लंदनहाल ही में ग्रीनलैंड से यूरोप के बीच पानी के नीचे एक विशाल महाद्वीप की खोज का दावा किया गया है। इसे खोजने वाले रिसर्चर्स का दावा है कि यह द्वीप ऑस्ट्रेलिया से भी ज्यादा बड़ा हो सकता है। अभी तक यूरोप, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, एशिया, अफ्रीका, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया को ही सात महाद्वीपों में शामिल किया जाता है लेकिन समय-समय पर नए जमीन के हिस्सों की खोज के दावे भी किए गए हैं। एक नजर डालते हैं ऐसे ही किस्सों पर-जीलैंडियासाल 2017 में दक्षिण प्रशांत में एक नए महाद्वीप की खोज का ऐलान किया गया था। जीलैंडिया का आकार यूरोप का आधा है और इसका ज्यादातर हिस्सा पानी के नीचे आता है। इसीलिए पहले इसे खोजा नहीं जा सके। माना जाता है कि यह गोंडवाना से अलग हुआ था और फिर 6-8.5 करोड़ साल पहले पानी में डूब गया। कुछ लोग इसे भी दुनिया का आठवां महाद्वीप मानने की वकालत करते हैं। मॉरीशियाहिंद महासागर के नीचे भी एक छोटा महाद्वीप बताया जाता है। कहा जाता है कि यह 4-10 करोड़ साल पहले टेक्टॉनिक प्लेटों की वजह से अलग हो गया था। साल 2017 में दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने कहा था कि उन्हें प्राचीन लावा प्रवाह के बीच मॉरीशिया का हिस्सा मिला है। उन्होंने पाया कि यह 3 अरब साल पुराना था जबकि मॉरीशियस 8 अरब साल पुराना है।पानी के नीचे छिपा है रहस्यमय विशाल महाद्वीप Icelandia? नई स्टडी से खड़े हुए 5 करोड़ साल पहले की घटना पर सवालग्रेटर एड्रियासाल 2019 में दक्षिणी यूरोप के नीचे, खासकर इटली, तुर्की, ग्रीस और क्रोएशिया के नीचे इसकी खोज की गई थी। इसका आकार ग्रीनलैंड के बराबर पाया गया। माना जाता है कि यह दो करोड़ साल पहले उत्तर अफ्रीका से अलग हुआ। इसका ज्यादातर हिस्सा पानी के नीचे है। कुछ-कुछ जगहों पर इसके हिस्से टापू की शक्ल में पानी के बाहर दिखते हैं। यह भी माना जाता है कि इसका ज्यादातर हिस्सा धरती के मैंटल की परत में समा गया है लेकिन रिसर्चर्स ने पाया है कि इटली से एड्रिऐटिक सागर के बीच इसकी पट्टी दिखती है।कर्ग्यूलेनहिंद महासागर में ऑस्ट्रेलिया से दक्षिण-पश्चिम में समुद्रतल से दो किलोमीटर नीचे पानी में छिपा जमीन का यह टुकड़ा दिखता है। यह कैलिफोर्निया के बराबर है। कहा जाता है कि करीब 13 करोड़ साल पहले यह ज्वालामुखी हॉट-स्पॉट से बना था। इसके कुछ हिस्से से कर्ग्यूलेन, हर्ड और मैकडॉनल्ड टापू बने हैं।अटलांटिसअटलांटिस हमेशा से एक चर्चित नाम रहा है। ग्रीक फिलोसॉफर प्लेटो ने दावा किया था कि अटलांटिस पर आधे देवता-आधे इंसान रहता है। इस पर कई फिल्मों और टीवी सीरियल तक बन चुके हैं। एक थिअरी के मुताबिक यह एक मिड-अटलांटिक टापू था जो अचानक महासागर में समा गया। वहीं, दूसरी थिअरीज में कहा गया है यह अंटार्कटिका का हिस्सा था। बाद में धरती का क्रस्ट शिफ्ट हो गया और यह उत्तर की ओर खिसक गया।लेमूरियासाल 1854 में जूलॉजिस्ट फिलिप स्लेटर ने दावा किया था कि यह महाद्वीप हिंद महासागर में डूब गया है। इसकी मदद से मैडागास्कार और भारत में लेमूर जीवाश्मों को समझाया गया लेकिन अफ्रीका और मध्यपूर्व में नहीं। एक वैज्ञानिकों ने कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट के कारण इसके बनने की बात कही के लेकिन इसे साबित नहीं किया जा सका।(सोर्स: डेलीस्टार)आइसलैंडिया की खोज