भारतीय सिनेमा की दुनिया में संगीत को ‘पंचम दा’ (Pancham Da) ने नया आयाम दिया। 60 से लेकर 90 तक के दशक में उनके गीतों ने धूम मचाई। राहुल देव बर्मन (Rahul Dev Burman) यानी आरडी बर्मन ने 331 फिल्मों में संगीत दिया। किशोर कुमार और आशा भोसले (Asha Bhosle) की सुपरस्टार सिंगर बनाया। यही नहीं, उन्होंने लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के साथ भी कई गाने कम्पोज किए। आरडी बर्मन को सभी प्यार से ‘पंचम दा’ बुलाते हैं। वह देश के अब तक से सबसे सफल म्यूजिक डायरेक्टर थे। 27 जून 1939 को पैदा हुए पंचम दा, मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन (एसडी बर्मन) के बेटे थे। पूरी दुनिया को अपनी संगीत की धुन पर नचाने और प्यार का अहसास दिलाने वाले पंचम दा खुद पर्सनल लाइफ में भी बहुत रोमांटिक थे। एक दौर था जब वह आशा भोसले पर लट्टू हो गए थे। आशा को जब उन्होंने शादी के लिए प्रपोज किया तो सिंगर ने एक झटके में उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। लेकिन पंचम दा ने आखिरकार आशा भोसले को शादी के लिए मना ही लिया। दोनों की लव स्टोरी किसी संगीतमय गीत की तरह ही है, जिसमें दर्द है, प्यार है, समर्पण है और विरह भी है।पहली पत्नी से तलाक और ‘मुसाफिर हूं यारों’पंचम दा ने दो शादियां की थीं। पहली शादी रीता पटेल से हुई थी। आशा भोसले की भी यह दूसरी शादी थी। पंचम दा अपनी पहली पत्नी से पहली बार दार्जलिंग की वादियों में मिले थे। रीता असल में उनकी एक फैन थीं। दोनों ने 1966 में शादी की, लेकिन 1971 में ही दोनों का तलाक हो गया। पंचम दा ने पहली पत्नी से तलाक के बाद ही एक होटल में ‘परिचय’ फिल्म का गीत ‘मुसाफिर हूं यारों’ कम्पोज किया था।एक सा दर्द, एक सी राह पर दो मुसाफिरआशा भोसले से आरडी बर्मन की पहली मुलाकात 1970 की शुरुआत में हुई थी। तलाक के बाद पंचम दा जिंदगी के सफर में अकेले थे। इधर, आशा भोसले के पति गणपतराव भोसले का भी 1966 में निधन हो गया था। दोनों जिंदगी के एक ही सफर पर थे, लेकिन अकेले-अकेले। आशा और पंचम दा ने साथ में खूब काम किया। ‘पिया तू अब तो आजा’ और ‘दम मारो दम’ जैसे जिन गीतों ने लिए आशा भोसले को पॉप्युलैरिटी और अवॉर्ड दोनों मिले, उन्हें पंचम दा ने ही कम्पोज किया था।…और आशा ने शादी से कर दिया इनकारपंचम दा, आशा भोसले को पसंद (Asha Bhosle And Pancham Da’s Love Story) करने लगे थे। दोनों को जिंदगी में पार्टनर से अलग होने का करीब-करीब एक जैसा दर्द मिला था, इसलिए यह प्यार और गहरा था। संगीत की साधना ने दोनों को और करीब लाने का काम किया। पंचम दा ने एक दिन आशा भोसले को शादी के लिए प्रपोज कर दिया। लेकिन आशा ने शादी करने से साफ इनकार कर दिया।1980 में हुई आशा और पंचम दा की शादीपंचम दा उम्र में आशा भोसले से 6 साल छोटे थे। लेकिन आशा के इनकार की वजह उम्र नहीं थी। वह अभी भी अपने पति के मौत के गम से बाहर नहीं निकली थीं। पुरानी यादें उनका पीछा कर रही थीं। लेकिन पंचम दा हार मानने वालों में से नहीं थे। उन्होंने जैसे-तैसे आशा भोसले को शादी के लिए राज़ी कर ही लिया। बताया जाता है कि इस काम में लता मंगेशकर ने भी पंचम दा की बड़ी मदद की थी। आखिरकार, सब तय हुआ और 1980 में दोनों की शादी हो गई।लता मंगेशकर से मांगा था शादी पर ‘कीमती’ तोहफाआशा भोसले और पंचम दा की जोड़ी ने सिनेमाई संगीत की दुनिया में राज किया। उनकी शादी को लेकर एक और दिलचस्प किस्सा लता मंगेशकर के वेडिंग गिफ्ट का है। पंचम दा अपनी ज्येष्ठ साली लता मंगेशकर को ‘दीदी’ बुलाते थे। इन दोनों ने भी साथ में ‘तेरे बिना जिंदगी से’, ‘इस मोड़ से जाते हैं’, ‘नाम गुम जाएगा’ और ‘तेरे बिना जिया जाए’ जैसे सुपरहिट गाने दिए थे। लता मंगेशकर ने चैतन्य पादुकोण की किताब ‘आरडी बरमनिया’ में पंचम दा संग अपने अटूट रिश्ते का जिक्र किया है। लता कहती हैं, ‘जब पंचम और आशा की शादी हुई उन्होंने मुझसे कहा कि दीदी हमें आपसे कोई महंगा तोहफा नहीं चाहिए। यदि आप कुछ देना ही चाहती हैं तो एक काउंसलिंग लेटर लिखिए मेरे लिए और बताइए कि मुझे एक खूबसूरत शादीशुदा जीवन के लिए क्या-क्या करना चाहिए और क्या-क्या नहीं।’हमेशा लॉकर में रखते थे लता की चिट्ठीलता मंगेशकर बताती हैं कि पंचम दा ने लता मंगेशकर की उस चिट्ठी को जिंदगीभर संभालकर रखा। वह उस चिट्ठी को हमेशा अपनी अलमारी के लॉकर में रखते थे। शादी के बाद आशा भोसले और पंचम दा ने एक खूबसूरत जिंदगी बिताई। दोनों निजी जीवन में तो बेहतरीन थे ही, संगीत की दुनिया में भी यह जोड़ी खूब चमकी। लेकिन 80 के दशक के आखिरी कुछ वर्षों में दोनों के खुशहाल जीवन में शराब ने ‘जहर’ घोलने का काम किया।1994 में कार्डियक अरेस्ट से हो गई मौतपंचम दा को अपने आखिरी वक्त शराब की ऐसी लत लगी, जिससे आशा भोसले कभी खुश नहीं थीं। हालांकि, फिर भी दोनों के बीच प्यार, सम्मान और एक-दूसरे के लिए समर्पण बना रहा। हर शादीशुदा जीवन में कुछ परेशानियां आती हैं, आशा और पंचम दा के जीवन में एक वक्त ऐसा आया, लेकिन दोनों ने इस रिश्ते को बड़ी खूबसूरती के साथ संभाला। लेकिन इसी बीच महज 54 साल की उम्र में 4 जून 1994 को कार्डियक अरेस्ट के कारण पंचम दा का निधन हो गया।पंचम दा, किशोर कुमार और राजेश खन्ना की तिकड़ीपंचम दा का जाना, संगीत की दुनिया के लिए सबसे बड़ा धक्का था। पंचम दा के गीतों ने न सिर्फ किशोर कुमार (Kishore Kumar) और आशा भोसले, बल्कि राजेश खन्ना को भी स्टार बनाया था। राजेश खन्ना (Rajesh Khanna), पंचम दा और किशोर कुमार की तिकड़ी ने 32 फिल्मों में साथ काम किया था। जबकि पंचम दा ने राजेश खन्ना के लिए 40 फिल्मों के गाने कम्पोज किए थे। पंचम दा के निधन के बाद उनकी फिल्म ‘1942: ए लव स्टोरी’ रिलीज हुई थी। ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’, ‘कुछ ना कहो’, ‘प्यार हुआ चुपके से’, ‘रूठ ना जाना तुमसे कहूं तो’ जैसे गीतों ने हर किसी के दिल में जगह बनाई। लेकिन अफसोस इस सफलता को देखने के लिए पंचम दा हमारे बीच नहीं थे। इस फिल्म के लिए पंचम दा को उनका तीसरा फिल्मफेयर अवॉर्ड भी दिलवाया।सरकार ने सम्मान में जारी किया डाक टिकटपंचम दा ने कुछ फिल्मों के लिए गाने भी गाए थे। फिल्म ‘शोले’ के लिए गाए उनके गीत ‘महबूबा ओ महबूबा’ के लिए उन्हें बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का फिल्फेयर नॉमिनेशन भी मिला था। साल 2013 में भारत सरकार ने पंचम दा की याद में एक डाक टिकट भी रिलीज किया। आरडी बर्मन ने सिर्फ हिंदी फिल्मों के लिए म्यूजिक कम्पोज नहीं किया। उनके 331 गीतों में से 292 हिंदी के सॉन्ग हैं, जबकि 31 गाने बंगाली, 3 तेलुगू, 2 तमिल, 2 ओडिया और 1 मराठी सॉन्ग भी है। पंचम दा ने हिंदी और मराठी के 5 टीवी सीरियल्स में भी म्यूजिक दिया था।