पेरिस/नई दिल्लीअमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के AUKUS डील को लेकर भारत विचित्र स्थिति का सामना कर रहा है। वह न तो इस डील के खिलाफ बोल सकता है और न ही समर्थन में। इन सबके बीच AUKUS डील ने भारत के लिए एक मौका भी पैदा किया है। जिसे अगर भारत भुनाना चाहे तो वह दशकों की अपनी नेवल न्यूक्लियर रिएक्टर तकनीक पाने की चाहत को पूरा कर सकता है। इस रिएक्टर का इस्तेमाल भारतीय नौसेेना के लिए भविष्य में बनने वाले न्यूक्लियर अटैक सबमरीन में किया जा सकता है। चीन जिस तरह से अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ा रहा है, उसको देखते हुए भारत की तैयारी बहुत ही कम है। यही कारण है कि भारत भी अब परमाणु पनडुब्बियों के लिए रूस के अलावा किसी दूसरे विकल्प की तलाश में जुटा है।भारतीय नौसेना के पास एक परमाणु पनडुब्बीवर्तमान में भारतीय नौसेना में केवल एक ही बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत तैनात है। स्पेशल मिशन के लिए बनाई गई यह पनडुब्बी भारत के 7516 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा की रखवाली करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यही कारण है कि भारत इन दिनों रूस के साथ चक्र सीरीज की दो पनडुब्बियों को लीज पर लेने के लिए बात कर रहा है। ऐसी भी रिपोर्ट है कि आने वाले महीनों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इनमें से एक पनडुब्बी की डील पर हस्ताक्षर भी किए जा सकते हैं।Nuclear Submarine: परमाणु पनडुब्बी और डीजल पनडुब्बी में फर्क क्या है? समझें ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ डील क्यों तोड़ीAUKUS डील को लेकर भारत फंसा?अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच हुई परमाणु पनडुब्बियों की डील को लेकर भारत भी फंसा हुआ है। भारत का इस डील में शामिल तीनों देशों के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। वहीं, AUKUS के कारण ऑस्ट्रेलिया-फ्रांस परमाणु पनडुब्बी डील के रद्द होने पर पेरिस से भी आक्रामक बयानबाजी देखने को मिली है। फ्रांस के साथ भी भारत के करीबी संबंध हैं। ऐसे में भारत इस समझौते की न तो खुलकर तारीफ कर सकता है और न ही आलोचना। AUKUS समझौता भारत के लिए इशारा तो नहीं? इंडियन नेवी के पास सिर्फ एक परमाणु पनडुब्बीAUKUS से भारत को मिला मौकाAUKUS डील भारत के लिए अपनी नेवल न्यूक्लियर रिएक्टर तकनीक हासिल करने का मौका लेकर आया है। ऑस्ट्रेलिया के साथ परमाणु पनडुब्बी करार के रद्द होने के बाद फ्रांस भी नया ग्राहक तलाश रहा है। कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बात भी की है। फ्रांस भारत का रणनीतिक भागीदार देश भी है। भारत ने फ्रांस से स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों को भी खरीदा है। इसके अलावा, राफेल और मिराज 2000 लड़ाकू विमान भी फ्रांस में ही बने हुए हैं। बाराकुडा क्लास (Barracuda-class) की परमाणु पनडुब्बियां समुद्र में 350 मीटर से अधिक गहराई तक जा सकती हैं। इतना ही नहीं, ये पनडुब्बियां अलग-अलग तरही की मिसाइल और तारपीडो से हमला भी कर सकती है। Nuclear Submarine : दुनिया में किस देश के पास कितनी परमाणु पनडुब्बी, भारत से कितना आगे है चीन?AUKUS पर भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया क्या थीअमेरिका ऑस्ट्रेलिया परमाणु पनडुब्बी सौदे AUKUS पर भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने AUKUS की क्वाड के साथ किसी भी तरह के संबंध को खारिज कर दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी क्वाड और AUKUS को एक दूसरे से अलग बताया था। France Australia Tension: ‘ऑस्ट्रेलिया ने पीठ में छुरा घोंपा’, अमेरिका से परमाणु पनडुब्बी डील पर भड़का फ्रांस, बोला- ट्रंप की याद आईहाल के दिनों में मुखर हुआ है ऑस्ट्रेलियाचीन के साथ तनाव के बीच पिछले कुछ महीनों से ऑस्ट्रेलिया काफी ज्यादा मुखर हुआ है। ऑस्ट्रेलियाई नेताओं की तरफ से चीनी आक्रामकता के खिलाफ कई कड़े बयान भी दिए गए हैं। यही कारण है कि कभी अमेरिका पर पूरी तरह से निर्भर ऑस्ट्रेलिया ने अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ने की तैयारियां शुरू की हुई है। ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल अपनी रक्षा रणनीति को घोषित करते हुए कहा था कि जरूरत पड़ने पर वह सैन्य शक्ति का प्रयोग करने से भी नहीं पीछे हटेगा।परमाणु पनडुब्बी विकसित करने की कोशिश में जुटा भारतभारत पहले से ही परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का संचालन करता रहा है। इतना ही नहीं भारत अपनी खुद की परमाणु पनडुब्बी बनाने की योजना बना रहा है, जिसे पहले ही सरकारी मंजूरी मिल चुकी है। भारत को ऑस्ट्रेलिया की तुलना में पनडुब्बियां बनाने का अधिक अनुभव है, जिसने पारंपरिक या डीजल-इलेक्ट्रिक शिशुमार, स्कॉर्पीन क्लास और परमाणु पनडुब्बी अरिहंत क्लास का निर्माण किया है।