेमाल की गई बोली और गालियां जहां उत्तर प्रदेश में एक खास जगह की लगती हैं, वहीं गाड़‍ियों के नंबर, इलाके और कुछ किरदार इसके विपरीत इशारा करते हैं। सीरीज में अच्‍छे-खासे ट्व‍िस्‍ट और टर्न हैं, हालांकि बीच के कुछ एपिसोड्स में इसकी रफ्तार थोड़ी देर के लिए लड़खड़ाती भी है। लेकिन जल्‍द ही यह ट्रैक पर लौट आती है। आख‍िर में सीरीज का क्‍लाइमेक्‍स एक पावरपुल और पंच के साथ आश्चर्यजनक रूप से सामने आता है।’गन्स एंड गुलाब’ सिर्फ एक अच्‍छी कहानी ही नहीं, बल्‍क‍ि एक से बढ़कर एक परफॉर्मेंस के कारण भी दिल में उतरती है। सीरीज के मुख्य कलाकार अपनी भूमिकाओं को कुशलतापूर्वक निभाते हैं, वहीं ऐसे एक्‍टर्स जिन्‍हें आप कम जानते हैं, वो भी प्रभावित करते हैं। राज और डीके एक ऐसे यूनिवर्स को क्रिएट करते हैं, जिसमें अध‍िकतर लोग अवैध गतिविधियों में जुड़े हुए हैं।’गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ में दुलकर सलमानकहानी गुलाबगंज शहर की है, जहां एक अफीम फैक्ट्री है। यहां की उपज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सरकार की निगरानी में है। जबकि लोकल माफिया लीडर गांची (दिवंगत सतीश कौशिक) ने अफीम के अवैध व्यापार पर एक साम्राज्य खड़ा किया है। इस काम में पुलिस सुपरिटेंडेंट मिश्रा उसका साथी है। गांची से नाता तोड़कर उसका एक सहयोगी नबीद ने शेरपुर शहर में एक राइवल गैंग बनाया है। अर्जुन वर्मा (दुलकर सलमान) नारकोटिक्‍स कंट्रोल ब्‍यूरो का अध‍िकारी है। वह ईमानदार है और उसका ट्रांसफर गुलबागंज किया जाता है। अर्जुन की नजर दोनों गैंग के गैरकानूनी अफीम लेनदेन पर है।इसी के साथ एक और कहानी चलती है। इस कहानी में टीपू (राजकुमार राव) है। वह एक मोटरसाइकिल मैकेनिक है। टीपू के पिता कभी गांची के गैंग का हिस्सा थे। उन्होंने सीनियर गांची के साम्राज्‍य विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दो गुर्गे टीपू के पिता की हत्या कर देते हैं। वह जाने-अनजाने में गांची के गैंग में शामिल हो जाता है, क्‍योंकि उसने दोनों हमलावरों की जान लेकर जवाबी कार्रवाई की।’गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ में राजकुमार रावइस सीरीज का सबसे मजेदार और बेहतरीन पहलू ये है कि इसमें कई सारे किरदार बड़े विचित्र हैं। ये किरदार प्‍लॉट और लोकल बैकग्राउंड में बड़ी सहजता से जुड़े हुए हैं। दिवंगत सतीश कौशिक, सीनियर गांची के किरदार में शुरुआती दो एपिसोड की शोभा बढ़ाते हैं। पर्दे पर जब आप उनकी कला की गहराई को देखते हैं, तो चले जाने का दुख और अध‍िक होता है। राजकुमार राव ने टीपू के किरदार में जान डाल दी है। उन्‍होंने एक साधारण इंसान का रोल निभाया है। टीपू की अपने गुर्गे दोस्त बंटी और अस‍िस्‍टेंट मैकेनिक कुमारकट के साथ बातचीत सीरीज की बेस्‍ट चीजों में से है।दुलकर सलमान पहली बार हिंदी वेब सीरीज में नजर आ रहे हैं। उनकी परफॉर्मेंस ऐसी है, जिसे देखकर नेचुरल और सिंपल एक्‍ट‍िंग के बारे में बहुत कुछ सीखा जा सकता है। ‘द व्हाइट टाइगर’ में अपनी शानदार भूमिका के लिए पहचाने जाने वाले आदर्श गौरव ने एक बार फिर अमिट छाप छोड़ी है। सीरीज के आख‍िर में उनका काम किसी मास्टरक्लास की तरह है। गुलशन देवैया छिटपुट रूप से कॉन्ट्रैक्ट किलर आत्माराम के रोल में दिखाई देते हैं, जो असल में अपनी मौजूदगी में खतरनाक लगते हैं। इसके अलावा टीजे भानु, एक स्कूल टीचर और टीपू की गर्लफ्रेंड चंद्रलेखा के रोल में अच्‍छी लगी हैं। सीरीज में बच्चों का एक ग्रुप भी है, जो कैमरे के सामने बहुत सहज लगता है।’गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ में आदर्श गौरव’गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ एक ऐसी क्राइम ड्रामा सीरीज है, जो बड़ी तेजी से आगे बढ़ती है। इसकी रफ्तार कुछ ऐसी है कि आपके पास सोचने के लिए बहुत कम समय बचता है। कहानी कहने की कला के मामले में यह राज और डीके को और मजबूती से दिखाती है। वेब सीरीज में कुछ ट्व‍िस्‍ट और टर्न हैं, जो आपको याद रह जाते हैं। कई जगहों पर आपको यह राजीव राय की फिल्‍म ‘मोहरा’ के इंटरवल से पहले की भी याद दिलाती है।क्‍यों देखें- इसमें कोई दोराय नहीं है कि राज और डीके दर्शकों की नब्ज पकड़ने में माहिर हो गए हैं। ‘गन्स एंड गुलाब’ एक बेहतरीन सीरीज है, लेकिन यह ‘बेस्‍ट’ बनने से चूक जाती है। स्‍क्रीनप्‍ले के कुछ हिस्‍से ऐसे हैं, जहां ऐसा लगता है कि राइटर ने ‘सुविधा के अनुसार’ काम किया है। बहरहाल, ‘गन्‍स एंड गुलाब्‍स’ निश्‍च‍ित तौर पर बिना किसी बहस के एक हाई क्‍वालिटी एंटरटेनमेंट का साधन जरूर है।