काहिरा : मिस्र के एक वीरान मकबरे में कई बिना सिर वाले प्राचीन मगरमच्छों के ममी मिले हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि नील नदी के पश्चिमी तट पर क़ुब्बत अल-हवा (Qubbat al-Hawa) में खोजे गए शवों को देवताओं को खुश करने के लिए ‘अनोखे’ तरीके से संरक्षित किया गया था। उनमें से कुछ के सिर मरने और सूख जाने के बाद काट दिए गए थे। हालांकि यह लंबे समय से ज्ञात है कि प्राचीन मिस्र के लोग जानवरों का ममीकरण करते थे। हजारों साल पहले मिस्र में लाशों को ममी बनाकर संरक्षित किया जाता था। इस प्रक्रिया से शव लंबे समय तक बरकरार रहते थे।जर्नल PLOS ONE में प्रकाशित नतीजों ने वैज्ञानिकों को उनके जीवन और मृत्यु के बारे में नई जानकारी प्रदान की है। रॉयल बेल्जियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल साइंसेज में रिसर्च के लेखक बी डे क्यूपेरे ने न्यूजवीक को बताया कि जानवरों की ममियों को पूजा करने वाले देवताओं के लिए प्रसाद के रूप में इस्तेमाल करते थे। उन्होंने कहा कि ममीकरण प्रक्रिया के लिए जानवरों को मारना ‘समस्या’ नहीं थी क्योंकि यह मानव संसार को ‘ईश्वरीय दुनिया’ के साथ जोड़ती थी।(फोटो : ट्विटर)देवता का सिर था मगरमच्छ जैसावैज्ञानिकों को पता चला है कि खासकर मगरमच्छों का प्राचीन मिस्र के देवता सोबेक से जुड़ाव और उन्हें प्रसन्न करने की तरीके के रूप में बलिदान दिया गया था। सोबेक को अक्सर मगरमच्छ या मगरमच्छ के सिर वाले इंसान के रूप में चित्रित किया जाता है। हालांकि संरक्षित मगरमच्छ मिलना बेहद दुर्लभ है। डे क्यूपेरे ने कहा, ‘हालिया खुदाई से मिले मगरमच्छ काफी दुर्लभ हैं। क़ुब्बत अल-हवा का वीरान मकबरा अद्भुत है जहां मगरमच्छों के ममी का कलेक्शन मिला है जिसका आसानी से अध्ययन किया जा सकता है।’Jungle News Toad: प्रकृति के लिए विनाशकारी बना दुनिया का सबसे बड़ा ‘दैत्याकार’ मेंढक, सामने आने वाली हर चीज को बना लेता है निवाला!शरीर सूखने के बाद काट दिए गए सिरवैज्ञानिकों ने आगे कहा कि यह माना जाता है कि जानवरों को रेतीले वातावरण में दफनाया गया था जिससे उनका शरीर स्वाभाविक रूप से सूख गया। इसके बाद उनके शवों को ताड़ के पत्तों और कपड़े की चटाई में लपेटा गया और उस मकबरे में लाया गया जहां उन्हें दफन किया गया था। उन्होंने कहा कि ममीकरण की प्रकिया के दौरान, कुछ मगरमच्छों को नुकसान हुआ जबकि अन्य अच्छी तरह से संरक्षित हो गए। कुछ मामलों में मगरमच्छों के सूखने के बाद उनके सिर काट दिए गए थे।