‘चंद्रयान-3 शानदार उपलब्धि, चांद पर इंसानों की कॉलोनी बनाने के लिए यह पानी की खोज कर सकता है’

नई द‍िल्‍ली: चंद्रयान-3 की सफलता ने हर भारतवासी का सीना चौड़ा कर दिया है। स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में जियोफिजिक्‍स पढ़ाने वाली सोनिया टिकू-शांट्ज ने इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया है। उन्‍होंने हमारे सहयोगी ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ से खास बातचीत में भारत के इस मिशन पर चर्चा की। उनके मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चांद पर इंसानों की कॉलोनी बनाने के लिए पानी की खोज कर सकता है। यह इस मिशन का बहुत बड़ा पहलू है।क्या आप भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर अपने विचार साझा कर सकती हैं?चंद्रयान-3 देश और दुनियाभर के सभी भारतीयों के लिए शानदार उपलब्धि है। किसी अन्य ग्रह की सतह पर अंतरिक्ष यान को उतारना बहुत मुश्किल है। पिछले हफ्ते ही रूस का लूना 25 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। धरती से प्रक्षेपण, चंद्रमा तक पहुंचना और सुरक्षित लैंडिंग से जुड़ी इंजीनियरिंग बेहद जटिल है। चंद्रयान-3 की सफलता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कौशल का प्रमाण है। भारत ने अब खुद को अंतरिक्ष खोज में वर्ल्‍ड लीडर के तौर पर स्थापित कर लिया है।आपकी फील्‍ड पुराचुम्बकत्व (Paleomagnetism) से जुड़ी है, यह है क्‍या?यह समय के साथ ग्रहों पर चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन है। मैं उन क्षेत्रों के इतिहास को समझने के लिए चांद सहित ग्रह पिंडों से चट्टान के नमूनों पर शोध करती हूं। इस तरह के क्षेत्र को जेनरेट करने की क्षमता से पता चलता है कि किसी ग्रह के भीतर कुछ मूलभूत प्रक्रियाएं हुई हैं। मसलन, एक फ्लुइड मेटैलिक कोर का निर्माण जो बाद में समय के साथ ठंडा हो रहा है। किसी ग्रह के कोर में प्रवाहयोग्‍य मेटल की तरल गति चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है। ये क्षेत्र किसी ग्रह की दीर्घकालिक रहने की क्षमता को निर्धारित करने में भूमिका निभा सकते हैं। उनकी अनुपस्थिति अंतरिक्ष में वायुमंडल या पानी के नुकसान को तेज कर सकती है। हमारा मानना है कि मंगल ग्रह पर गर्म मौसम वाली दुनिया थी। लेकिन, इसके वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र के नुकसान ने अब इसे बंजर रेगिस्तान बना दिया है।चांद के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में आपके निष्कर्ष क्या हैं?अपोलो युग के बाद से अंतरिक्ष यान मैग्नेटोमीटर मेजरमेंट के आधार पर हम जानते हैं कि चंद्रमा वर्तमान में चुंबकीय क्षेत्र पैदा नहीं करता है। लेकिन, चांद की सतह में कुछ चुंबकत्व संरक्षित है जो संकेत देता है कि चंद्रमा पर पहले चुंबकीय युग रहा होगा। मैं अपोलो मिशन से वापस लाई गई चट्टानों पर शोध कर चुकी हूं। हम विभिन्न युगों की चट्टानों में चुंबकत्व को देख चुके हैं। अध्ययन किया कि मूल चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता कितनी मजबूत थी। हमने पाया है कि अपने इतिहास की शुरुआत में लगभग 4.25 से 3.5 अरब साल पहले चांद पर एक चुंबकीय क्षेत्र था। इसकी तीव्रता शायद उतनी ही तीव्र रही होगी जितनी आज धरती पर है।