Cracks in China Russia relationship know the reason why रूस चीन की ‘नो लिमिट’ वाली दोस्‍ती में भी आई दरार, आखिर ऐसा क्‍या हुआ जो बदलने लगे रिश्‍ते?

मस्‍को: यूक्रेन जंग के शुरू होने से पहले रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच दोस्‍ती को ‘नो लिमिट्स’ वाली फ्रें‍डशिप करार दिया था। इसका मतलब ऐसी दोस्‍ती जिसकी कोई सीमा नहीं है। दोनों देशों के बीच किसी तरह का कोई गठबंधन नहीं है लेकिन फिर भी रिश्‍तों को मजबूत माना जाता रहा है। लेकिन अब इस दोस्‍ती में दरार आ गई है। अमेरिका का मुकाबला करने के मकसद से साथ आए दोनों देशों के बीच अब कई मसलों पर मतभेद सामने आ रहे हैं। पर्यवेक्षकों के अनुसार, चीन और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव और मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति ने चीन-रूस दोस्‍ती को बढ़ावा दिया हो लेकिन अब इस साझेदारी में दरारें दिखाई देने लगी हैं।चीनी नागरिकों को भेजा वापसहाल ही में रूस-कजाखिस्तान के बॉर्डर पर हुई घटना इस बात की पुष्टि करती है। यहां पर पांच चीनी नागरिकों को रूस के अधिकारियों ने चार घंटे की जांच के बाद भी उनके देश में दाखिल होने से बैन कर दिया। उनके वीजा भी कैंसिल कर दिए गए। सिर्फ इतना ही नहीं मॉस्को में चीनी दूतावास ने वीचैट पर एक पोस्‍ट लिखकर रूस पर हमला बोला।पांच अगस्‍त को चीन दूतावास की तरफ से लिखी पोस्ट में कहा गया, ‘इस घटना में रूस की तरफ से ‘क्रूर’ और अत्यधिक कानूनी प्रक्रियाओं ने चीनी नागरिकों के वैध अधिकारों और हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है।’ रूस के विदेश मंत्रालय की तरफ से सफाई भी दी गई कि उसकी चीनी नागरिकों के खिलाफ नीतियां भेदभावपूर्ण नहीं हैं। विदेश मंत्रालय ने यह भी बताश कि पांच चीनी नागरिकों के वीजा आवेदन पर जो डेस्टिनेशन बताई गई थी, वह ओरिजिनल डेस्टिनेशन से अलग है।ब्रिक्‍स के नए सदस्‍य बनेंगे हिंदुस्‍तान के ये दोस्‍त देश, चीन के खिलाफ भारत की रणनीति रही सफल, देखें लिस्‍टचीन ने किया यूक्रेन शांति का समर्थनचीन ने आगे आकर यूक्रेन शांति समझौते पर सऊदी अरब की मीटिंग में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा था। इस मीटिंग से रूस गायब था। चीन ने इस मीटिंग की तारीफ तक की। जबकि भारत ने जेद्दा मीटिंग में हिस्‍सा लिया। भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने शांति का वह प्रस्‍ताव जो हर पक्ष को स्‍वीकार हो, उसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।चीन के कई एक्सपर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन की जंग में चीन की हालत बहुत ही बुरी रही है। फॉरेन अफेयर्स के साल 2022 के एक आर्टिकल में चीन की सिंघुआ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर यान ज़ुएटॉन्ग ने कहा था, ‘यूक्रेन में रूस के युद्ध ने चीन के लिए एक रणनीतिक संकट पैदा कर दिया है। इस संघर्ष ने अरबों डॉलर के चीनी व्यापार को ब्‍लॉक कर दिया है। पूर्वी एशिया में तनाव बढ़ा दिया है। लोगों को रूस समर्थक और विरोधी खेमों में बांटकर चीन के भीतर राजनीतिक ध्रुवीकरण और गहरा हो गया है।’नागरिकों के बीच भरोसा न होनासाउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने चीन की स्टेट काउंसिल के काउंसलर कार्यालय के सार्वजनिक नीति अनुसंधान केंद्र के उपाध्यक्ष हू वेई के हवाले से लिखा है, ‘चीन को रूस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से नहीं जोड़ा जा सकता है और जितनी जल्दी हो सके इसे बंद करने की जरूरत है।’ चीनी सोशल मीडिया पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, हू वेई के बयान वाले सभी चीनी सोशल मीडिया पोस्ट को चीनी सरकार ने इस साल मार्च में तुरंत ब्लॉक कर दिया था ताकि यह वायरल न हो सके।रूस और चीनी नागरिकों के बीच भी काफी समय से अविश्‍वास की स्थिति है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि रूसी लोगों का चीन के लिए भरोसे की कमी होना ऐतिहासिक है। सन् 1969 में, सोवियत संघ और चीन ने बॉर्डर पर युद्ध लड़ा था। इसके बाद सन् 1971 में पाकिस्तान को समर्थन देने के अमेरिका और चीन के प्रयासों के खिलाफ रूस ने भारत का समर्थन किया। चीनी प्रवासियों की बढ़ती संख्या के बाद रूस के सुदूर पूर्व के स्थानीय निवासियों के बीच भी तनाव पैदा हो रहा है।