आयुष्मान खुराना उन समर्थ अदाकारों में से हैं, जो अपनी भूमिकाओं के लिए परकाया प्रवेश कर उन्हें पर्दे पर जिंदा कर देते हैं। उनकी आर्टिकल 15 हो या डॉक्टर जी, हर बार वे किरदार में ढल जाते हैं। इस बार वे चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म ड्रीम गर्ल 2 को लेकर। उनसे एक खास बातचीत।आयुष्मान आपके बारे में कहा जाता है कि आप मनोरंजन के साथ-साथ मुद्दे वाली फिल्मों के स्पेशलिस्ट बनते जा रहे हैं, क्या कहना चाहेंगे?-इसकी शुरुआत 2012 से हुई थी, जब मैंने विकी डोनर जैसी फिल्म की। उसके बाद मेरे पास ऐसी स्क्रिप्ट आने लगीं, जिसमें कुछ कहने को था, मनोरंजन के साथ-साथ। मैं बहुत गर्व महसूस करता हूं कि मैंने मनोरंजन के जरिए कुछ कहने की कोशिश की है। जहां तक मेरी ताजा-तरीन फिल्म ड्रीम गर्ल 2 की बात है, तो इसमें कोई मुद्दा नहीं है। यह एक फनी, मासी और मनोरंजक कमर्शियल फिल्म है।लड़की के रूप में पूजा बनकर आप खूब धमाल मचा रहे हैं। आपको लड़की बनने में सबसे ज्यादा दिक्कत किस बात को लेकर हुई?- लड़की बनना मुश्किल है, मगर लड़की होना उससे भी मुश्किल है, क्योंकि हम कुछ भी कह लें, हम पुरुष प्रधान समाज में तो रहते ही हैं। लैंगिक समानता हासिल करने में हमें अभी काफी वक्त लगेगा। यही वजह है कि हमें संवेदनशील रहना पड़ता है, जब हम ऐसी कोई फिल्म करते हैं। हमने पूरी कोशिश की है कि हम उस सीमा रेखा को पार न करें। पहले भी मैं प्रोग्रेसिव फिल्मों का हिस्सा रहा हूं। टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी पर हमने हमेशा से कटाक्ष किया है। डॉक्टर जी में भी हमने ये मुद्दा उठाया था। जहां तक पर्दे पर लड़की बनने की मुश्किलों की बात है, तो बहुत-सी चुनौतियां थीं। प्राकृतिक रूप से मर्दों के शरीर पर घने बाल होते हैं, मैं उनको शेव करता था, तो दो-तीन घंटों में वे फिर नजर आने लगते थे, तो दोबारा शेव करना पड़ता था। रोल के लिए मैंने दस किलो वजन घटाया। हेयर आर्टिस्ट, मेकअप, ड्रेस डिजाइनर से लेकर हलके से वीएफएक्स पर भी काम हुआ, ये सारी चीजें तो फिर भी ठीक हैं, मगर जो नखरे और अदाएं थीं, उन्हें चेहरे पर लाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। आप किस तरह से यकीन दिला सकते हैं कि आप लड़की ही हैं।आप इसमें एक महिला बने हैं, आपकी जिंदगी में ऐसी कौन-सी अहम महिलाएं , जो आपके लिए प्रेरणा स्त्रोत रही हैं?- मेरे इर्द गिर्द सभी सशक्त महिलाएं हैं। चाहे वो मेरी वाइफ हो, मैनेजर हो अथवा मेरी मां हो। मेरी तमाम को-एक्टर्स भी बेहद मजबूत महिलाएं रही हैं। मेरे आस-पास सभा मोटिवेटेड और एम्पावर्ड महिलाएं रही हैं। मेरी जिंदगी में वो सशक्त होने का सिलसिला मां से शुरू होता है और ताहिरा (उनकी पत्नी ताहिरा कश्यप)तक चलता है। ताहिरा ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मैं उनकी वजह से फेमिनिस्ट बना हूं और आज हमारे समाज में हमारे लिए फेमिनिज्म की धारा बहुत आवश्यक है।आपकी परिवार प्रेमी अदाकार के रूप में जाने जाते हैं। काजल की कोठरी में रहते हुए आप बेदाग हैं? आपका नाम किसी से जुड़ा नहीं?-आपको अपनी जिंदगी की प्राथमिकताएं तय करनी होती हैं कि आप किस कीमत पर क्या चाहते है? फैमिली मैन होने के नाते आपको परिवार और काम के बीच संतुलन बनाए रखना होता है। मैं वही करता हूं।हाल ही में आप इंडस्ट्री की असली ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी से मिले थे, कैसा रहा अनुभव?-मैंने अब तक उन्हें टीवी या अवॉर्ड शो में ही देखा था। पहली बार उनसे रूबरू हुआ। बातचीत की, डांस किया। मुझे उनसे ज्यादा ग्रेसफुल और कोई लगा नहीं। आज भी उनमें एक बालसुलभ खूबी है। वे अंदर से बेहद यंग हैं। वे आज भी टूर पर जाती हैं, दो-दो घंटे के डांस के परफॉर्मेंस देती हैं। वे जानी-मानी भरतनाट्यम डांसर हैं। उनके चेहरे पर एक अलग-सा नूर है, तभी उन्हें ड्रीम गर्ल कहा जाता है।Raksha Bandhan: आयुष्मान से लेकर अनन्या पांडे और अदा शर्मा तक, कुछ अलग अंदाज में मनाते हैं ये सितारे रक्षाबंधनआपकी पिछली फिल्म एक्शन स्टार में आपने जमकर मेहनत की, फिल्म समीक्षकों को भी पसंद आई मगर बॉक्स ऑफिस पर वो कमाल नहीं दिखा पाई?-मुझे लगता है कि कभी-कभी फिल्म की टाइमिंग कारक होती है। मैं समझता हूं कि आज के दौर में अगर फिल्म रिलीज होती, तो शायद अच्छा करती। फिल्म काफी क्रिस्प थी, दो घंटे के अंदर कई टर्न और ट्विस्ट थे। अपनी उस फिल्म के लिए सबसे ज्यादा कॉन्फिडेंट था मैं, मगर वो नहीं चली। मुझे उससे काफी कुछ सीखने मिला। ये जाना भी कि सब कुछ आपके हाथ में नहीं होता।