हाइलाइट्स:ईरान में शुक्रवार को लाखों की तादाद में मतदाताओं ने राष्‍ट्रपति पद के चुनाव में हिस्‍सा लियाईरान में हुआ यह आम चुनाव फीका रहा और बहुत कम तादाद में मतदाताओं ने हिस्‍सा लियाचुनाव में अयातुल्ला अली खामनेई के समर्थक इब्राहिम रायसी को जीत हासिल हो सकती हैतेहरानईरान में शुक्रवार को लाखों की तादाद में मतदाताओं ने राष्‍ट्रपति पद के चुनाव में हिस्‍सा लिया। इस बीच विश्‍लेषकों का कहना है कि ईरान में हुआ यह आम चुनाव फीका रहा और बहुत कम तादाद में मतदाताओं ने हिस्‍सा लिया। माना जा रहा है कि चुनाव में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के कट्टर समर्थक इब्राहिम रायसी को जीत हासिल हो सकती है। न्‍यायपालिका के प्रमुख इब्राहिम रायसी देश के कट्टरपंथी धड़े से आते हैं और अमेरिका ने उनके खिलाफ प्रतिबंध लगा रखा है। इब्राहिम रायसी ने लोगों से भारी तादाद में वोट देने की अपील की लेकिन इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ा। फार्स न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक रात 7.30 बजे तक केवल 37 फीसदी लोगों ने ही मतदान किया था। ईरान में कुल 2.2 करोड़ मतदाता हैं। उधर, ईरान के गृह मंत्रालय ने कुल वोटिंग प्रतिशत का ऐलान न‍हीं किया है। सरकार से संबद्ध ओपिनियन पोल और विश्लेषकों ने कट्टरपंथी इब्राहिम रायसी को राष्‍ट्रपति पद के लिये दावेदारी जता रहे चार उम्मीदवारों में से सबसे मजबूत करार दिया है। अगर रायसी जीतते हैं तो अगस्‍त में वह ईरान के आठवें राष्‍ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इब्राहिम रायसी पर अमेरिका लगा चुका है प्रतिबंध वर्ष 2017 में हुए चुनाव में रायसी ने भी चुनाव लड़ा था लेकिन उदारवादी रुहानी ने उन्‍हें भारी मतों से हरा दिया था। रायसी को 38 फीसदी वोट मिले थे, वहीं रुहानी को 57 प्रतिशत वोट मिले थे। ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख अब्दुलनासिर हेम्माती भी उदारवादी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन निवर्तमान राष्ट्रपति हसन रुहानी जैसा समर्थन उन्हें हासिल नहीं है। रायसी अगर निर्वाचित होते हैं तो वह पहले ईरानी राष्ट्रपति होंगे जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिये तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था। रायसी की अगर जीत होती है तो इससे ईरानी सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी वह भी ऐसे समय में जब विश्व शक्तियों के साथ ईरान के पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत वियना में वार्ता जारी है। ईरान फिलहाल परमाणु हथियार बनाने की श्रेणी के बेहद करीबी स्तर पर यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है। इसे लेकर अमेरिका और इजराइल के साथ उसका तनाव काफी बढ़ा हुआ है। माना जाता है कि इन दोनों देशों ने ईरानी परमाणु केंद्रों पर कई हमले किये और दशकों पहले उसके सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बनाने वाले वैज्ञानिक की हत्या करवाई। चुनाव को लेकर जनता में व्यापक रूप से उदासीनता मतदान की प्रक्रिया स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुई लेकिन खामनेई के तहत बनाई गई एक समिति द्वारा सुधारवादियों और रुहानी के साथ जुड़े सैकड़ों उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोके जाने के बाद चुनाव को लेकर जनता में व्यापक रूप से उदासीनता दिखी। खामनेई में तेहरान में औपचारिक रूप से वोट डाला और लोगों से भी मतदान में हिस्सा लेने का अनुरोध किया। खामनेई ने कहा, ‘लोगों की भागीदारी से देश और इस्लामी शासन व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में महान स्थान मिलेगा, लेकिन जिन लोगों को इसका सबसे पहले फायदा होगा वो खुद ईरान के लोग होंगे।’ खामनेई ने कहा, ‘आगे बढ़िये, चुनिए और वोट कीजिए।’ हालांकि आधा दिन बीतने तक 2017 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले मतदान का प्रतिशत काफी नीचे लग रहा है। सरकारी टीवी पर जो कुछ तस्वीरें दिखाई जा रही थीं उनमें मतदान के शुरुआती घंटों में कुछ ही मतदाता नजर आ रहे थे। जो लोग कुछ ऐसे ही कुछ और मतदान केंद्रों से गुजरे उन्होंने कहा कि हर जगह कमोबेश यही हालात थे। मतदान के लिये पहुंचे रयासी ने काली पगड़ी पहन रखी थी जिससे उनकी पहचान शिया परंपरा में पैगंबर मोहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज के तौर पर होती है और उन्होंने दक्षिणी तेहरान की एक मस्जिद में मतदान किया। कुल 42 प्रतिशत मतदान होने का अनुमान ईरान के आठ करोड़ से अधिक लोगों में से 5.9 करोड़ लोगों को मताधिकार हासिल है। हालांकि सरकारी ‘ईरानियन स्टूडेंट पोलिंग एजेंसी’ ने कुल 42 प्रतिशत मतदान होने का अनुमान लगाया है, जो कि 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से सबसे कम होगा। ईरान इस समय कोविड-19 महामारी, वैश्विक अलगाव, व्यापक अमेरिकी प्रतिबंधों और बढ़ती महंगाई जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, इसलिए चुनाव को लेकर मतदाताओं के बीच कोई खास उत्साह नहीं दिखाई दे रहा।