Brics Summit India Vs China,पहले SCO अब ब्रिक्‍स सम्‍मेलन, भारत का चीनी ड्रैगन को साफ संदेश, दुनिया के मंचों पर दबदबा मंजूर नहीं – india china relations brics summit sco now brics pm modi message to china dominance not acceptable

जोहानिसबर्ग/बीजिंग/नई दिल्‍ली: रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के बाद अब पीएम मोदी भी दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने के लिए नहीं जा रहे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका जाने की बजाय वर्चुअल तरीके से इस महीने होने वाले ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले भारत ने शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक को भी वर्चुअल तरीके से आयोजित किया था जो चीन को काफी नागवार गुजरा था। इन दोनों ही संगठनों में चीन का दबदबा है। अब भारत अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंध को मजबूत कर रहा है और इस कदम से ड्रैगन को साफ संदेश दे दिया है कि वैश्विक मंचों पर उसे चीन की दादागिरी मंजूर नहीं है।दक्षिण अफ्रीका में 22 से 24 अगस्‍त तक ब्रिक्‍स का शिखर सम्‍मेलन होने जा रहा है। तय कार्यक्रम के मुताबिक ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्राध्‍यक्षों को इसमें हिस्‍सा लेना था। सबसे पहले पुतिन ने ऐलान कर दिया कि वह वर्चुअल तरीके से इस शिखर सम्‍मेलन में शामिल होंगे। अब भारत ने भी संकेत दे दिया है कि पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका नहीं जा रहे हैं। इस शिखर बैठक में चीन और रूस दोनों ही ब्रिक्‍स के विस्‍तार पर चर्चा करने के इच्‍छुक हैं। वहीं भारत और ब्राजील को इसको लेकर आपत्ति है।इससे पहले पिछले महीने भारत ने एससीओ की शिखर बैठक के प्‍लान को बदलते हुए इसे वर्चुअल तरीके से आयोजित किया था। भारत ने इसका कोई कारण नहीं बताया था। मोदी सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि भारत में चीन के दबदबे वाले संगठनों ब्रिक्‍स और एससीओ का हिस्‍सा होने को लेकर असुविधा बढ़ रही है। खासतौर पर तब जब भारत चीन की बढ़ती दादागिरी के बीच अमेरिका और अन्‍य पश्चिमी देशों के करीब जा रहा है। गलवान हिंसा के बाद से भारत और चीन के बीच रिश्‍ते रसातल में पहुंच गए हैं।भारत ने एससीओ शिखर बैठक को लेकर यह फैसला तब लिया था जब पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा से लौटे थे। अमेरिका में पीएम मोदी का राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने जोरदार तरीके से स्‍वागत किया था। भारत ने ब्रिक्‍स के विस्‍तार पर अपने रुख नरमी लाई है लेकिन अभी भी वह चीन के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं है। इन सबके बीच भारत अपने दशकों पुराने मित्र रूस के रिश्‍ते मजबूत किए हुए है। भारत पश्चिमी देशों के दबाव के बाद भी रूस से तेल खरीद रहा है।भारत में इस साल जी-20 देशों का शिखर सम्‍मेलन होने वाला है। इस बैठक को लेकर दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में पुतिन भी हिस्‍सा ले सकते हैं। वहीं भारत की कोशिश है कि यूक्रेन युद्ध का असर इस बैठक पर नहीं पड़े। यही वजह है कि अभी से ही दोनों ही पक्षों को मनाने का प्रयास जारी है। वहीं चीन के राष्‍ट्रपति इस बैठक में हिस्‍सा लेंगे या नहीं, इसको लेकर संदेह बना हुआ है।