Economy of China is in big trouble what exactly went wrong by Xi Jinping चीन में 40 साल बाद क्‍यों आया महासंकट, कहीं कर्ज संकट तो नहीं जिम्‍मेदार, जानिए कहां हुई गलती?

बीजिंग: पिछले चार दशकों से ग्‍लोबल इकोनॉमी का इंजन बना हुआ चीन अब फेल होने को है। हाल के कुछ वर्षों में चीन की अर्थव्‍यवस्‍था की सुस्‍त रफ्तार ने दुनिया भर के नेताओं और निवेशकों को परेशान कर दिया है। दशकों में पहली बार है जब विश्‍व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था संकट में है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग से कहां पर गलती हुई जो आज चीन का यह हाल हो गया है। कुछ विशेषज्ञों ने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिशें की हैं। कोविड-19 लॉकडाउन और बाकी प्रतिबंधों के हटने के बाद देश की यह स्थिति सबसे गंभीर मसला है।रियल एस्‍टेट सेक्‍टर कंगालपिछले दिनों चीनी मुद्रा युआन में एतिहासिक गिरावट हुई। तरक्‍की रुकी हुई है और उपभोक्‍ता दरों में गिरावट हो रही है, रीयल एस्‍टेट भी गहरे संकट में है और निर्यात भी गिर गया है। यह संकट बढ़ रहा था कि अचानक युवाओं में बेरोजगारी में इजाफा हो गया। बेरोजगारी संकट इस कदर गहरा गया है कि चीन की सरकार ने आंकड़ें जारी करना भी बंद कर दिया है। इस साल अप्रैल से ही चीन की अर्थव्‍यवस्‍था मुश्किल में है। देश की सबसे बड़ी रियल एस्‍टेट फर्म कंट्री गार्डन और झोंग्रोंग ट्रस्ट जो टॉप ट्रस्‍ट था, पूरी तरह से डिफॉल्‍ट हो गया।सबसे बड़ा कर्ज संकटएक रिपोर्ट में कहा गया कि कंट्री गार्डन ने दो अमेरिकी डॉलर बांड पर ब्याज अदा नहीं किया। इससे निवेशकों में डर पैदा हो गया और एवरग्रांडे की यादें ताजा हो गईं। इस फर्म ने भी साल 2021 में कर्ज नहीं चुकाया था और तब से रियल एस्टेट संकट में आ गया था। एवरग्रांडे अभी भी ऋण पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा है और कंट्री गार्डन की परेशानियों ने चीनी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया। बीजिंग ने रियल एस्टेट बाजार को पुनर्जीवित करने के लिए कई सहायक उपाय शुरू किए हैं। लेकिन अब मजबूत खिलाड़ी भी कंगाली की कगार पर हैं।प्रॉपर्टी डेवलपर्स के कर्ज अदा न करने की वजह से देश के 2.9 ट्रिलियन डॉलर के निवेश ट्रस्ट उद्योग भी इस संकट में आ गया। एक और बड़ी चिंता स्थानीय सरकार का कर्ज है। यह वह कर्ज है जो प्रॉपर्टी खरीद में गिरावट की वजह से काफी हद तक बढ़ गया है। प्रॉपर्टी की बिक्री न होने की वजह से भूमि पर मिलने वाला राजस्‍व कम होता गया। राजस्व में तेज गिरावट और महामारी के लॉकडाउन की लागत के प्रभाव के कारण बढ़ गया है।कम होती जनसंख्‍याचीन को कुछ दीर्घकालिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों में जनसंख्या संकट और प्रमुख प्रतिद्वंदियों जैसे अमेरिका और यूरोप के साथ तनावपूर्ण संबंध अहम हैं। सरकारी वेबसाइट जिएमईआईएन.कॉम की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश की कुल प्रजनन दर पिछले साल 1.30 से घटकर 1.09 हो गई है। इसका मतलब है कि चीन की प्रजनन दर अब जापान से भी कम है, जो लंबे समय से अपनी बढ़ती उम्र की आबादी के लिए जाना जाता है। इस साल की शुरुआत में, चीन ने आंकड़े जारी किए जो दिखाते हैं कि इसकी जनसंख्या पिछले साल पहली बार छह दशकों में घट गई है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीन में वृद्धों की की बढ़ती जनसंख्‍या इसके आर्थिक विकास की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करती है।’