टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्‍या के मामले (Gulshan Kumar Murder Case) में बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अब्दुल रऊफ मर्चेंट (Abdul Rauf Merchant) और अब्दुल राशिद (Abdul Rashid) को जहां उम्रकैद की सजा सुनाई है, वहीं टिप्‍स इंडस्‍ट्रीज के मालिक रमेश तौरानी (Ramesh Taurani) को मामले में बरी करने का फैसला बरकरार रखा है। इससे पहले सेशन कोर्ट ने अब्दुल राशिद को हत्‍याकांड मामले में बरी कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने अब्दुल राशिद को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की थी।10 करोड़ की फिरौती और 16 गोलियों की गूंजनब्‍बे का दशक में जहां एक ओर गुलशन कुमार ने सिनेमाई संगीत की दुनिया को बदलकर रख दिया था, वहीं दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) और उसके राइट हैंड माने जाने वाले अबू सलेम (Abu Salem) के इशारे पर उनकी हत्‍या कर दी गई। 12 अगस्‍त 1997 को जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर उनके शरीर को 16 गोलियों से छलनी कर दिया गया। बताया जाता है कि अबू सलेम ने गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी। गुलशन कुमार ने फिरौती देने से इनकार किया तो अबू सलेम ने दो शार्प शूटरों को हत्‍या की सुपारी दे दी। यही नहीं, महाराष्‍ट्र के पूर्व डीजीपी राकेश मारिया ने खुद न्‍यूज एजेंसी ‘आईएएनएस’ को दिए एक इंटरव्‍यू में बताया था कि उन्‍हें उस साल अप्रैल महीने में ही एक मुखबिर ने अबू सलेम के प्‍लान की खबर दी थी।Gulshan Kumar Murder case: गुलशन कुमार मर्डर केस में बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला, दोषी रउफ मर्चेंट की सजा बरकरार5 महीने पहले पुलिस को मुखबिर ने दी थी खबरराकेश मारिया ने बताया, ‘मुझे 12 अप्रैल 1997 को एक मुखबिर का फोन आया। उसने मुझे बस इतना बताया- सर, गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है। मैंने उस मुखबिर से पूछा कि कौन विकेट लेने वाला है? उसने जवाब दिया- अबू सलेम, सर उसने अपने शूटर के साथ प्‍लान नक्‍की किया है। गुलशन कुमार रोज सुबह घर से निकलने से पहले श‍िव मंदिर जाता है, वहीं पर उसका काम खत्‍म करने वाले हैं।’बीते 24 साल, पुलिस की जांच और कोर्ट का फैसलागुलशन कुमार की हत्‍या ने न सिर्फ बॉलिवुड, बल्‍क‍ि पुलिस महकमे को भी हिलाकर रख दिया था। सवाल खाकी वर्दी पर भी उठने लगे के जानकारी होने के बावजूद गुलशन कुमार की जान क्‍यों नहीं बचाई जा सकी। गुलशन कुमार की हत्‍या के बाद बीते 24 साल में इस पूरे मामले में क्‍या-कुछ हुआ है, आइए जानते हैं- Gulshan Kumar Murder Case Timeline:12 अगस्‍त 1997: मुंबई के जुहू में जीत नगर स्‍थ‍ित जीतेश्‍वर महादेव मंदिर के बाहर सुबह-सुबह तीन शूटरों ने गुलशन कुमार को गोलियों से छलनी कर दिया। उनके शरीर में 16 गोलियां दागी गईं। अब्दुल रऊफ मर्चेंट इन शूटरों में से एक था। गुलशन कुमार की मौके पर ही मौत हो गई।30 अगस्‍त 1997: म्‍यूजिक कंपोजर नदीम अख्‍तर सैफी पर आरोप लगे कि वह गुलशन कुमार की हत्‍या करवाने में शामिल थे। यही नहीं, यह भी कहा गया कि नदीम सैफी ने ही हत्‍यारों को हायर किया। नदीम सैफी इसके बाद से ही भारत छोड़ ब्रिटेन चले गए। श्रवण राठौर के साथ उनकी जोड़ी भी कुछ साल बाद टूट गई। भारतीय अध‍िकारी नदीम को भारत वापस लाने में नाकाम रहे। जबकि नदीम लगातार अलग-अलग माध्‍यमों से अपनी बेगुनाही को लेकर आवाज उठाते रहे।अक्‍टूबर 1997: टिप्‍स इंडस्‍ट्रीज के मालिक रमेश तौरानी को इस जघन्‍य अपराध के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने आरोप लगाया गया कि रमेश तौरानी ने कथित तौर पर गुलशन कुमार के हत्यारों को 25 लाख रुपये दिए थे। टिप्स कैसेट्स और गुलशन कुमार की कंपनी टी-सीरीज उस दौर में एक-दूसरे के सबसे बड़े राइवल थे। हालांकि, पुलिस कोर्ट में रमेश तौरानी के ख‍िलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रही।नवंबर 1997: पुलिस ने गुलशन कुमार हत्‍याकांड मामले में 400 पन्‍नों की चार्जशीट दायर की। इसमें 26 लोगों को हत्‍या का आरोपी बनाया गया। इनमें से 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जबकि एक आरोपी मोहम्‍मद अली शेख केस में सरकारी गवाह बनने के लिए राज़ी हो गया। जनवरी 2001: हत्‍या में शामिल एक शूटर अब्‍दुल रऊफ उर्फ दाऊद मर्चेंट को पुलिस ने कोलकाता से गिरफ्तार किया।जून 2001: गुलशन कुमार की हत्‍या मामले में कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ।अप्रैल 2002: अदालत ने 19 में से 18 आरोपियों को बरी कर दिया। जबकि अब्दुल रऊफ को हत्‍या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। साल 2009: जेल में सजा काट रहे अब्‍दुल मर्चेंट ने साल 2009 में मां की बीमारी का हवाला देते हुए पैरोल की अर्जी दी। उसे कोर्ट ने बीमार मां से मिलने की इजाजत दी। लेकिन पैरोल पर रिहा अब्‍दुल बांग्लादेश भाग गया। फर्जी पासपोर्ट मामले में उसे बांग्लादेश पुलिस ने अरेस्ट किया था। जिसके बाद उसे वापस भारत लाया गया और जेल में बंद कर दिया गया। 01 जुलाई 2021: बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने अब्दुल रऊफ मर्चेंट और अब्दुल राशिद को उम्रकैद की सजा सुनाई। टिप्‍स इंडस्‍ट्रीज के मालिक रमेश तौरानी को मामले में बरी करने का फैसला बरकरार रखा।