अमरावती, 29 जुलाई (भाषा) गेल और एचपीसीएल द्वारा आंध्र प्रदेश के काकिनाडा में संयुक्त रूप से स्थापित किया जाने वाला पेट्रोकेमिकल परिसर परियोजना अधर में लटकी है। इस परियोजना को व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए इसको सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दिए जाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहमति न बन पाने की वजह से इसका मामला अटका हुआ है। जहां केंद्र का कहना है कि “परियोजना को व्यवहार्य बनाने के लिए 5,615 करोड़ रुपये के व्यवहार्यता अंतर कोष (वीजीएफ) की जरूरत है।” राज्य का तर्क है कि 32,901 करोड़ रुपये की यह परियोजना कॉर्पोरेट कर और ब्याज दरों में कमी करने से बिना किसी वीजीएफ के व्यावहारिक हो सकती है।केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार को “राज्य के समग्र हित में” इस मुद्दे पर “उचित फैसला” लेना होगा क्योंकि परियोजना का अर्थव्यवस्था पर “प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और प्रेरित करने वाला प्रभाव” पड़ेगा।उन्होंने कहा, “पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार को बताया है कि रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजनाओं में काफी पूंजी और बड़ी मात्रा में निवेश की जरूरत है। पेट्रोलियम क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने राज्य को बताया है कि परियोजना को व्यवहार्य बनाने के लिए वीजीएफ जरूरी है।” परियोजना अब पिछले सात से ज्यादा वर्षों से अटकी पड़ी है। आंध्र प्रदेश के उद्योग और अवसरंचना मंत्री एम जी रेड्डी ने कहा, “हमारे मुख्यमंत्री पहले ही बिना किसी वीजीएफ के इस रणनीतिक परियोजना को आगे बढ़ाने को लेकर केंद्र से सहायता का अनुरोध कर चुके हैं। इससे आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत की गयी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी।”