बीजिंग: पिछले दिनों भारत की तरफ से चीन की इलेक्ट्रिक कार कंपनी बीवाईडी को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इस बात को करीब 20 दिन हो चुके हैं लेकिन चीन अभी तक इसके सदमे में है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में आए एक आर्टिकल में इस फैसले का हवाला देते हुए भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया है। ग्लोबल टाइम्स की मानें तो भारत ने जो कुछ किया है, उसके बाद उसे ही खराब नतीजे भुगतने होंगे। साथ ही इस फैसले की सबसे बड़ी पीड़ित भारतीय अर्थव्यवस्था ही होगी।ग्लोबल टाइम्स की हताशाग्लोबल टाइम्स के आर्टिकल में लिखा है कि भारत की मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है चीन की कार निर्माता कंपनी बीवाईडी को भारतीय कर जांच का सामना करना पड़ रहा है। मगर इस तरह की रिपोर्ट्स से कोई फर्क नहीं पड़ता है। अखबार की मानें तो हाल के कुछ सालों में भारत ने चीनी कंपनियों पर जो कार्रवाई की है, उसे देखते हुए, भारत के पॉलिसी मेकर्स को यह याद दिलाना जरूरी हो गया है कि बहुत ज्यादा टैक्स थोपना बहुत अच्छी बात नहीं है।ग्लोबल टाइम्स की मानें तो ज्यादा टैक्स निष्पक्षता का सही तरीका नहीं हैं। इसका अंतिम शिकार भारतीय अर्थव्यवस्था ही होगी। ग्लोबल टाइम्स ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि बीवाईडी पर भारत में आरोप लगा है कि उसने देश में असेंबल और बेची जाने वाली कारों के लिए आयातित हिस्सों पर बहुत कम टैक्स अदा किया है।भारत के टैक्स सिस्टम को बताया दोषीअखबार ने पूरी स्थिति के लिए भारत के टैक्स सिस्टम को ही दोषी ठहरा दिया है। उसका कहना है कि चीन की सरकार ने हमेशा चीनी इंडस्ट्रीज को विदेशों में ऑपरेशन की मंजूरी देते समय वहां के कानूनों और विनियमों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में भारत की तरफ से टैक्स चोरी का आरोप कई चीनी कंपनियों पर लगाकर उनकी जांच शुरू कर दी गई है। अखबार की मानें तो यह स्थिति भारत के जटिल टैक्स सिस्टम के बारे में बताती है। ग्लोबल टाइम्स की मानें तो भारत का टैक्स सिस्टम काफी मुश्किल है और उसके नियम उससे भी ज्यादा पेचीदा हैं।अमेरिकी कंपनियां निराशा की वजह!अखबार में एक जगह अमेरिकी कंपनियों को भारत में ऑपरेशन मिलने की मंजूरी की बात कही है। इससे पता लगा है कि चीन किस कदर भारत के फैसले से निराश है। अखबार ने लिखा है, ‘ भारत बड़े जोश के साथ एप्पल और टेस्ला के साथ कई और अमेरिकी कंपनियों को देश में निवेश करने की कोशिशें कर रहा है। लेकिन अगर किसी दिन भारत और इन कंपनियों के बीच हितों का टकराव होता है, तो क्या ये कंपनियां भारत के मुश्किल टैक्स सिस्टम का शिकार बनेंगी? अब ग्लोबल टाइम्स के इस आर्टिकल को विशेषज्ञों ने आड़े हाथों लिया है।