Chinese Media preaches says border issues are not the whole of China-India relations भारत, चीन सीमा विवाद संबंधों का आधार नहीं, इस चक्‍कर में न पड़ें देश…चीनी मीडिया ने सीमा वार्ता के बाद दिया ज्ञान

बीजिंग: भारत और चीन के बीच पिछले तीन सालों से वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव जारी है। इस तनाव को सुलझाने के लिए 13 और 14 अगस्‍त को 19वीं बार दोनों देशों के आर्मी कमांडर पूर्वी लद्दाख के चुशुल में मिले। चीन की तरफ से इस बार वार्ता को लेकर सकारात्‍मक प्रतिक्रिया दी गई है। वहीं उसकी मीडिया कुछ और कह रही है। चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स में आए आर्टिकल की मानें तो भारत और चीन के बीच बॉर्डर से जुड़े मुद्दे दोनों देशों के संबंधों को बयां नहीं करते हैं। ग्‍लोबल टाइम्‍स के इस आर्टिकल पर भारत में रक्षा और नीति के जानकारों की मानें तो चीन के इस रवैये में कोई नई बात नहीं है।अभी तक नहीं निकला कोई नतीजाग्‍लोबल टाइम्‍स के मुताबिक जून 2020 के बाद से कई राउंड वार्ता भारत और चीन के बीच हो चुकी है लेकिन अभी तक इसका कोई निष्‍कर्ष नहीं निकला है। मगर 13-14 अगस्‍त को हुई वार्ता के बाद जो संयुक्‍त बयान जारी हुआ, उसे देखकर तो लगता है कि इस दिशा में सकारात्‍मक प्रगति हुई है। अखबार का कहना है कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर सहमत हुए। साथ ही वो बाकी मुद्दों को भी जल्‍द से जल्‍द सुलझाना चाहते हैं। दोनों इस बात पर भी रजामंद हुए हैं कि मिलिट्री और डिप्‍लोमैटिक चैनल्‍स के जरिए बातचीत और इसकी गति बनाई रखी जाए।भारत को करना है बहुत कुछअखबार की मानें तो जो संयुक्‍त बयान जारी हुआ है, उससे साफ है कि चीन और भारत दोनों ने सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा की है। साथ ही खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया है। दोनों देश वास्तव में एक-दूसरे की ओर बढ़ रहे हैं और यह महसूस करते हैं कि सीमा मुद्दा संपूर्ण चीन-भारत संबंधों का आधार नहीं है। ऐसे में दोनों देशों को सीमा मुद्दे के कारण फंसना या पीछे नहीं हटना चाहिए। साथ ही इस मसले को चीन-भारत संबंधों के विकास के लिए एक शर्त के तौर पर नहीं बनना चाहिए। इस संबंध में भारत को बहुत कुछ करना है।भारत की रणनीति जिम्‍मेदारग्‍लोबल टाइम्‍स ने सीमा पर जारी टकराव के पीछे भारत की उस रणनीति को जिम्‍मेदार बता दिया है जिसके तहत वह अमेरिका के करीब हो रहा है। उसका कहना है कि चीन के प्रति भारत की आक्रामकता की वजह अमेरिका के करीब होना है। अखबार की मानें तो भारत अपनी वर्तमान स्थिति को शीत युद्ध के दौरान चीन, अमेरिका और सोवियत संघ के बीच बनी स्थिति के जैसा ही मानता है। अखबार के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच एक ‘गैर-संधि गठबंधन साझेदारी’ उभरी है। इसके बाद भारत मानने लगा है कि चीन को भारत के साथ संबंधों को आसान बनाने की जरूरत है ताकि अमेरिका द्वारा डाले गए रणनीतिक दबाव से निपटा जा सके।इमेज कमजोर होने का डरइस आर्टिकल के जवाब में भारत के पूर्व राज‍नयिक कंवल सिब्‍बल ने ट्वीट किया। उन्‍होंने कहा है कि यह चीन का पारंपरिक नजरिया है। वह बॉर्डर पर भी आक्रामक रुख बरकरार रखेगा और साथ ही ही बाकी मुद्दों का समाधान भी नहीं करेगा। लेकिन उसके बाद भी वह मानता है कि ये सब महत्वपूर्ण नहीं है और इससे भविष्य के संबंधों पर असर नहीं पड़ना चाहिए। उनकी मानें तो जी-20 शिखर सम्‍मेलन में चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं हो रहे हैं। ऐसे में साफ है कि चीन की नई ‘शांति स्थापित करने वाली’ जो इमेज है वह भी कमजोर पड़ जाएगी।