हाइलाइट्स:अगर किसी बैंक में कंपनियों को दी जाने वाली तमाम सुविधाओं का 10 फीसदी भी नहीं है, तो उन्हें कंपनियों के करंट अकाउंट छोड़ने होंगे और दूसरे बैंकों में मूव करने होंगे। इन सुविधाओं में लोन, नॉन-फंड बिजनस जैसे गारंटी और डेलाइट ओवरड्राफ्ट या इंट्रा डे भी शामिल हैं। इस फैसले के बाद कुछ बैंक अपनी सुविधाएं बढ़ा रहे हैं और कुछ बैंक कंपनियों के करंट अकाउंट दूसरे बैंक में मूव कराने की तैयारी में हैं।नई दिल्लीभारतीय रिजर्व बैंक ने तमाम बैंकों से सभी कंपनियों के उन करंट अकाउंट को छोड़ने और दूसरे बैंक में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है, जिनका एक्सपोजर रिजर्व बैंक की तरफ से निर्धारित कट-ऑफ से कम है। रिजर्व बैंक ने इसे लेकर करीब 15 दिन पहले ही एक लेटर भी बैंकों को भेजा था। करीब साल भर पहले रिजर्व बैंक ने इस दिशा में काम करना शुरू किया था। इसकी वजह से बहुत सारे लुभावने ऑफर वाले करंट अकाउंट मल्टी नेशनल बैंकों से माइग्रेट होकर पब्लिक सेक्टर बैंकों और भारत के कुछ बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंकों के पास आ सकते हैं।क्या है नया नियम?नए नियम के मुताबिक वह बैंक किसी कंपनी का करंट अकाउंट नहीं रख सकता है, जिसके पास कंपनियों को दी जाने वाली तमाम सुविधाओं का 10 फीसदी भी नहीं है। इन सुविधाओं में लोन, नॉन-फंड बिजनस जैसे गारंटी और डेलाइट ओवरड्राफ्ट या इंट्रा डे भी शामिल हैं। कुछ बैंक को अपने करंट अकाउंट अपने ही पास बनाए रखने के लिए अपनी सुविधाओ को 10 फीसदी के कटऑफ से बढ़ाने की कोशिश में भी लगे हैं।कर्ज के एनपीए बनने की आशंका रहेगी कमभारतीय स्टेट बैंक समेत कई पीएसयू बैंक मानते हैं कि नए नियम लागू होने के बाद काफी कुछ बदलेगा। गलत तरीके से कर्ज लेने वाली कंपनियों का अगर करंट अकाउंट और कलेक्शन अकाउंट कर्ज देने वाले बैंक के साथ होगा तो उसके लिए फंड्स को डायवर्ट करना मुश्किल होगा। ऐसे में कर्ज के एनपीए में तब्दील होने की आशंका भी कम रहेगी। यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि नया नियम म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों पर लागू नहीं होगा।कोरोना काल ने पैदा किया हाइब्रिड वर्क कल्चर, जानिए क्या है ये और कैसे महिलाओं को दे रहा है बड़े मौके!बैंक कर रहे हैं अकाउंट शिफ्टिंग की तैयारीरिजर्व बैंक ये देखकर बहुत ही उदास है कि बैंकों की तरफ से अकाउंट की शिफ्टिंग में काफी समय लग रहा है। हालांकि, इस देरी की एक वजह ये भी हो सकती है कि कई पीएसयू बैंक तकनीक के साथ तैयार ना हों। रिजर्व बैंक सीधे कंपनियों को ये आदेश नहीं दे सकता है जो बैंकों के साथ सालों से बिजनस कर रहे हैं। एक समय ऐसा था जब बहुत से बैंकों और कंपनियों ने इसका विरोध किया था, लेकिन बाद में उन्हें भी समझ आ गया है कि ऐसा करना जरूरी है। टैक्स से जुड़े इन कामों के लिए आगे बढ़ गई डेडलाइन