अफगानिस्तान के जिक्र से अमूमन तालिबान, युद्ध में तबाह हुए शहर और गरीबी का ख्याल ही आता है। हालांकि, भारत के इस पड़ोसी देश के पास असल में छिपा है ऐसा खजाना जो आने वाले वक्त में पूरी दुनिया को अपनी ओर खींच सकता है। दरअसल, भारतीय उपमहाद्वीप के एशिया से टकराने पर धरती पर मौजूद दुर्लभ खनिजों का विशाल भंडार यहां इकट्ठा हो गया, जहां आज अफगानिस्तान है। इन खनिजों का खनन इस देश की सूरज को पूरी तरह बदल भी सकता है लेकिन किसी बाहरी की नजर पड़ने पर हालात और बदतर भी हो सकते हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि आखिर अफगानिस्तान में ऐसा है क्या? (REUTERS/OMAR SOBHANI/FILE PHOTO)अमेरिका ने खोजा खजानाजब 2004 में तालिबान की ताकत को अमेरिका ने हिला दिया, उसके बाद अमेरिकी जियॉलजिकल सोसायटी सर्वे ने इस भंडार का सर्वे शुरू किया था। 2006 में अमेरिकी रिसर्चर्स ने मैग्नेटिक, ग्रैविटी और हाइपरस्पेक्ट्रल सर्वे के लिए हवाई मिशन भी किए। अफगानिस्तान में मिले खनिजों में लोहा, तांबा, कोबाल्ट, सोने के अलावा औद्योगिक रूप से अहम लीथियम और निओबियम भी शामिल है। (Reuters / Danish Siddiqui)आगे उगलेगा ‘सोना’इन सब में से लीथियम की मांग के चलते अफगानिस्तान को ‘सऊदी अरब’ भी कहा जाता है। दरअसल, लीथियम का इस्तेमाल लैपटॉप और मोबाइल की बैटरियों में होता है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने खुद अफगानिस्तान के लीथियम का सऊदी अरब बनने की बात कही थी। जलवायु परिवर्न को देखते हुए यह तय है कि आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन की जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की पूछ बढ़ने वाली है। ऐसे में लीथियम जैसे खनिज की भारी मौजूदगी को अफगानिस्तान की किस्मत बदलने वाला माना जाता है। (OMAR SOBHANI/REUTERS)अब चीन ने गड़ाईं नजरेंयहां सॉफ्ट मेटल निओबियम भी पाया जाता है जिसका इस्तेमाल सुपरकंडक्टर स्टील बनाने में किया जाता है। इतने सारे दुर्लभ खनिजों की मौजूदगी के कारण माना जाता है कि आने वाले समय में दुनिया खनन के लिए अफगानिस्तान का रुख तेजी से करेगी। अभी तक अमेरिका यहां डटा रहा और अब चीन ने भी इसकी ओर अपना निशाना साध लिया है। इसके लिए उसने करीब 62 अरब डॉलर के बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट के तहत CPC (चीन पाकिस्तान कॉरिडोर) का विस्तार अफगानिस्तान तक करने की कोशिश तेज कर दी है। (Omar Sobhani | Reuters)…तो खुद गरीब क्यों रह गया अफगानिस्तान?एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में एक ट्रिल्यन डॉलर की कीमत के संसाधन मौजूद हैं लेकिन हर साल सरकार खनन से 30 करोड़ डॉलर का रेवेन्यू खो देती है। खराब सुरक्षा, कानूनों की कमी और भ्रष्टाचार के कारण बेकार हो रहे संगठनों की वजह से इस क्षेत्र में अफगानिस्तान विकास नहीं कर सका है। खस्ताहाल इन्फ्रास्ट्रक्चर की वजह से ट्रांसपोर्ट और एक्सपोर्ट बेहद मुश्किल हो गए हैं। वहीं, अफगान सरकार ने टैक्स इतना ज्यादा लगा दिया कि निवेशक भी मिलने बंद हो गए। इसके नतीजतन खनन से देश की जीडीपी में 7-10% योगदान ही पहुंचा। (REUTERS/Ahmad Masood/File Photo)