हाइलाइट्स:कोरोना वायरस महामारी के बीच ब्रिटेन से टीकाकरण को लेकर एक खुशखबरी सामने आई हैकोविशील्‍ड वैक्‍सीन की दो डोज लगवाने से 65 साल के लोगों में मौत का खतरा 94 फीसदी कम हुआ ब्रिटेन के पब्लिक हेल्‍थ इंग्‍लैंड ने पहली बार एस्‍ट्राजेनेका वैक्‍सीन के प्रभाव को लेकर यह जानकारी दी हैलंदनकोरोना वायरस महामारी के बीच ब्रिटेन से टीकाकरण को लेकर एक खुशखबरी सामने आई है। ब्रिटेन में एस्‍ट्राजेनेका की कोविशील्‍ड कोरोना वायरस वैक्‍सीन की दो डोज लगवाने मात्र से 65 साल या उससे ऊपर के लोगों में मौत का खतरा करीब 94 फीसदी कम हो गया। यह आंकड़ा वास्‍तविक मामलों पर आधारित है। ब्रिटेन के पब्लिक हेल्‍थ इंग्‍लैंड ने पहली बार एस्‍ट्राजेनेका वैक्‍सीन के प्रभाव को लेकर यह जानकारी दी है। ब्रिटेन में जनवरी महीने से ही कोविशील्‍ड कोरोना वैक्‍सीन लगाई जा रही है। ऐसा पहली ब्रिटेन के स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण से मौतों को रोकने में कोविशील्‍ड वैक्‍सीन के प्रभाव को लेकर जानकारी सार्वजनिक की है। उन्‍होंने कहा कि कोविशील्‍ड वैक्‍सीन की मात्र एक डोज से 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में मौतों का खतरा 83 फीसदी तक कम हो गया। वैक्‍सीन डेल्‍टा वेरिएंट के गंभीर प्रभाव को रोकने में 92 फीसदी कारगरइस विश्‍लेषण में अभी डेल्‍टा वेरिएंट के आंकड़े शामिल नहीं हैं। पब्लिक हेल्‍थ इंग्‍लैंड ने कहा कि डेल्‍टा वेरिएंट को लेकर शोध अभी जारी है। पब्लिक हेल्‍थ इंग्‍लैंड के एक अन्‍य शोध में कहा गया था कि यह वैक्‍सीन डेल्‍टा वेरिएंट के गंभीर प्रभाव को रोकने में 92 फीसदी तक कारगर है। माना जा रहा है कि मौतों को रोकने का प्रतिशत इससे ज्‍यादा हो सकता है। वहीं फाइजर की कोरोना वैक्‍सीन की दो डोज से सभी उम्र समूह के लोगों में मौत का खतरा 98 फीसदी तक कम हो जाता है। फाइजर की वैक्‍सीन के एक डोज से 65 साल या उसके ऊपर के लोगों में मौत का खतरा 77 फीसदी तक कम हो जाता है। वहीं एक अन्‍य शोध में कहा गया है कि एस्‍ट्राजेनेका की कोरोना वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ लगवाने में लंबा गैप रखना फायदेमंद है। यह शरीर में एंटीबॉडी बढ़ाता है। इस गैप को 10 महीने रखने पर शानदार नतीजे देखने को मिले हैं। ब्रिटेन में किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।वैक्‍सीन की एकमात्र खुराक के बाद कम से कम एक साल तक एंटीबॉडी ऑक्‍सफोर्ड की स्‍टडी में कहा गया कि एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्‍सीन 45 हफ्तों के लंबे गैप पर दिए जाने पर बेहतर प्रतिरक्षा क्षमता पैदा करती है। वहीं, इसकी तीसरी खुराक एंटीबॉडी को और अधिक बढ़ा देगी। अध्ययन के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्‍सीन की एकमात्र खुराक के बाद भी कम से कम एक साल तक एंटीबॉडी स्तर बना रहता है। इस वैक्‍सीन को भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है। भारत में इसकी दो खुराक के बीच 12 से 16 हफ्तों का अंतराल रखा गया है।कोविशील्‍ड कोरोना वैक्‍सीन से मौतों का खतरा 94 फीसदी कम हुआ