‘यारियां’ जैसी सौ करोड़ का बिजनेस करने वाली फिल्म से बॉलीवुड में आईं रकुल प्रीत आज एक टॉप एक्ट्रेस बन चुकी हैं। साउथ में कई हिट फिल्में दे चुकीं रकुल ‘अय्यारी’, ‘रनवे 34’, ‘डॉक्टर जी’, ‘छत्रीवाली’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। इन दिनों वे चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म ‘आई लव यू’ से। उनसे ‘नवभारत टाइम्स’ की एक बातचीत।रकुल आपकी फिल्म ‘आई लव यू’ ओटीटी पर स्ट्रीम हो रही है। आपने पहली बार आई लव यू किसे कहा था?मैंने तो अपने मम्मी-पापा को कहा था। मुझे याद है, जैसे ही मैंने बोलना सीखा, मैंने अपने माता-पिता को आई लव यू कह डाला।रकुल प्रीत सिंह फिल्मकहते हैं मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज है, तो क्या आप इश्क में जुनून की हद को पार करने में यकीन रखती हैं?मुझे लगता है सब कुछ की भी एक लिमिट होनी चाहिए। प्यार में पागलपन, जुनून और उत्तेजना हो सकती है, मगर वो ऑब्सेशन नहीं बनना चाहिए। इंग्लिश में एक कहावत है कि ‘यू कैन बी क्रेजी इन लव बट यू कांट गो मैड।’ एक पतली सीमा रेखा तो होनी चाहिए। प्यार कंस्ट्रक्टिव होना चाहिए, डिस्ट्रक्टिव नहीं।रकुल प्रीत सिंह नई मूवीअगर मैं टीनएज की बात करूं, लड़कियां इस उम्र में आम तौर पर सेल्फ डाउट करती हैं। क्या आप इस अनुभव से गुजरी हैं?सेल्फ डाउट तो मैं नहीं कहूंगी, मगर खुद को लेकर एक ऑकवर्ड स्थिति से जरूर गुजरी हूं। टीनएज से पहले आपकी एक उम्र ऐसी होती है, जब आप काफी क्यूट बच्चे होते हो, मगर फिर एक उम्र ऐसी आती है, जब आपको पता नहीं होता कि आपके दांत कैसे आएंगे? मेरे दो दांत ऊपर को निकले हुए थे, तो बहुत ऑकवर्ड महसूस होता था, मगर मेरे पेरेंट्स हमेशा से इस बात को लेकर सजग थे, तो उन्होंने मेरा तभी डेंटल ट्रीटमेंट करवा दिया था और मेरे ब्रेसेस लगवा दिए थे। सातवीं-आठवीं में जब आप अच्छे लगना चाहते हो, तब मेरे दांतों पर ब्रेसेस थे। मगर शुक्र है दसवीं में वो निकल गए। उस वक्त ये सभी बातें आपके लिए बहुत अहम होती हैं, मगर आज जब उन बातों के बारे में सोचती हूं, तो हंसी आती है।रकुल प्रीत सिंह फिल्ममनोरंजन जगत में रिजेक्शन आम बात है। आपको किस तरह के रिजेक्शन से गुजरना पड़ा है?मैं भी कई बार नकारी गई हूं। तेलुगू में मैं तीन फिल्मों से रिजेक्ट हुई थी और हिंदी में भी यारियां से पहले मैं कई ऑडिशन से गुजरी हूं और मुझे रिजेक्शन सहना पड़ा। हिंदी में भी ऐसी दो-तीन फिल्में थीं, जब मैं शॉर्टलिस्ट हुई। फिल्म पाने के काफी करीब थी, मगर बात नहीं बनी। आपको पता ही है कि धोनी के लिए भी मुझे फाइनल किया गया था, मगर डेट्स प्रॉब्लम के कारण मैं वो नहीं कर पाई। बाद में मैंने नीरज पांडे के साथ अय्यारी की, तो यह तो इस प्रोफेशन का हिस्सा है। इससे हर कलाकार को गुजरना पड़ता है। मैंने रिजेक्शन की उस नकारात्मकता को कभी भी अपने सिर पर बोझ नहीं बनने दिया और आगे बढ़ती गई।