नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) उद्योग जगत ने सोमवार को सरकार के कोविड महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये प्रोत्साहन उपायों की सराहना करते हुए कहा कि इससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा और कंपनियों के समक्ष नकदी प्रवाह की समस्या दूर होगी। हालांकि उद्योग जगत ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिये और उपाय किये जाने की जरूरत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड- 19 की दूसरी लहर से प्रभावित अर्थव्यवस्था में स्वास्थ्य, एमएसएमई, पर्यटन, निर्यात क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों को सहारा देने के लिये कुल मिलाकर 6,28,993 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। उद्योग मंडल फिक्की ने अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए की गई घोषणाओं का स्वागत करते हुए कहा कि ताजा राहत पैकेज में कोविड प्रभावित क्षेत्रों पर जो जोर दिया गया है वह सराहनीय और यह समय की मांग के अनुसार है।फिक्की के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव मेहता ने कहा ‘‘स्वास्थ्य क्षेत्र पर जोर के साथ कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना एक बड़ा कदम है। महानगरों के अलावा अन्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान देने से छोटे शहरों में समय पर चिकित्सा सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।’’ उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने कहा कि इन उपायों से मांग, निजी निवेश, निर्यात, कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी तथा छोटे शहरों में स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधाएं मजबूत होंगी। इससे कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार को गति मिलेगी। उसने कहा कि इन उपायों से जल्दी ही आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि कोविड महामारी की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से कामकाज बाधित होने से कंपनियों को नकदी के मोर्चे पर जो समस्याएं हुई हैं, वह दूर होगी। उद्योग मंडल के अनुसार, ‘‘आर्थिक प्रोत्साहन उपायों के तहत 6.29 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च से इस साल वृद्धि को उल्लेखनीय गति मिलेगी।’’ एसोचैम ने कहा कि इन उपायों का मकसद कोविड-19 से प्रभावित क्षेत्रों को राहत उपलब्ध कराना है और पैकेज को कई क्षेत्रों के लिये ‘जीवन रक्षक खुराक’ बताया। हालांकि फिक्की के मेहता ने कहा कि इन उपायों से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) समेत कोविड से प्रभावित क्षेत्रों को राहत मिलेगी। लेकिन अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘मांग बढ़ाने के संदर्भ में कई सुझाव दिये गये हैं, जिसमें मनरेगा को विस्तार कर इसे शहरी क्षेत्रों में लागू करना, समाज के वंचित तबकों को नकदी अंतरण, खपत के लिये वाउचर देना आदि शामिल हैं।’’ भारतीय निर्यात संगठनों का महासंघ (फियो) के पूर्व अध्यक्ष एस के सर्राफ ने इन कदमों का स्वागत करते हुए कहा कि इन उपायों से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी और निर्यात में तेजी आएगी।’’ सर्राफ ने कहा, ‘‘ईसीजीसी को बीमा कवर से निर्यात क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। इससे निर्यात समुदाय को इस संकट की घड़ी में मदद मिलेगी। ’’ चमड़ा निर्यात परिषद के चेयरमैन संजय लीखा ने कहा कि वित्त मंत्री की सोमवार को की गयी घोषणाओं से क्षेत्र के निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही ईसीजीसी में इक्विटी डाले जाने के प्रस्ताव से मौजूदा महामाारी की स्थिति में जोखिम कवर की जरूरत पूरी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के विस्तार और कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिये कर्ज गारंटी से निर्यातकों को लाभ होगा।’’ कपड़ा निर्यात संवर्ध परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि ईसीएलजीएस के अंतर्गत 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान और वस्तु निर्यात बीमा कवर बढ़ाकर 88,000 करोड़ रुपये करने को लेकर पांच साल में निर्यात क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (ईसीजीसी) में इक्विटी डाले जाने जैसे फैसलों से एमएसएमई और निर्यातकों को उल्लेखनीय लाभ होगा। इंडियन चैंबर ऑफ कामर्स (आईसीसी) के अध्यक्ष विकास अग्रवाल ने कहा कि समय पर उठाये गये इन कदमों से निश्चित रूप से स्वास्थ्य, छोटे कर्ज देने वाले संस्थानों, पर्यटन, उर्वरक, निर्यात और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा। इंजीनियरिंग निर्यात संवर्ध परिषद (ईईपीसी) के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा कि वित्तीय उपायों की घोषणा समय पर उठाया गया कदम है और महामारी से प्रभावित क्षेत्रों को फिर से पटरी पर आने में मदद मिलेगी। ‘‘6.28 लाख करोड़ रुपये के इस पैकेज से अर्थव्यवस्था में भरोसा बढ़ेगा।’’ इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जिन उपयों की घोषणा की गयी, उसका मकसद कोविड संकट से प्रभावित क्षेत्रों को राहत देना है। साथ ही पूर्व की योजनाओं की समयसीमा बढ़ायी गयी है। उन्होंने कहा, ‘‘गारंटी योजनाओं और पहले की जा चुकी घोषणाओं को अलग रखते हुए, नये ऐलान के आधार पर वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय व्यय में लगभग 600 अरब रुपये की वृद्धि का अनुमान है।’’ इक्रियर के वरिष्ठ फेलो डा. अली मेहदी ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के 50,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था के अलावा बच्चों के इलाज और देखभाल सुविधाओं के लिये 23,220 करोड़ रुपये की अतिरिक्त घोषणा शानदार कदम है। निवेश सलाहकार सेवा फर्म मिलवुड केन इंटरनेशल के संस्थापक एवं सीईओ नीश भट्ट ने कहा कि खास कर अप्रैल और मई में लागू सार्वजनिक पाबंदियों के बाद सरकार की ओर से मदद की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि ऋण गारंटी योजना के विस्तार से उन क्षेत्रों की इकाइयों को कर्ज सुनिश्चित हो जो महामारी में सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।एमके ग्लोबल फाइनेशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि सरकार के ये कदम स्वागत योग्य हैं लेकिन ये सीधे प्रोत्साहन न होने के बजाय ऋण गारंटी के रूप में हैं और पूंजीगत खर्च के लिए है। माधवी का अनुमान है कि विभिन्न प्रकार की खींच तान में चालू वित्त वर्ष के दौरान केंद्र का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.8 प्रतिशत के बजट अनुमान से 0.5 प्रतिशत ज्यादा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस समय अर्थव्यवस्था के लिए मौद्रिक नीति ज्यादा कारगर नहीं होगी । ऐसे में राजकोषयी समर्थन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। एकारो गारंटीज के सीईओ विकास खंडेलवाल ने कहा कि ‘कारोबारी इकायों को कर्ज हासिल करने में मदद के लिए ऋण गारंटी एक कारगर उपाय है।’