Saturday Superstar: भारत की पहली ‘करोड़पति’ एक्ट्रेस, एक फिल्म के लिए 5 लाख रुपये फीस, मिली थी दर्दनाक मौत – india first crorepati actress kanan devi used to charge rs 5 lakh for a film had painful death

हिंदी सिनेमा की पहली सिंगर और एक्ट्रेसेस में से एक रहीं कानन देवी। जिनका निधन 30 साल पहले हो गया था, लेकिन उनकी यादें जहन में जिंदा हैं। आप शायद ही ये बात जानते होंगे कि वो एक फिल्म के लिए 5 लाख रुपये और एक गाने के लिए 1 लाख रुपये फीस लेती थीं। ये रकम इसलिए बहुत बड़ी है, क्योंकि उन दिनों फिल्मों का पूरा बजट 15000-20000 रुपये के आसपास हुआ करता था। अगर कानन देवी की तबकी फीस को आज के हिसाब से देखा जाए तो ये कहा जा सकता है कि वो भारत की पहली ‘करोड़पति’ एक्ट्रेस थीं।Kanan Devi का जन्म 22 अप्रैल 1916 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके असली माता-पिता के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। उनकी बायोग्राफी के मुताबिक, कानन देवी का पालन-पोषण रतन चंद्र दास और राजोबाला नाम के कपल ने किया, इसलिए वो उन्हें अपना माता-पिता मानती थीं। रतन चंद्र ने कानन देवी को अपनी बेटी की तरह माना और उन्हें संगीत की शिक्षा दी, लेकिन कुछ सालों के बाद उनकी मौत हो गई।अमीर घरों में करना पड़ा कामकानन देवीरतन चंद्र परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे और उनकी मौत के बाद परिवार में आर्थिक संकट आ गया। खाने के लाले पड़ गए। कानन देवी और उनकी मां राजोबाला को किराए के घर से बाहर निकाल फेंका। राजोबाला ने दो वक्त की रोटी कमाने के लिए कोलकाता के अमीर लोगों के घरों में बेटी कानन के साथ काम करना शुरू कर दिया।नौकरानी बन गई थीं काननकानन बहुत ही कम उम्र में नौकरानी बन गईं। कानन देवी और उनकी मां की हालत पर तरस खाकर एक रिश्तेदार उन्हें घर ले आए, लेकिन वो रिश्तेदार उन्हें परिवार की तरह रखने की बजाय उनसे घंटों काम कराते थे और उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। कानन देवी उनके दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उन्होंने फैसला किया कि वह अब किसी के घर में नहीं रहेंगी। उस समय कानन देवी मात्र 7 साल की थीं।फिल्म जिसे देखने सिनेमाहॉल के बाहर चप्पल उतारकर जाते थे लोगवेश्यालय के पास रहने लगीं मां-बेटीकानन देवीरिश्तेदारों का घर छोड़ने के बाद कानन और राजोबाला हावड़ा लौट आए और वे एक वेश्यालय के पास रहने लगे। कानन देवी और उनकी मां की आर्थिक स्थिति पर पारिवारिक मित्र तुलसी बनर्जी (स्टेज आर्टिस्ट) को दया आई। कानन उन्हें काका बाबू कहती थीं। उन्होंने 10 साल की कानन को मदन थिएटर और ज्योति थिएटर से इंट्रोड्यूस कराया। कानन बचपन से ही बेहद खूबसूरत और तेज दिमाग वाली लड़की थीं।ऐसे मिली पहली फिल्म, 5 रुपये महीना सैलरीमदन मूवी स्टूडियो, कानन देवी की सुंदरता से प्रभावित हो गया और उन्हें 5 रुपये प्रति माह के वेतन पर ‘जयदेव’ फिल्म में साइन कर लिया। फिल्म में कानन देवी को एक छोटा सा रोल मिला। कानन ने 1928-31 तक कुछ फिल्मों में एक्टिंग की और इस दौरान उन्होंने म्यूजिक कंपोजर हिरेन बोस, लिरिसिस्ट धीरेन दास और कवि काजी नजरूल इस्लाम के साथ कुछ गाने भी रिकॉर्ड किए।21 साल की उम्र में मिली पहचानकानन देवी ने ‘शंकराचार्य’, ‘ऋषिर प्रेम’, ‘जोरेबारत’, ‘विष्णु माया’, ‘प्रह्लाद’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। कानन देवी ने फिल्म ‘विष्णु माया’ और ‘प्रह्लाद’ में मुख्य भूमिका निभाई। मन्मयी गर्ल्स स्कूल में कानन का नाम कानन बाला रखा गया और फिर उन्होंने अपना नाम बदलकर कानन देवी रख लिया। 21 साल की उम्र में कानन देवी अपनी खूबसूरती और बेहतरीन अदाकारी के लिए मशहूर हो गई थीं।उस जमाने में 5 लाख रुपये लेती थीं फीसराधा फिल्म कंपनी के साथ काम करते हुए कानन देवी सुपरस्टार बन गई थीं। वो अपने समय की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस थीं। जब फिल्म का बजट 15000-20000 रुपये हुआ करता था, तब कानन एक गाने के लिए 1 लाख रुपये और एक फिल्म के लिए 5 लाख रुपये लेते थे।’मैडम’ कहकर बुलाते थे लोगकानन देवी ने कुल 57 फिल्मों में काम किया और उन्होंने लगभग 40 गाने गाए। वो फिल्म जगत की पहली महिला थीं, जिन्हें पुरुष प्रधान इंडस्ट्री में ‘मैडम’ कहा जाता था। हिंदी सिनेमा में कानन देवी ने दिग्गज एक्टर्स केएल सहगल, पंकज मलिक, प्रथमेश बरुआ, पहाड़ी सान्याल, छवि बिस्वास और अशोक कुमार के साथ भी काम किया।पांच साल में ही टूट गई शादीकानन देवी ने दिसंबर 1940 में अशोक मैत्रा से शादी की थी। वो ब्रह्म समाज के शिक्षाविद् हेरम्बा चंद्र मैत्रा के बेटे थे। ये शादी तत्कालीन रुढ़िवादी समाज को रास नहीं आया। ये शादी लंबे समय तक नहीं चली और कानन देवी ने 1945 में तलाक के लिए अर्जी दायर की।दूसरी शादी, अकेलापन और मौतसाल 1949 में कानन देवी ने हरिदास भट्टाचार्जी से शादी की, जो उस समय बंगाल के गवर्नर के एडीसी थे। हरिदास बाद में डायरेक्टर बने, लेकिन उन्हें हमेशा कानन देवी के पति के रूप में जाना जाता था और यही बाद में कपल के बीच विवाद का कारण बन गया। 4 अप्रैल 1987 को हरिदास कानन के घर से चले गए, लेकिन उन्होंने उन्हें तलाक नहीं दिया। 17 जुलाई 1992 को 76 साल की उम्र में कानन देवी की मौत हो गई, लेकिन हरिदास उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कानन देवी अपने अंतिम दिनों में अकेलापन महसूस करती थीं और उन्हें इस बात का दुख था कि उस समय हरिदास उनके पास नहीं थे।