कोरोना महामारी के खतरे के बावजूद बॉलिवुडवाले लगातार फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग में जुटे हुए हैं। लेकिन मौजूदा माहौल में खुलते-लगते लॉकडाउन के बीच शूटिंग करना कई स्तर पर बेहद चुनौतीपूर्ण हो चुका है। इन्हीं जमीनी चुनौतियों के बारे में बता रहे हैं, फिल्म की दुनिया रचने वाले प्राडक्शन डिजाइनर और आर्ट डायरेक्टर। एक रिपोर्ट:वरुण धवन और कियारा आडवाणी की फिल्म ‘जुग जुग जियो’ में सगाई का खूबसूरत जश्न चंडीगढ़ में मनना था। सारी तैयारियां हो गई थीं, शानदार लोकेशन भी फाइनल थी, पर पहले वरुण, नीतू सिंह और डायरेक्टर राज मेहता के कोविड पॉजिटिव होने और फिर लॉकडाउन की वजह से ये सगाई होते-होते रह गई। अब मुंबई में इसके लिए नई तारीख और नई जगह देखी जा रही है। इसी तरह, नेहा शर्मा, नमित दास, ईला अरुण स्टारर फिल्म आफत-ए-इश्क की दास्तां लखनऊ और बनारस जवां होनी थी। कहानी यूपी के इन शहरों के हिसाब से रची गई थी, पर कोरोना महामारी के चलते शूटिंग में लगी पाबंदियों के बाद इसे नासिक की एक कोठी में शूट करना पड़ा। ये ऐसी दिक्कतें हैं, जिनका सामना फिल्ममेकर्स को कोविड महामारी के पिछले डेढ़ साल में लगातार करना पड़ रहा है। कभी किसी साथी के कोरोना पॉजिटिव होने, तो कभी लॉकडाउन के चलते शूट की लोकेशन बार-बार बदलनी पड़ रही है, और ऐसे में, सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है, फिल्म की दुनिया रचने वाले प्रॉडक्शन डिजाइनर्स और आर्ट डायरेक्टर के लिए। लोकेशन बदलने पर उन्हें न केवल नए सिरे से सोचना पड़ता है, बल्कि कई बार क्रिएटिव स्तर पर समझौते भी करने पड़ते हैं। नासिक में कैसे आएगा यूपी वाला कल्चर!’दुर्गामती’, ‘पति पत्नी और वो’, ‘मोतीचूर चकनाचूर’, ‘सैटेलाइट शंकर’ जैसी चर्चित फिल्मों के प्रॉडक्शन डिजाइनर तारिक उमर खान बताते हैं, ‘प्रॉडक्शन डिजाइनर को फिल्म के लुक, माहौल, उस दुनिया को क्रिएट करना होता है और कोविड काल में पाबंदियां इतनी ज्यादा हैं कि चुनौतियां कई स्तर पर बढ़ गई हैं। जैसे, फिल्म आफत-ए-इश्क के लिए हमने पिछले साल फरवरी में रेकी की। स्टोरी की डिमांड लखनऊ और बनारस की थी, तो उस हिसाब से सोचना शुरू कर दिया। अप्रैल में हम शूट पर जाने वाले थे, पर मार्च में लॉकडाउन लग गया। फिर जब शूटिंग की परमिशन मिली, तो हमें फिल्म को मजबूरी में नासिक में एक कोठी में शिफ्ट करना पड़ा। अब कोई भी शहर फिल्म का अहम किरदार होता है। लखनऊ और बनारस का अपना कल्चर है, वहां की बोली, पहनावा, अंदाज सब अलग है। जब हम किसी शहर में शूट करते हैं, तो वहां की लोकल चीजें, वहां के कपड़े खरीदते हैं, उनका इस्तेमाल करते हैं। नासिक में वह संभव नहीं था। इसी तरह जिमी शेरगिल स्टारर फिल्म ‘कॉलर बम’ के लिए हम शिमला में एक स्कूल में शूट करने वाले थे। जब हम वहां के लिए निकल चुके थे, तब पता चला कि टीम में एक शख्स का कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया है, लिहाजा स्कूलवालों ने परमिशन कैंसिल कर दी। हम कई दिन वहां रुके रहे, क्योंकि हम विजुअलाइज करके बैठे होते हैं कि फलां सीन में ऐसा-ऐसा होगा, पर हमें लोकेशन नहीं मिली, तो हमने नैनीताल में शूट किया, लेकिन जब अचानक ऐसा बदलाव आता है, जिसके बारे में आपने सोचा नहीं है, तो शॉट लेने से लेकर हर चीज में कॉम्प्रोमाइज हो जाता है। ऐसा ही एक प्रॉजेक्ट में हुआ कि आधा तो हमने यूपी, जयपुर वगैरह के रियल लोकेशन पर शूट कर लिया, बाद में वहां लॉकडाउन लग गया, तो आगे मुंबई में शूट करना पड़ रहा है। अब आप आधी सीरीज यूपी के रियल लोकेशन पर शूट कर रहे हैं, फिर महाराष्ट्र का एक सेट दिखाएंगे, तो अंतर तो दिखेगा ही, अब इसे कैसे कम किया जाए, ये हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती हो जाती है।’बजट में कटौती भी बनी सिरदर्दबकौल तारिक उमर खान, ‘इन दिनों एक बड़ी मुश्किल बजट की भी पेश आ रही है। मसलन, फिल्म का बजट तो पहले ही तय हो जाता है। फिर, जब शूटिंग में किसी तरह की बाधा आती है, शेड्यूल बदलता है या सुरक्षा इंतजाम का बजट बढ़ गया, तो प्रॉडक्शन बजट घट जाता है, अब उससे निबटना अलग सिरदर्द होता है कि कैसे आप इस घटे बजट के बावजूद क्वॉलिटी खराब न होने दें, क्योंकि आपका नाम जुड़ा होता है। इसके लिए वेंडर से मान-मनौवल करना पड़ता है, वर्कर पर बोझ बढ़ाना पड़ता है, कई लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है, ये भी अपने में बड़ा टेंशन हो जाता है।’लॉकडाउन में सामान ढूंढ़ना भी बड़ी चुनौतीवहीं, मार्गरीटा विद द स्ट्रॉ, बजरंगी भाईजान, चिल्ड्रन ऑफ वॉर, हॉलिवुड की द स्पीच जैसी फिल्मों से जुड़ीं आर्ट डायरेक्टर शिवांगी सिंह एक और चुनौती के बारे में बताती हैं। इन दिनों करण जौहर की फिल्म जुग जुग जियो में आर्ट डायरेक्शन का जिम्मा संभाल रहीं शिवांगी कहती हैं, ‘आर्ट और कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट को बहुत सारा प्रॉप यानी सामान खरीदना या किराए पर लेना होता है। लॉकडाउन की वजह से हमें उसमें काफी दिक्कत आई, क्योंकि बहुत सारे प्रॉप शॉप बंद थे। थोड़े-बहुत जो खुले थे, उन्हें खास तौर पर रिक्वेस्ट करना पड़ रहा था, तो इस वजह से काम काफी धीमा हो गया था। दूसरे, लोकेशन बदलने की चुनौती तो थी ही। जैसे हमें चंडीगढ़ में सगाई का सेट डिजाइन करना था, पर बीच में हमारे दो ऐक्टर्स पॉजिटिव हो गए, तो हमें वापस आना पड़ा। फिर 14-15 दिन के क्ववारंटीन के बाद हमें दोबारा गए, तो हमारे पास शेड्यूल का टाइम कम बचा, तो अब हमें बॉम्बे में उसका सेट लगाना पड़ेगा। अब क्या होता है कि आप पहले उस लोकेशन के हिसाब से प्लानिंग करते हैं, सोचते हैं, फिर लोकेशन बदल जाए, तो वह सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है, क्योंकि हर लोकेशन अलग होती है।’