चीन को नाइजर में हुए तख्तापलट के बाद अपने निवेश के डूबने की चिंता सताने लगी है। चीन नाइजर में फ्रांस के बाद दूसरा सबसे बड़ा निवेशक है। चीन लंबे समय से नाइजर के संसाधनों का दोहन कर रहा है। ऐसे में उसे डर है कि नई सैन्य सरकार अपने देश के हित में कोई फैसला न ले ले।