बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह सोनू सूद (Sonu Sood) की याचिका पर सुनवाई करेगी। सोनू ने कोर्ट से उस पीआईएल पर हस्तक्षेप देने के लिए कहा था जिसमें आरोप लगाया गया कि ऐक्टर ने गलत तरीके से रेमडेसिविर और Tocilizumab इंजेक्शन्स बांटे जब उनसे सोशल मीडिया पर मदद मांगी गई।चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी की बेंच ने पीआईएल पर सुनवाई की। उन्हें सोनू के वकील मिलन देसाई ने बताया कि ऐक्टर ने मामले की सुनवाई में हस्तक्षेप के लिए ऐप्लिकेशन दी थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम उनको सुनेंगे। सोनू ने कहा- शुरू से कर रहा हूं परोपकारी कामसोनू ने अपनी ऐप्लिकेशन में कहा कि महामारी की शुरुआत से वह जरूरतमंदों के लिए परोपकारी काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने जुहू स्थित होटल में डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स को फ्री में रहने की सुविधा मुहैया कराई। लॉकडाउन के दौरान हर दिन 45 हजार लोगों को खाना उपलब्ध कराया और राज्य सरकारों और अथॉरिटीज से अपने खर्चे पर 20 हजार से ज्यादा प्रवासियों को फ्री ट्रांसपॉर्ट उपलब्ध कराया ताकि वे अपने घरों को जा सकें। सोनू को किया गया सम्मानितसोनू ने कहा, ‘महामारी के दौरान लॉकडाउन में प्रार्थी के कामों की दुनियाभर में प्रशंसा हुई और उसे यूनाइटेड नेशन्स डिवेलपमेंट प्रोग्राम के द्वारा प्रतिष्ठित एसडीजी स्पेशल ह्यूमैनिटेरियन ऐक्शन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।’कोऑर्डिनेशन की कमी के कारण नहीं मिल रही थीं दवाइयांसूद ने कहा, ‘जब अप्रैल 2021 में दूसरी लहर आई तो लोग लाइफसेविंग दवाइयों के लिए हर तरफ भागने लगे। मुझे लगा कि जरूरतमंद मरीजों को कोऑर्डिनेशन की कमी के कारण दवाइयां नहीं मिल पा रही थीं। ऐसे में मैंने फैसला किया मैं जरूरतमंद लोगों और उस जगह से संपर्क करूंगा जहां दवाइयां उपलब्ध होंगी ताकि उस जगह से सीधे दवाइयां लोगों को उपलब्ध हो जाएं।’दो स्टेज का था प्रॉसेससोनू ने आगे कहा, ‘यह दो स्टेज वाला प्रॉसेस था जिसमें मरीजों से आधार कार्ड, कोविड रिपोर्ट, डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन जैसे डॉक्युमेंट्स सबमिट करने की रिक्वेस्ट की जाती थी और हॉस्पिटल से संपर्क करके वेरिफिकेशन किया जाता था। जब मैं सही दवा को लेकर संतुष्ट हो जाता था, तब अपने चैनल्स के जरिए बताई गई दवा की उपलब्धता और उसकी लोकेशन को ढूंढने की कोशिश करता था।’लगाए गए झूठे और निराधार आरोपसोनू की ऐप्लिकेशन के मुताबिक, ‘प्रार्थी ने कभी भी व्यापार के लिए दवाइयां नहीं खरीदीं। उसने सिर्फ मरीजों को फार्मेसी का रास्ता बताया जहां दवा उपलब्ध हो। पुणे के फिल्म प्रड्यूसर नीलेश नवलखा ने सच जानने की कोशिश नहीं की और झूठे, निराधार आरोप लगा दिए।’