नई चट्टानों में से कुछ मैग्‍नेटाइज्‍ड हैं। अन्य नहीं। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह क्षेत्र लगातार संचालित हो रहा था या रुक-रुक कर चल रहा था। हमारे पास कुछ सबूत हैं कि एक कमजोर क्षेत्र 1.5 अरब साल पहले भी बना हो। चंद्रमा जैसे छोटे पिंड के लिए ऐसा क्षेत्र जेनरेट करने के लिए यह बहुत लंबा समय है। यह पृथ्वी की तुलना में तेजी से ठंडा हुआ होगा। ऐसे में चंद्रमा के चुंबकीय रिकॉर्ड के इर्दगिर्द कई राज हैं।क्या आप अपनी शोध पर चर्चा कर सकती हैं कि चंद्रमा का सुदूर भाग हम जो देख सकते हैं उससे बहुत अलग क्यों दिखता है?ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं और मेरी सहयोगी एलेक्स इवांस के नेतृत्व में हमने पता लगाया कि चांद का निकट और दूर का भाग इतना अलग क्यों दिखता है। चांद ज्वारीय रूप से पृथ्वी से घिरा हुआ है। इसमें रोटेशन होता रहता है। इसलिए हम इसका पास वाला भाग ही देख पाते हैं। इसकी सतह पर गहरा लावा बहता है। ये ‘चंद्रमा पर मनुष्य’ बनाते हैं। इनमें से दूर का भाग अपेक्षाकृत अनुपस्थित है। हालांकि, निकट की ओर का गहरा लावा प्रवाह दक्षिणी ध्रुव ऐटकेन बेसिन नामक सबसे बड़े प्रभाव वाले क्रेटर से चंद्रमा के लगभग विपरीत दिशा में है। हमने अनुमान लगाया कि शायद उस बेसिन के निर्माण का चंद्रमा के आंतरिक भाग के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इससे हमें विषमता दिखाई देती है। इस क्षेत्र के प्रभावों के कारण रेडियोऐक्टिव एलिमेंट रिच सामग्री निकट की ओर केंद्रित हो सकती है। इससे ज्‍यादा पिघलने और ज्वालामुखीय गतिविधि में मदद मिल सकती है जो सतह पर लावा प्रवाह के विस्फोट का कारण बन सकती है।अब आप चंद्रयान-3 के डेटा से क्या सीखने की उम्मीद कर रही हैं?चंद्रयान-3 वास्तव में अभूतपूर्व उपलब्धि है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में पहले कभी कामयाबी नहीं मिली है। स्पेक्ट्रोस्कोपी और अन्य सबूत दक्षिणी ध्रुव के पास हाई कॉन्‍सेन्‍ट्रेशन में पानी की उपस्थिति का संकेत देते हैं। यह बहुत दिलचस्प होगा अगर प्रज्ञान रोवर इस क्षेत्र के खनिज रसायन विज्ञान को रिकॉर्ड करने के साथ इसकी पहचान भी कर सके। पानी संभावित रूप से रॉकेट के लिए ईंधन, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ऑक्सि‍जन या पीने के पानी की आपूर्ति कर सकता है। इस अंतरिक्ष खोज की बुनियाद चांद पर मनुष्यों के लिए कॉलोनी स्थापित करने की संभावना देखना है। इसके लिए विश्वसनीय जल स्रोत की आवश्यकता है। अब चंद्रयान-3 के लिए इसका अध्ययन करना बेहद जरूरी है।अंतरिक्ष के सतत विकास का क्या मतलब है?यह बहुआयामी मुद्दा है। एक पहलू पृथ्वी को नुकसान पहुंचाए बिना अंतरिक्ष की खोज करना है। रॉकेटों के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में कुछ चिंता है। दूसरी चर्चा अंतरिक्ष में कबाड़ जमा करने के बारे में है। जबकि एक चर्चा इस बारे में है कि चंद्रमा जैसे किसी अन्य ग्रहीय पिंड पर स्वतंत्र रूप से स्थायी कॉलोनी कैसे बनाई जाए। इसमें ज्‍यादातर संसाधन पृथ्‍वी के बजाय उसी से प्राप्त करना शामिल है। यह बहुत ही रोमांचक और जटिल मुद्दा है। अंतरिक्ष उड़ान का व्यावसायीकरण और अंतरिक्ष खोज के लिए कई देशों की उत्‍सुकता अब तेजी से बढ़ेगी।