Ricky Kej: कभी डेंटिस्ट थे रिकी केज, म्‍यूजिक की नहीं ली कोई ट्रेनिंग, फिर भी जीत चुके हैं 3 ग्रैमी अवॉर्ड – ricky kej indian composer won grammy award 2023 look at his inspiring journey from dentist to musician monday motivation

लॉस एंजेलिस में हुए ग्रैमी अवॉर्ड्स 2023 में एक बार फिर भारत का डंका बजा। बेंगलुरू के रहने वाले म्यूजिक कंपोजर रिकी केज को उनके एल्बम ‘डिवाइन टाइड्स’ को ग्रैमी अवॉर्ड मिला। रिकी केज का यह तीसरा ग्रैमी है। इससे पहले उन्होंने पहला ग्रैमी 2015 और दूसरा ग्रैमी 2022 में जीता था। ग्रैमी के बाद से रिकी केज एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। देश के इस कोने से दुनिया के आखिरी छोर तक रिकी केज की चर्चा हो रही है। रिकी केज ने अपने करियर की शुरुआत एक कीबोर्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी और आज आलम यह है कि उनके गानों और संगीत के दुनियाभर में कद्रदान हैं।लेकिन क्या आप जानते हैं कि Ricky Kej केज ने एक समय पर म्यूजिक छोड़कर डेंटिस्ट बनने का फैसला कर लिया था? रिकी केज के परिवार में ज्यादातर लोग मेडिकल के फील्ड में हैं। ऐसे में उस फील्ड से इतर म्यूजिक में करियर बनाने का फैसला बहुत चैलेंजिंग था। मंडे मोटिवेशन सीरीज में जानिए रिकी केज की मेहनत और जज्बे की कहानी, जिसके कारण उनका नाम आज ग्रैमी के साथ-साथ दुनियाभर में छाया है।Grammy Awards 2023: ग्रैमी अवॉर्ड्स में बजा भारत का डंका, रिकी केज ने जीता तीसरा सम्मान, देखिए विनर्स की लिस्टडेंटिस्ट की पढ़ाई करते-करते म्यूजिक में एंट्रीरिकी केज का जन्म 5 अगस्त 1981 में हुआ था। वह आधे पंजाबी और आधे मारवाड़ी हैं। जब रिकी केज 8 साल के थे, तभी बेंगलुरू चले गए और वहीं रहने लगे। वहां उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद ऑक्सफोर्ड डेंटल कॉलेज में एडमिशन लिया। चूंकि परिवार में सारे लोग डॉक्टरी लाइन में ही थे। इसलिए रिकी केज ने भी इसी में करियर बनाने के इरादे से आगे की पढ़ाई की। रिकी केज डेंटिस्ट की पढ़ाई पूरी करके इस फील्ड में शुरुआत करने के लिए तैयार थे। पर उन्होंने डेंटिस्ट बनने का सपना छोड़ दिया और फिर म्यूजिक की दुनिया में ही कदम रखे।बेंगुलुरु के रॉक बैंड से जुड़े, इस एक्टर के पोतेयूनिवर्सिटी में डेंटिस्ट की पढ़ाई करते हुए ही रिकी केज ने एक रॉक बैंड जॉइन कर लिया था। यहां से रिकी केज का म्यूजिक के प्रति और रुझान बढ़ता चला गया। एक इंटरव्यू में रिकी केज की मम्मी पम्मी केज ने बताया था कि रिकी के अंदर जो काबिलियत है, उसका हुनर उन्हें उनके दादा जानकीदास से मिला है। जानकीदास एक एक्टर ही नहीं बल्कि ओलंपिक साइकिलिस्ट भी थे।कीबोर्ड आर्टिस्ट, फिर बनाया अपना स्टूडियोरिकी केज ने जब डेंटिस्ट बनने का ख्वाब छोड़कर म्यूजिक में करियर बनाने का सपना देखा था, तो परिवार को मनाना आसान नहीं था। लेकिन जैसे-तैसे परिवार को मना लिया और फिर एक कीबोर्ड आर्टिस्ट के रूप में शुरुआत की। रिकी केज बेंगलुरु के ही ‘एंजल डस्ट’ नाम के रॉक बैंड के साथ काम करने लगे और फिर दो साल बाद अपना स्टूडियो सेटअप कर लिया। इसके बाद रिकी केज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह खुद के गाने और जिंगल कंपोज करने लगे। रिकी केज ने म्यूजिक की कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली। वह प्रैक्टिस से ही खुद में सुधार करते चले गए। उन्होंने बस क्लासिकल म्यूजिक की पढ़ाई जरूर की थी। तब वह 24 साल के थे।100 से अधिक अवॉर्डरिकी केज ने दुनियाभर में 30 से भी अधिक देशों में परफॉर्म किया है और ढेरों अवॉर्ड जीते हैं। बताया जाता है कि उन्होंने म्यूजिक के लिए दुनियाभर में 100 से भी अधिक अवॉर्ड जीते हैं और देश का नाम रोशन किया है।