पेरिस: पिछले दिनों फ्रांस के शिक्षा मंत्री गैब्रियल अताल ने सरकारी स्कूलों में अबाया पहनकर आने पर रोक लगा दी है। अबाया बैन के बाद कई जगहों पर इस फैसले का विरोध हो रहा है। अब देश के राष्ट्रपति इमैनुलए मैंक्रो ने साफ कर दिया है कि अबाया बैन पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। शुक्रवार को दक्षिणी फ्रांस के वैउक्लूस में एक प्राइवेट स्कूल का दौरा करने के बाद मीडिया से मुखातिब मैंक्रो ने इस फैसले पर यह बात कही है। फ्रांस के धिकारियों ने भी कहा है कि नए सत्र में स्कूलों में अबाया पहनने पर प्रतिबंध के फैसले का वह सख्ती से पालन करेंगे।प्रतिबंध को बताया इस्लामोफोबिकफ्रांस के शिक्षा मंत्री अताल के इस फैसले का कई विपक्षी सांसद विरोध कर रहे हैं। सांसद डेनियल ओबोनो ने तो इसे ‘नया इस्लामोफोबिक अभियान’ करार दे डाला है। अबाया पर बैन मुस्लिम धर्म से जुड़े कपड़ों पर लगे प्रतिबंधों की सीरीज में सबसे नया है। पॉलिटिको मैगजीन की मानें तो मैंक्रो ने स्कूलों में अबाया पर प्रतिबंध लगाकर दो पक्षों को साधने की कोशिश की है। एक तरफ तो उन्होंने दक्षिणपंथियों को बड़ा संदेश दिया है तो दूसरी तरफ फैसले से वामपंथियों को बांटने का काम किया है। अबाया कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला एक तरह का गाउन जैसा आउटफिट है। लेकिन यह बुर्के से काफी अलग है। इस पर लगा बैन फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के लिए सरकार की झिझक को खत्म करने वाला बताया जा रहा है।छात्रों पर होगा एक्शन!मैक्रॉन ने वैउक्लूस में पहली बार सार्वजनिक रूप से ड्रेस कोड पर बात की। उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि कई छात्र इस नियम को अपनी-अपनी तरह से परखेंगे और ऐसे कई मामले सामने आएंगे। कुछ छात्र ऐसे होंगे जो गणतंत्रीय प्रणाली को धता बताने की कोशिश करेंगे। ऐसे छात्रों को मैंक्रो ने साफ संदेश दिया कि उन्हें क्लास में दाखिनल नहीं होने दिया जाएगा। मैंक्रो ने कहा, ‘हम इस फैसले पर अडिग रहेंगे और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। वहीं, शिक्षा मंत्री का कहना है कि मीडिल और हायर स्कूलों में लड़कियों और लड़कों का अबाया पहनना ‘धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन’ है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता फ्रांस के लिए एक आधारभूत सिद्धांत है। वहीं, उन्होंने कुछ छात्रों पर आरोप लगाया कि वे पारंपरिक पोशाक का इस्तेमाल स्कूलों को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।साल 2004 में आया बड़ा कानूनफ्रांस के इस नए नियम की बड़े स्तर पर आलोचना हो रही है। आलोचकों का कहना है कि कि ढीले, शरीर को ढकने वाले कपड़े धर्म का अनावश्यक प्रदर्शन नहीं करते हैं और उन्हें कक्षाओं से प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए। साल 2004 के एक कानून के आधार पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। उस कानून का मकसद फ्रांस के सार्वजनिक स्कूलों में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना है। इस कानून के बाद हिजाब या स्कार्फ पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। यह कानून सिर्फ इस्लामिक कपड़ों पर ही लागू नहीं होता है बल्कि इसके तहत बड़े ईसाई क्रॉस, यहूदी किप्पा और सिखों की पगड़ी को भी लाया गया है। यह महीनों के हंगामे और संसदीय बहसों के बाद पास हो सका था। मुसलमानों ने दावा किया कि यह उन्हें कलंकित करने वाला कानून है। जबकि यूनिवर्सिटी के छात्रों को इससे बाहर रखा गया है।