हाइलाइट्स:पिछले साल पड़ोसी देशों की कंपनियों के निवेश और सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी पर रोक लगाई गई थीलेकिन DoE ने ऐसी घरेलू कंपनियों को बोली लगाने की अनुमति दी जिनका चीनी कंपनियों के साथ टीओटी एग्रीमेंट हैDPIIT ने यह छूट वापस लेने की मांग की है, उसे डर है कि इससे चीन की कंपनियां बैकडोर एंट्री कर सकती हैंनई दिल्लीसरकारी परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को बोली लगाने से रोकने के मसले पर केंद्र सरकार के दो विभाग आमने-सामने आ गए हैं। डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडीचर (DoE) ने ऐसी घरेलू कंपनियों को सरकारी परियोजनाओं में बोली लगाने की अनुमति दी है जिनका चीनी कंपनियों के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर अरेंजमेंट है। लेकिन डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) चाहता है कि यह छूट वापस ली जाए। उसे डर है कि इससे चीन की कंपनियां बैकडोर एंट्री कर सकती हैं।सरकार ने पिछले साल भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों की कंपनियों के भारत में निवेश और सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी पर रोक लगा दी थी। इसका मकसद खासकर चीन की कंपनियों को रोकना था। लेकिन DoE ने 8 जून को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी करके कहा कि यह ऑर्डर उन घरेलू कंपनियों पर लागू नहीं होगा जिनका पड़ोसी देशों की कंपनियों के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) अरेंजमेंट है।Cooking Oil: खाना पकाने का तेल होगा सस्ता, सरकार ने लिया यह महत्वपूर्ण फैसलाक्या है मामलाDPIIT ने 28 जून के DoE को भेजे एक पत्र में कहा है कि उसे कई स्टेकहोल्डर्स की तरफ से ज्ञापन मिले हैं। इनमें आरोप लगाया गया है कि DoE का 8 जून का स्पष्टीकरण पिछले साल के ऑर्डर के मूल उद्देश्य और मंशा के खिलाफ है। DPIIT ने कहा कि इस तरह की छूट से पड़ोसी देशों की कंपनियों को अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी परियोजनाओं में बोली लगाने का मौका मिलेगा जो DoE के 23 जुलाई, 2020 के ऑर्डर का उल्लंघन है।इंडस्ट्री चैंबर्स सीआईआई, फिक्की और एसोचैम, टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स, सेल्युलर मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, साइंस, इंडिजीनस टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड रिसर्च एक्सीलिरेटर और रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकनॉमिक सर्विस लिमिटेड ने एक्सपेंडीचर विभाग के ऑर्डर पर चिंता जताते हुए ज्ञापन दिए हैं। DPIIT ने DoE को मामले की समीक्षा करने और फिलहाल ऑफिस मेमोरेंडम को होल्ड पर रखने का अनुरोध किया है।Petrol Diesel Price: कच्चा तेल फिर तेजी की राह पर, अपने यहां कोई तब्दीली नहींचीनी कंपनियों को मौकामामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि DoE का ऑर्डर आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य के खिलाफ है। हमने वित्त मंत्रालय से इसे रोकने का अनुरोध किया है। DPIIT का कहना है कि DoE के मेमोरेंडम का मतलब है कि चीन की कंपनियां सरकारी खरीद में अपने प्रॉडक्ट्स को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ इंस्टॉलेशन, मेंटनेंस, आफ्टर सेल्स सर्विस और इस तरह की दूसरी सर्विसेज के लिए ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी एग्रीमेंट कर सकती हैं। DoE के पिछले साल के ऑर्डर के मुताबिक अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के बिना इसकी अनुमति नहीं है।