अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने अब राजधानी काबुल को चारों तरफ से घेर लिया है। ऐसे में युद्ध से बचने वालों के पास अब केवल एक ही रास्ता बचा है। तालिबान से लड़ाई न लड़ने वाले अब काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के जरिए ही देश से बाहर निकल सकते हैं। इस हवाई अड्डे की सुरक्षा में अब 3000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। इन सैनिकों को अमेरिका ने अपने काबुल दूतावास को खाली करने के लिए तैनात किया हुआ है। हवाई अड्डे के बाहर लोगों की भारी भीड़ भी देखी जा रही है। पार्किंग से लेकर टिकट काउंटर तक लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं। एक दूसरे के सामानों को धक्का देती भीड़ अपने-अपने हैंडबैग में कपड़ों को निकालती और भरती दिखाई देती है, जिससे सामान का वजन बराबर किया जा सके।फ्लाइट टिकट मिलने के बाद भी 3-3 घंटे की वेटिंगकुछ भाग्यशाली लोगों को बाहर जाने के लिए टिकट भी मिल जा रहा है। जबकि, अधिकतर लोग ऐसे हैं जिनके पास पासपोर्ट होते हुए दूसरे देश का वीजा पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। टिकट पाने के बाद टर्मिनल बिल्डिंग के अंदर लोगों को फ्लाइट के लिए तीन-तीन घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। लोग अपना सामान छोड़ जो भी मिल रहा है उसी के साथ जल्द से जल्द निकलने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे-जैसे तालिबान और करीब आता जा रहा है, लोगों की चिंताएं बढ़ती जा रही है। इन लोगों ने 1996 से 2001 तक के तालिबान के शासन को देखा है। इन्हें पता है कि अगर तालिबान सत्ता में आता है तो उन्हें किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं, लोगों की आजादी तक को छीन लिया जाएगा।काबुल हवाई अड्डे से रोज उड़ान भर रहे सैकड़ों विमानअपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ इस्तांबुल के लिए उड़ान भरने वाले नवीद अज़ीमी ने कहा कि इस युद्ध से दूर एक नया जीवन शुरू करने के लिए मैं जो कुछ भी कर सकता था, मैंने पैक किया। उन्हें डर है कि तालिबान नाटो सेना के साथ ठेकेदार के रूप में काम करने के लिए उनकी हत्या कर देगा। काबुल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा को औपचारिक रूप से हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में जाना जाता है। 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में तालिबान को उखाड़ फेंकने के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने हामिद करजई के नाम पर इस हवाई अड्डे का नामांकरण किया गया था। काबुल के उत्तर-पूर्व में स्थित इस हवाई अड्डे का एकमात्र रनवे यात्री विमानों के साथ सैन्य विमानों के संचालने के लिए पर्याप्त रूप से लंबा है। इस हवाई अड्डे पर एक बार में 100 से अधिक विमानों को पार्क किया जा सकता है।आत्मघाती हमलों से बचने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजामकाबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए इसके चारों तरफ वॉच टॉवर बनाने के साथ बाड़बंदी भी की गई है। बड़ी संख्या में सशस्त्र सैनिक इस एयरपोर्ट की रखवाली के लिए तैनात हैं। अफगानिस्तान की राजधानी के बाहर स्थित पहाड़ियों के पास बने इस एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ रहा है। बाहर उड़ान भरने वालों को टर्मिनल तक पहुंचने से पहले अपने सामान को बाहरी स्क्रीनिंग पॉइंट तक ले जाना पड़ता है। इन स्क्रीनिंग पॉइंट्स पर सामानों की बारीकी से जांच की जाती है। तालिबान के आत्मघाती हमलों को देखते हुए गाड़ियों को बाहर की रोक दिया जा रहा है, जिस कारण लोगों को सामान ढ़ोने में दिक्कतें भी आ रही है। सामानन्य दिनों में यह एयरपोर्ट अफगान और विदेशी नागरिकों की चहल-पहल से भरा रहता था। पर इस समय हर कोई माथे पर चिंता की लकीरे लिए हुए ही दिखाई दे रहा है।अगले एक हफ्ते तक सभी सीटें फुलतालिबान ने पहले की उस शांत भीड़ को काबुल छोड़ने के लिए घबराए हुए यात्रियों से बदल दिया गया है। हवाई अड्डे के कर्मचारियों ने कहा कि अफगान एयरलाइंस एरियाना और काम एयर ने कम से कम अगले सप्ताह के लिए हर सीट बुक कर ली है। हाथ में हवाई जहाज का टिकट रखने वालों को भी जाने के लिए महामारी के बीच एक क्लिनिक में कोरोना वायरस टेस्ट करवाना पड़ता है।काबुल से 20 किमी दूर पहुंचा तालिबानतालिबान ने शनिवार को दो और प्रांतों पर कब्जा कर लिया और अफगानिस्तान की राजधानी के बाहरी इलाके तक पहुंच गया है। वहीं उसने उत्तरी हिस्से के एक बड़े शहर पर चौतरफा हमला किया है जिसकी रक्षा पूर्व क्षत्रप कर रहे हैं। तालिबान ने उत्तर, पश्चिम और दक्षिण अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। इसके कारण यह आशंका बढ़ गई है कि तालिबान फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर सकता है या देश में गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। लोगार से सांसद होमा अहमदी ने शनिवार को बताया कि तालिबान ने पूरे लोगार पर कब्जा कर लिया है और प्रांतीय अधिकारियों को हिरासत में ले लिया है। उन्होंने बताया कि तालिबान काबुल के दक्षिण में मात्र 11 किलोमीटर दूर चार असयाब जिले तक पहुंच गया है। उत्तरी बल्ख प्रांत में प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता मुनीर अहमद फरहाद ने बताया कि तालिबान ने शनिवार तड़के मजार-ए-शरीफ पर कई दिशाओं से हमला किया। इसके कारण इसके बाहरी इलाकों में भीषण लड़ाई शुरू हो गई। उन्होंने हताहतों के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी।