मात्र चौदह साल की उम्र से अपने संगीतमय करियर की शुरुआत करने वाले अनु मलिक ने कड़े संघार का सामना किया है, इसके बावजूद उनका मानना है कि आज भी उन्हें संघर्ष और मेहनत करते रहना पड़ता है। इन दिनों वे चर्चा में हैं सिंगिंग रियलिटी शो सारेगामापा के जज के रूप में। उनसे एक बातचीत।आप सारेगामापा के जज के रूप में एक बार फिर आ रहे हैं। इस बार क्या नया होगा?-मैं समझता हूं, ये शो उन तमाम प्रतिभाओं के लिए तोहफा है, जो मंच की तलाश में तड़पते हैं। जब हम छोटे थे, तब हमारे पास कोई मंच नहीं था। हम रेलवे प्लैटफॉर्म पर खड़े होकर गा दिया करते थे। मगर आज सोशल मीडिया की तकनीक इतनी पावरफुल हो गई है कि आप रातों-रात स्टार बन सकते हैं। इस बार शो में मेरे अलावा नीति मोहन और हिमेश रेशमिया भी हैं। हम बस ओरिजिनल आवाज की तलाश में हैं। इस बार खासियत ये है कि हमें जो भी ओरिजिनल गायक मिलेगा, हम उसे फ्रेश गाना बना कर देंगे और उसका लेबल जी टीवी करेगा। पहली बार जी टीवी चार ओरिजिनल गायकों को लेकर लेबल करेगा।कंटेस्टेंट को चुनने का आपका मापदंड क्या होता है?-ऑरिजिनैलिटी, जिसे हम मौलिक कहते हैं। देखिए, कोई भी लता मंगेशकर या मोहम्मद रफी नहीं बन सकता, मगर जो भी अपनी यूनिक शैली लेकर आएगा, वो जरूर सराहा जाएगा। हम चाहते हैं, यहां हम आवाज के ऐसे सितारों को चुनें, जिनकी आवाज में कुछ अलग बात हो।कुछ लोग ये भी आरोप लगाते हैं कि रियलिटी शो की प्रतिस्पर्धा मासूमियत छीन लेते है, प्रतिस्पर्धियों की पढ़ाई-लिखाई भी प्रभावित होती है?-इस मामले में मैं दूसरों पर टिप्पणी नहीं करूंगा, मैं अपनी बात कहूंगा, मैं 47 साल का हूं और मैंने अपने करियर की शुरुआत 14 साल की उम्र में की थी। मगर मैं आज भी उतनी ही मेहनत करता हूं। कई बार थक भी जाता हूं, मगर फिर उठ कर काम पर लग जाता हूं। जीवन आखिर चलते जाना का नाम है। आज का दौर कम्पटीशन का दौर है। मुश्किल है, इस प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बनना, मगर आपको करना पड़ेगा। आज भी अरिजीत, सोनू निगम जैसे बड़े गायक हैं, उसके बाद आने वाले नए गायक भी हैं, जो अच्छा काम कर रहे हैं, मगर जो नए सिंगर आएंगे, उन्हें मेहनत भी करनी होगी और कम्पटीशन में उतरना भी पड़ेगा। मुझे आज से 5 साल पहले कड़ी मेहनत करनी पड़ी। मेरे गाने, ‘मोह मोह के धागे’ को राष्ट्रीय पुरस्कार समेत और भी कई अवॉर्ड मिले। आप ही सोचिए, काम तो मैं अस्सी के दशक से कर रहा था, मगर नैशनल अवॉर्ड मुझे 2017 में मिला। मुझे उनके सामने कितनी मेहनत करनी पड़ी होगी, जो मुझसे 25 साल छोटे हैं?आप म्यूजिक कंपोजर-सिंगर-जज की कई जिम्मेदारियों को निभाते रहे हैं, कभी शो मस्ट गो ऑन की सिचुएशन से गुजरना पड़ा?-हां, ऐसा कई बार हुआ है। मगर एक बार बहुत ही दुखद हालात पैदा हो गए, जब मेरी मां का निधन हो गया था, और मुझे शो पर जाना था। मैंने अपने घर में अपनी पत्नी और बच्चों से बात की, उन्होंने कहा कि अगर मैंने शो कैंसिल किया,तो वो शो ही नहीं हो पाएगा, तब मैं किसी तरह दिल पर पत्थर रखकर शो करने गया। मैंने वहां किसी को नहीं बताया कि मेरी मां नहीं रहीं। मैं शो पर अपने आंसुओं को दबा कर मुस्कुरा रहा था और उधर मेरी मां का अंतिम संस्कार हो रहा था।आपने 14 साल की छोटी-सी उम्र से काम करना शुरू किया, आपको किन संघर्षों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा?-बहुत ज्यादा संघर्ष था। कहीं काम नहीं मिल रहा था, मगर मैं कभी हिम्मत नहीं हारता था। मैं कहता था कि मैं गलियों का राजा हूं। मेरी दौलत मेरा दिल और मेरा बाजा है। मैं मां सरस्वती का नाम लेकर आगे बढ़ जाता था। मैं ट्रेन पकड़ता, ट्रेन में गाते हुए जाता और बॉम्बे के स्टूडियोज में जाकर गाने गाता था। मुझे वहां से भी यही कहकर भगा दिया जाता था कि कल आना, मगर मैंने कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा।हाल ही में दिग्गज गायिका आशा भोसले ने अपने 90 साल पूरे किए। आपने उनके साथ काफी काम किया है, क्या कहना चाहेंगे?-आशाजी हो या लता दी, उनक कद इतना बड़ा है कि उनके बारे में कुछ कहना सूरज को दीया दिखाने जैसा है। काम करने का जज्बा और दूसरों की मदद करने की कोशिश से आशा जी कभी पीछे नहीं हटी हैं। मेरे करियर का पहला गाना आशाजी ने ही गाया था और वो कमाल का अनुभव था। उन्होंने मेरी काफी हौसला अफजाई की थी, जो मैं कभी भूल नहीं सकता।Asha Bhosle Birthday: कहां गुम हुआ संगीत का वो सुनहरा दौर? सिंगर्स बोले- अब तो गानों की ऐसी-तैसी कर देते हैंMP Election: अपनी शक्ति बनाए रखना है… चुनाव से पहले उमा भारती ने बीजेपी को डरायानई प्रतिभाओं को क्या कहना चाहेंगे?-कोविड के बाद का समय काफी बदल गया है। आज हर कोई अस्तित्व की जंग लड़ रहा है। कंपटीशन बहुत बढ़ गया है। कोविड ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। मैं नई प्रतिभाओं से यही कहूंगा कि अपने टैलेंट पर भरोसा रखें और मेहनत का दामन न छोड़ें।