पेइचिंगकोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे लोगों को बचाने के लिए सभी देश वैक्सीनेशन प्रोग्राम को जोर-शोर से चला रहे हैं। सीमित मात्रा में उत्पादन होने के कारण देशों के पास कोई च्वाइस नहीं बची है। यही कारण है कि बहुत से देश चीन की सिनोफॉर्म वैक्सीन के भरोसे महामारी पर काबू पाने का ख्वाब देख रहे हैं। हालांकि, अब उन्हें चीनी वैक्सीन पर भरोसा करना भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और नेपाल में भी धड़ल्ले से चीनी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके बाद इन देशों में भी कोरोना संकट बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।चीनी वैक्सीन से कोरोना खत्म करने का देख रहे थे ख्वाबद न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पड़ोसी मंगोलिया ने वादा किया था कि वह गर्मी तक चीनी वैक्सीन के सहारे कोरोना को खत्म कर देगा। बहरीन ने इसी वैक्सीन का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि जल्द ही सभी की सामान्य जीवन में वापसी होगी। सेशेल्स तो अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए इस वैक्सीन का इस्तेमाल कर रहा था। इतना ही नहीं, चिली में तो चीनी वैक्सीन लगने के बाद इतने लोग संक्रमित हुए हैं कि विशेषज्ञों को चेतावनी देनी पड़ी है।वैक्सीनेशन के बावजूद इन देशों में तबाहीइन चारों देशों ने आसानी से उपलब्ध चीनी वैक्सीन पर भरोसा किया। लेकिन, अब ये सभी देश कोरोना वायरस से मुक्ति के बजाए संक्रमण के मामलों में आई भीषण उछाल से डरे हुए हैं। चीन ने पिछले साल के अंत में वैक्सीन डिप्लोमेसी के सहारे दुनियाभर के देशों को अपने झंडे तले लाने की मुहिम शुरू की थी। उसे डर था कि भारत और अमेरिका कहीं दुनिया को वैक्सीन सप्लाई कर अपना मुरीद न बना लें।नए वैरियंट पर असरदार नहीं चीनी वैक्सीन!अब कई देशों से मिले डेटा से पता चला है कि चीनी वैक्सीन कोरोना संक्रमण को रोकने में प्रभावी साबित नहीं हो रही है। विशेष रूप से कोरोना के नया वैरियंट के ऊपर इस वैक्सीन का असर बिलकुल नहीं दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञों ने कहा है कि किसी भी देश में कोरोना के मामलों की घटती संख्या इस बात पर निर्भर है कि वह देश अपने नागरिकों को कौन सी वैक्सीन लगवा रहा है।देश देखकर असर कर रही चीनी कोरोना वैक्सीन, ब्राजील में 50 तो तुर्की में 91 फीसदी कारगरपिछले हफ्ते कोरोना संक्रमित टॉप 10 देशों में ये सभीडेटा ट्रैकिंग प्रोजेक्ट अवर वर्ल्ड इन डेटा (Our World in Data) के अनुसार, सेशेल्स, चिली, बहरीन और मंगोलिया में 50 से 68 फीसदी आबादी को पूरी तरह से वैक्सीनेट किया जा चुका है। प्रतिशत में यह आंकड़ा अमेरिका में सभी लोगों को लगाई गई वैक्सीन से भी ज्यादा है। द न्यूयॉर्क टाइम्स के आंकड़ों के अनुसार, पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा कोरोना का प्रकोप झेलने वाले 10 देशों में ये चारों शामिल हैं। ये चारों देश ज्यादातर दो चीनी वैक्सीन सिनोफार्म और सिनोवैक बायोटेक द्वारा बनाए गए शॉट्स का उपयोग कर रहे हैं।53 देशों में लगाई जा रही चीनी वैक्सीनदुनियाभर में कम से कम 53 देशों में चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन लगाई जा रही है। इनमें से कई दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में विकासशील राष्ट्र हैं। दरअसली चीनी कोरोना वैक्सीन सस्ते और स्टोर करने में आसान हैं। ये उन गरीब देशों के लिए आदर्श वैक्सीन है, जिनके पास माइनस 20 डिग्री से ज्यादा के तापमान पर वैक्सीन स्टोर करने की सुविधा नहीं है।Chinese Covid-19 Vaccine Effects: तुर्की को चीन की कोरोना वैक्सीन पर भरोसा करना पड़ा भारी, एक दिन में आए रिकॉर्ड 59000 केसचीन ने खुद स्वीकारा है वैक्सीन का कम प्रभावचीन के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने खुद ही स्वीकार किया है कि उनकी कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता काफी कम है। नी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के डॉयरेक्टर गाओ फू ने दो दिन पहले ही कहा था कि मौजूदा वैक्सीन की प्रभावशीलता की दर काफी कम है। इसे बढ़ाने के लिए चीनी वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ बातचीत की जा रही है।Chinese COVID-19 Vaccine: चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन पर भरोसा करना खतरनाक, चार्ट देखकर खुद समझिएप्रभावशीलता के मामले में फिसड्डी है चीनी वैक्सीनचिली में चीन की कोरोनावैक वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है। इसे चीन की दिग्गज फार्मा कंपनी सिनोवेक ने बनाया है। चिली विश्वविद्यालय की स्टडी में पता चला था कि चीनी वैक्सीन की पहली डोज की प्रभावशीलता केवल 3 फीसदी ही है। दूसरे डोज के बाद इसकी प्रभावशीलता करीब 56 फीसदी तक बढ़ जाती है। ब्राजील में एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि चीनी वैक्सीन की प्रभावशीलता केवल 50 फीसदी ही है।