Ayushmann Khurrana says I have been rejected from many reality shows

बॉलिवुड में ‘विकी डोनर’ बनकर डेब्यू करने वाले आयुष्मान खुराना ने ‘दम लगाके हइशा’ से फिल्म इंडस्ट्री में ‘अंधाधुन’ फिल्में साइन कर बाकी स्टार्स के लिए’शुभ मंगल सावधान’ की घंटी बजा दी। कभी ‘डॉक्टर जी’ बनकर ‘बरेली की बर्फी’ खाई तो कभी ‘ड्रीम गर्ल’ बनकर ‘अनेक’ लोगों को ‘चड़ीगढ़ करे आशिकी’ का मतलब बताया। आयुष्मान खुराना बीते दिनों लखनऊ आए थे। इस दौरान उन्होंने मोहम्मद फाजिल से खास बातचीत में अब तक के करियर, राइटिंग के प्रति प्रेम और कॉमिडी सहित अन्य चीजों पर दिल खोलकर बातें कीं।बड़े स्टार्स से उम्मीदें बढ़ जाती हैंजब आपकी फिल्म का पहला पार्ट हिट हो जाता तो दूसरे से उम्मीदें बढ़ जाती हैं। थोड़ी घबराहट स्वाभाविक है पर मैं उत्साहित हूं क्योंकि मुझे लगता है कि फिल्म इस बार ज्यादा हिट होगी। इसमें अन्नू कपूर, परेश रावल, असरानी, सीमा पाहवा और राजपाल यादव जैसे कई कॉमिडी किंग हैं। जितने बड़े स्टार होते हैं, फिल्म से उम्मीदें उतनी ज्यादा होती हैं। इनसे बहुत कुछ सीखा। इस बार पूजा सिर्फ सुनाई नहीं, दिखाई भी देगी।आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘ड्रीम गर्ल 2’ सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही हैसात साल पहले लिखी थी किताबअभी अच्छी फिल्में साइन कर रहा हूं। एक साल में दो से तीन फिल्में कर लेता हूं। इतना व्यस्त हो जाता हूं कि लिखने का समय नहीं मिलता। जो समय मिलता है, उसमें गाने रिलीज करता हूं। धीरे-धीरे अब राइटिंग ने बैक सीट ले ली है। मैंने करीब सात साल पहले किताब ‘क्रैकिंग द कोड’ लिखी थी, जिसमें अपने अनुभव, असफलता से लेकर सफलता का जिक्र किया है। अभी ऐसे ही लिखता हूं लेकिन हो सकता है भविष्य में यही राइटिंग मेरे काम आ जाए।पिता के निधन के बाद मुंबई लौटे Ayushmann Khurrana, एयरपोर्ट पर थामे रखा मां का हाथअपना संघर्ष कभी ना भूलेंमेरा मानना है कि जिंदगी में रिजेक्शन मिलना जरूरी है क्योंकि जब शुरू में अस्वीकार्यता मिलती है तो आप अंदर से और मजबूत होते हैं। अपनी बात करूं तो मैं बहुत से रियलिटी शोज से रिजेक्ट हुआ हूं। हर बार रिजेक्शन के बाद मजबूती से आगे बढ़ा। यह सब आपको सीखने में मदद करते हैं। रिजेक्शन को हमेशा साथ रखकर बढ़ना चाहिए। हमेशा याद रखना चाहिए कि आप कहां से आए हैं और क्या संघर्ष किया है। जितना आप सीखते जाएंगे, उतना ही आगे बढ़ते जाएंगे।आयुष्मान खुराना बताते हैं कि मेरा मानना है कि आप कॉमिडी सीख नहीं सकते, यह आपके अंदर जन्म से होती है। डायरेक्टर राज शांडिल्य जैसा कॉमिडी राइटर मैंने नहीं देखा। वह हरेक बात पर कॉमिडी कह और लिख सकते हैं। मेरा मानना है कि उनसे बेहतर कोई कॉमिडी ना लिख सकता है और ना ही बना सकता है। लोगों को एक फिल्म बनाना मुश्किल हो जाता है लेकिन उनके पास इतना मैटेरियल था कि इसी फिल्म में दो फिल्म और बन सकती थीं। इस फिल्म में जहां दस पंच लाइन की जरूरत थी, वहां वो बीस-बीस पंचलाइन लिखकर देते थे। फिर उनमें से चुनना होता था कि कौन सी इस्तेमाल करें। जहां तक फिल्म के अगले पार्ट की बात है तो राज शांडिल्य के पास इतनी कहानी हैं कि वह इसके आगे के कई भाग बना सकते हैं।नई कहानियां चाहिए मुझेमैंने बहुत तरह के किरदार किए हैं। जब फिल्म साइन करता हूं तो प्राथमिकता फिल्म की कहानी रहती है। यहां तक मैं अपने किरदार से ज्यादा फिल्म की स्क्रिप्ट को अहमियत देता हूं। स्क्रिप्ट में अगर कुछ अलग कहने को है और एक नया आइडिया है, जो पहले कभी पर्दे पर ना उतारा गया हो तो ऐसी कहानियां मेरे अंदर उत्सुकता पैदा करती हैं और मैं उनको मना नहीं कर पाता। मैं हमेशा ऐसी ही फिल्में चुनता हूं, जो मुझे प्रभावित करती हैं।