प्रिंटिंग प्रेस में छपी दुनिया की पहली किताब में क्या लिखा था? पेरिस में दिखाया जा रहा 1377 का कोरियाई ‘खजाना’ – worlds oldest book printed by machebial press display in paris exhibition know history

पेरिस :मशीनी प्रेस से छापी गई दुनिया की सबसे पुरानी किताब हाल ही में प्रदर्शन के लिए रखी गई। पेरिस में बुधवार को 50 साल में पहली बार यह किताब दुनिया के सामने आई। यह एक कोरियाई किताब है जो प्रिंटिंग प्रेस में छपी पहली यूरोपीय पुस्तक से कई दशक पहले छापी गई थी। Jikji नामक यह किताब बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का एक संग्रह है जिसे 1377 में छापा गया था, जोहान्स गुटेनबर्ग की प्रसिद्ध बाइबिल से करीब 78 साल पहले जिसे उन्होंने जर्मनी की अपनी प्रेस में छापा था।इस कोरियाई ‘खजाने’ को नेशनल लाइब्रेरी ऑफ फ्रांस (BnF) में शुरू हुई एक नई प्रदर्शनी में दिखाया जा रहा है जो जुलाई तक चलेगी। चूंकि कोरियाई मशीनरी का कोई उदाहरण मौजूद नहीं है और उस समय इस तकनीक का व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं किया गया था इसलिए इसमें गुटेनबर्ग प्रेस जैसा क्रांतिकारी असर नहीं था। यह प्रदर्शनी ज्यादातर यूरोपीय इतिहास पर केंद्रित है। यह पहली बार है जब ‘जिकजी’ को 1973 के बाद से सार्वजनिक रूप से दिखाया जा रहा है।Rafale Jet: भारत का राफेल पहली बार विदेशी धरती पर ताकत दिखाने को तैयार, चीन-पाक की गुम होगी हेकड़ीकोरिया में वापसी की उम्मीदकोरियाई मीडिया के अनुसार इसकी वापसी की उम्मीद की जा रही है। ओवरसीज कोरियन कल्चरल हेरिटेज फाउंडेशन के अध्यक्ष किम जंग-ही ने कहा, ‘एक अवसर के रूप में, इस प्रदर्शनी के साथ अगर हम सहयोग को बढ़ाते हैं और विश्वास के आधार पर एक बेहतर रिश्ता बनाते हैं तो मुझे लगता है कि भविष्य में हम जिकजी को कोरिया में देख पाएंगे।’ BnF ने कहा कि गुटेनबर्ग को संभवतः कोरियाई अविष्कार के बारे में जानकारी नहीं थी।किम जोंग उन ने किया ‘सुनामी’ का टेस्ट, नया हथियार महासागर में मचा सकता है खलबली1911 में नीलाम हो गई थी किताबकिताब को विक्टर कॉलिन डी प्लान्सी फ्रांस लाए थे जो 1887 में कोरिया के पहले फ्रांसीसी राजनयिक बने थे। BnF ने कहा कि बतौर प्राचीन ग्रंथों के संग्रहकर्ता उन्होंने इसे एक अज्ञात स्रोत से खरीदा था। बाद में उन्हें पता चला कि यह किताब Xuanguang युग (1371-1378) की है। फ्रांस के नेशनल स्टैटिक्स ब्यूरो के अनुसार, इसे 1900 में पेरिस यूनिवर्सल प्रदर्शनी में दिखाया गया था और कॉलिन डी प्लान्सी ने 1911 में नीलामी में इसे 180 फ़्रैंक में बेच दिया था, जिसकी कीमत आज 60 हजार यूरो से अधिक है।