बॉलीवुड में ‘यारियां’ जैसी सौ करोड़ की फिल्म देने के बाद आपने साउथ का रुख क्यों कर लिया था?मैं आपको बता दूं कि मैंने अपनी पहली साउथ की फिल्म तब की थी, जब मैं मॉडलिंग किया करती थी। तब तक मैं यह भी नहीं जानती थी कि मैं फिल्मों में काम करूंगी या नहीं? मगर उन लोगों ने कहा कि हमने इसकी डेट ऑफ बर्थ देखी है और ये एक दिन बड़ी स्टार बनेगी। उस वक्त तो मैंने महज पॉकेट मनी के लिए यह फिल्म की थी। तब मुझे पॉकेट मनी के रूप में दो -ढाई हजार मिलते थे। मैंने सोचा, यार पांच लाख मिलेंगे, मैं अपनी गाड़ी ले लूंगी। मैं अपने दोस्तों में गाड़ी लेने वाली पहली लड़की होऊंगी। कैमरा फेस करने के बाद ये तय हो गया कि मैं भविष्य में एक्टिंग करना चाहूंगी, मगर ये भी तय था कि अभिनय मैं कॉलेज खत्म होने के बाद करूंगी। वो फिल्म जब रिलीज हुई, तब मैं अपने कॉलेज के सेकंड ईयर में थी और उस फिल्म के बाद मुझे बहुत कॉल आने लगे। मगर मैं मैथ्स ऑनर कर रही थी और मेरी अटेंडेंस वैसे ही शार्ट थी, तो मैं ऑफर्स रिजेक्ट करती गई।’मैं उन लोगों से कहती, ‘मैं मैथ्स ऑनर कर रही हूं, अभी फिल्म करने का टाइम नहीं है। उस वक्त मुझे ये पता नहीं था कि ऐसे काम नहीं होता। अपनी ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने ऑफर्स की तरफ ध्यान दिया और मैंने एक फिल्म साइन की, जो नवंबर में आई और उसके बाद यारियां जनवरी में आई, मगर तब तक मेरी साउथ फिल्म चल चुकी थी और मैंने वहां के ऑफर्स लेने शुरू कर दिए। मैं वहां बिजी हो गई। मुझे लगा जब मुंबई में काम मिलेगा मुझे बुला लिया जाएगा। मुझे तब पता नहीं था कि बॉलिवुड की फिल्मों में काम करने के लिए मुंबई में रहना जरूरी होता है। मैं उस वक्त महज बीस साल की थी, मुझे बताने वाला कोई नहीं था। मगर साउथ में मैंने महेश बाबू, अल्लू अर्जुन, राम चरण जैसे सभी बड़े स्टार्स के साथ काम किया। फिर मुझे हिंदी फिल्मों के भी ऑफर्स आने लगे, मगर जब मेरे हाथ से दो-तीन हिंदी फिल्में निकल गईं, तब मैंने पूरी तरह से यहां शिफ्ट होने का फैसला किया।’Kiara Advani Father: पिता और ससुर दोनों की लाडली हैं कियारा आडवाणी, हर किसी का दिल जीत रहीं ये प्यारी तस्वीरेंआपने अपने करियर की शुरुआत यारियां से की थी, मगर अब आपके लिए रोल लिखे जा रहे हैं, तो क्या ओटीटी के आने के बाद चाहे वो पे पैरिटी हो या भूमिकाओं की बात हो अथवा अपनी बात कहने का मुद्दा, ऐक्ट्रेसेस की स्थिति में बदलाव आया है?मुझे लगता है बात सिर्फ ओटीटी की नहीं है, ओवरऑल अभिनेत्रियों की स्थिति में बदलाव आया है। आज हम सभी बहुत अच्छे दौर से गुजर रहे हैं। तब्बू मैम, भूमि, तापसी, शेफाली शाह सभी एक्ट्रेसेस को बहुत कमाल के रोल मिल रहे हैं। ये सभी अपने उत्क्रुष्ट दौर से गुजर रही हैं। ऑडियंस भी इन्हें अलग-अलग भूमिकाओं में अपना रही हैं। नीना गुप्ता जी या डिंपल मैम को ही ले लीजिए। इन सभी अभिनेत्रियों का एक री इन्वेंशन हुआ है। यह सभी अभिनेत्रियों के लिए निसंदेह बहुत ही खूबसूरत समय है।