Alia Bhatt National Film Award,ये नई नस्ल की हीरोइनें हैं, ये दिल, बॉक्स ऑफिस और नेशनल अवॉर्ड… सब जीतेंगी – bollywood actresses won national film awards alia bhatt kriti sanon tabu kangana ranaut

आलिया भट्ट और कृति सेनन आज के दौर की ऐसी बॉलिवुड ऐक्ट्रेसेज हैं, जिन्होंने अपनी अदाकारी से ऑडियंस का दिल जीता है, तो बॉक्स ऑफिस पर अपना दम भी दिखाया है और अब इन दोनों ने अपने नाम एक और बड़ी उपलब्धि नैशनल अवॉर्ड के रूप में जोड़ ली है। 69वें नैशनल अवॉर्ड में आलिया को फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी और कृति को फिल्म मिमी के लिए बेस्ट ऐक्ट्रेस चुना गया। इसके साथ ही वे नाम शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, कंगना रनौत, कोंकणा सेन शर्मा, तबू, विद्या बालन, प्रियंका चोपड़ा जैसी नैशनल अवॉर्ड विजेता ऐक्ट्रेसेज की लिस्ट में शामिल हो गई हैं। खास बात ये हैं कि आलिया और कृति दोनों ही पॉप्युलर सिनेमा यानी मेनस्ट्रीम कमर्शल सिनेमा का चर्चित चेहरा हैं, लेकिन अपनी पूर्ववर्ती ऐक्ट्रेसेज की तरह वे ना तो सिर्फ हीरो की लव इंट्रेस्ट बनकर खुश रहीं, न ही अपने कंधे पर फिल्म का भार उठाने के लिए लंबी-चौड़ी फिल्मोग्राफी और अनुभव हासिल कर लेने का इंतजार किया। ये नई नस्ल की अदाकाराएं हैं, जो स्टारडम और ऐक्टिंग दोनों को एक साथ साधना जानती हैं।स्टारडम और एक्टिंग दोनों में मार रहीं बाजीबॉलिवुड में पर्दे पर अपनी मजबूत छाप छोड़ने वाली ऐक्ट्रेसेज हर दौर में रही हैं। लेकिन 70-80 के पुराने दौर में पैरलेल और कर्मशल सिनेमा के बीच एक बड़ा अंतर था। तब अपनी उम्दा अदाकारी से अवॉर्ड जीतने वाली ऐक्ट्रेसेज अलग और अपने ग्लैमर से ऑडियंस का दिल जीतने वाली ऐक्ट्रेसेज अलग होती थीं। जैसे, एक ओर स्मिता पाटिल, शबाना आजमी जैसी अवॉर्ड विनिंग ऐक्ट्रेसेज थीं, तो दूसरी ओर जीनत अमान, परवीन बॉबी, मुमताज, रेखा, हेमा मालिनी जैसी स्टार्स। उसके बाद श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित आदि ने ढेर सारी मसाला फिल्मों के बीच सदमा (श्रीदेवी), मृत्युदंड(माधुरी) जैसी फिल्मों से अपना ऐक्टिंग पावर भी दिखाया। वहीं, नब्बे के दौर की करिश्मा कपूर, रवीना टंडन, काजोल और उसके बाद आईं रानी मुखर्जी, प्रीति जिंटा, करीना कपूर, प्रियंका चोपड़ा जैसी ऐक्ट्रेसेज ने एक समय तक मसाला फिल्में करके खुद को स्थापित करने के बाद कॉन्टेंट सिनेमा का रुख किया। उस दौर में माना जाता था कि ऐक्ट्रेसेज जब हीरो की चुलबुली और हॉट हीरोइन के तौर पर उम्रदराज दिखने लगती हैं, तब वे मैच्योर और यादगार भूमिकाएं तलाश करती हैं। लेकिन पिछले दशक में हिंदी सिनेमा का स्वरूप बदलने के साथ ही इंडस्ट्री में आने वाली युवा ऐक्ट्रेसेज की चॉइस भी बदल चुकी है। अब वे दूसरी-तीसरी फिल्म से ही अपने किरदारों के साथ एक्सपेरिमेंट करने के लिए, रिस्क लेने के लिए तैयार हैं। आलिया का ही उदाहरण लें, पहली फिल्म स्टूडेंट ऑफ द इयर में ग्लैमरस अवतार के बाद वो दूसरी ही फिल्म हाइवे में चाइल्ड एब्यूज जैसे गंभीर विषय वाली फिल्म में नजर आईं। हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, टू स्टेट्स जैसी फिल्मों से स्टारडम हासिल करने के साथ ही उड़ता पंजाब, डियर जिंदगी, राजी जैसी फिल्मों से खुद को बतौर उम्दा ऐक्टर भी साबित कर दिया। आलिया कहती भी हैं कि वे कमर्शल और कॉन्टेंट ड्रिवेन दोनों तरह की फिल्में करना चाहती हैं और दोनों के बीच तालमेल बनाकर रखना चाहती हैं।आलिया भट्टखुद बन रहीं अपनी फिल्म की हीरोवैसे, इस बदलाव की नींव रखने में विद्या बालन, कंगना रनौत जैसी ऐक्ट्रेसेज का बड़ा हाथ है, जिन्होंने दिखा दिया कि हीरोइनों को अपनी फिल्म चलाने के लिए किसी हीरो के कंधे की जरूरत नहीं है। ऐसे में, अब नई पीढ़ी की ऐक्ट्रेसेज सिर्फ हीरो की हीरोइन बनकर एंटरटेन करने के बजाय अपनी फिल्म का हीरो खुद बनना चाहती हैं या कम से कम ऐसी फिल्मों को तरजीह दे रही हैं, जहां वे हीरो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें। मसलन, कृति हीरोपंती और दिलवाले के साथ बरेली की बर्फी और मिमी बनने से परहेज नहीं करतीं, तो जाह्नवी कपूर पहली फिल्म धड़क के बाद से ही गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल, गुड लक जेरी, मिली जैसी फीमेल सेंट्रिक फिल्में चुनती हैं। तापसी पन्नू मुल्क, थप्पड़, गेम ओवर, रश्मि रॉकेट, लूप लपेटा, शाबास मिठु जैसी फिल्मों में खुद हीरो होती हैं, तो नुशरत भरूचा, रकुलप्रीत सिंह जैसी नई पीढ़ी की तमाम ऐक्ट्रेसेज भी इसी राह पर चल रही हैं।कृति सेनन नेशनल अवॉर्डनेशनल अवॉर्ड और बॉलीवुड हीरोइनेंकंगना रनौत नेशनल अवॉर्डनर्गिस दत्त : नैशनल अवॉर्ड पाने वाली पहली बॉलिवुड ऐक्ट्रेस (फिल्म रात और दिन, 1967)शबाना आजमी: सर्वाधिक पांच अवॉर्ड जीतने वाली ऐक्ट्रेस (अंकुर, अर्थ, कांधार, पार, गॉड मदर)कंगना रनौत : तीन बेस्ट ऐक्ट्रेस (तनु वेड्स मनु रिटंर्स, क्वीन, मणिकर्णिका: क्वीन ऑफ झांसी+पंगा), एक बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्ट्रेस (फैशन)स्मिता पाटिल : दो बेस्ट ऐक्ट्रेस अवॉर्ड (भूमिका, चक्रा)तब्बू: दो बेस्ट ऐक्ट्रेस अवॉर्ड (माचिस, चांदनी बार)