डॉक्टर सीमा जावेद, नई दिल्ली: भारत इस वर्ष जी20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है और आगामी 9-10 सितंबर को जी20 लीडर्स समिट की मेजबानी करने जा रहा है। जी20 का अध्यक्ष होने के नाते इस समूह के क्लाइमेट नेतृत्व करने की बागडोर भी भारत के ही हाथ में है। इन दिनों दुनिया क्लाइमेट चेंज के चलते हो रही ग्लोबल वार्मिंग से मौसम की मार से जिस तरह जूझ रही है, ऐसे हालात में टिकाऊ या सतत चलने वाली ऊर्जा प्रणालियों में निवेश ही एकमात्र रास्ता दिखाई दे रहा है। इसको अपनाकर ग्लोबल वार्मिंग को पेरिस समझौते के अनुसार 1.5 °C तक सीमित रखा जा सकता है।यही आगामी नवंबर -दिसंबर में यूएई के दुबई शहर में होने जा रहे COP28 की सफलता की कुंजी भी है। वरना ग्लोबल वार्मिंग की मार से कभी जानलेवा गर्मी तो कभी भारी बारिश और भूस्खलन तो कभी इतिहास के सौ सालों का सबसे सूखा अगस्त जैसी घटनायें आम होती जा रही हैं। मौसम का यह बिगड़ा मिज़ाज हमारी फसलों से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी को उजाड़ रहा है। ऐसे में दुनिया अब स्वच्छ ऊर्जा के युग की शुरुआत करने के महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है।कोयला से बनी बिजली के उत्सर्जन में गिरावटवैश्विक एनर्जी थिंक टैंक एम्बर ने जी-20 देशों में प्रति व्यक्ति थर्मल पॉवर यानी कोयला जलाकर बनी बिजली से हो रहे उत्सर्जन का जायज़ा लेते हुए अपनी तीसरी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया प्रति व्यक्ति थर्मल पॉवर यानी कोयला से बनी बिजली से होने वाले प्रदूषण के मामले में टॉप दो प्रदूषकों के रूप में उभर कर सामने आए हैं। इनकी यह जगह साल 2020 से नहीं बदली है। साल 2015 के बाद से जी-20 अर्थव्यवस्थाओं में से 12 में प्रति व्यक्ति कोयला से बनी बिजली के उत्सर्जन में गिरावट देखी गई है।हालांकि प्रति व्यक्ति जी-20 कोयला से बनी बिजली से होने वाला उत्सर्जन साल 2015 में 1.5 टन कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 9% बढ़कर 2022 में 1.6 टन कार्बन डाइऑक्साइड हो गया है। साल 2030 तक रिन्यूएबल क्षमताओं को तीन गुना करना तापमान को डेढ़ डिग्री सेल्सियस की पहुंच के भीतर बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह तभी संभव है जब सोलर, विंड और बायो एनर्जी तीनों का एकसाथ मजबूती से इस्तेमाल, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर से किया जाये। यह बदले में कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से हटाने में मदद करेगा।भारत निभा सकता है अपनी बड़ी भूमिकारिन्यूएबल ऊर्जा को बढ़ाने की भारत की स्वयं अपनी योजना COP28 के साल 2030 तक रिन्यूएबल ऊर्जा को तीन गुना करने के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। ऐसे में भारत यह भी सुनिश्चित कर सकता है कि विकसित और विकासशील देश भी उसका अनुसरण करते हुए अपनी टिकाऊ और साफ़ ऊर्जा प्रणालियों में निवेश करके उन्हें तीन गुना ज़्यादा बढ़ाएं। इससे हर देश अपने प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को कम करे और यही COP28 की सफलता की कुंजी है। इस काम के लिए नई दिल्ली के प्रगति मैदान में होने जा रहा जी20 लीडर्स समिट एक बेहतरीन मौक़ा है। बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक रखने के लिए साल 2030 तक 43% उत्सर्जन में कटौती ज़रूरी है।लेखिका डॉक्टर सीमा जावेद वरिष्ठ स्तंभकार हैं और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर लिखती रहती हैं।