कीव: भारत की अध्यक्षता वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दुनिया भर के नेता पहुंचे हैं। सदस्य देशों के साथ-साथ गैर सदस्य देशों के नेताओं ने शिरकत की है। लेकिन रूस और चीन के राष्ट्रपति इसमें नहीं आ रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को फोन कर बताया था कि वह भारत नहीं आ सकते, क्योंकि युद्ध में फंसे हैं। लेकिन चीन की ओर से कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जी-20 में अपनाई जाने वाली विज्ञप्ति पर आम सहमति बनना मुश्किल होता जा रहा है। रविवार को शिखर सम्मेलन के अंत में इस पर सहमति बन पाएगी या नहीं, इस पर अभी भी अनिश्चितता है। लेकिन भारत सहमति के लिए हर पक्ष से बातचीत कर रहा है।अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने समझौते की भावना का आह्वान किया। लेकिन रूस की निंदा करने से जुड़ी बातों को शामिल करने का विरोध चीन कर रहा है। चीन ने अमेरिका और ब्रिटेन के उन आरोपों से इनकार किया है कि वह कई मुद्दों पर समझौते में देरी कर रहा है और कहा कि वह सकारात्मक परिणाम हासिल करने के लिए दूसरों के साथ सहयोग करेगा। रूस लगातार आरोप लगा रहा है कि पश्चिमी देश भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह यूक्रेन हमले की आलोचना वाली बात शिखर सम्मेलन की विज्ञप्ति में शामिल करे।जी-20 में नहीं बुलाए गए जेलेंस्कीइससे पहले भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा था, ‘हमारा नई दिल्ली घोषणापत्र लगभग तैयार है।’ उन्होंने कहा कि इस घोषणा पत्र पर अंतिम निर्णय नेताओं की ओर से लिया जाएगा। भारत के लिए आम सहमति बनाना बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो यह जी-20 के इतिहास में पहली बार होगा। पिछले साल इंडोनेशिया में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में जेलेंस्की ने अपना संबोधन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिया था। लेकिन इस बार उन्हें भारत ने नहीं बुलाया।यूक्रेन की बात करेंगे पश्चिमी देश?भारत की ओर से यूक्रेन को न बुलाए जाने पर कनाडा के प्रधानमंत्री ने निराशा जाहिर की थी। जस्टिन ट्रूडो ने जेलेंस्की के साथ बातचीत का एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘यूक्रेन को जी-20 में न बुलाए जाने से मैं निराश हूं। लेकिन हम आपकी बातों को जरूर रखेंगे।’ चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि पश्चिमी देश लगातार जी-20 को तोड़ने में लगे हैं। जी-20 एक आर्थिक मंच है और इसे भू-राजनैतिक मुद्दों का केंद्र बनाया जा रहा है। हालांकि इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है। क्रूड ऑयल और खाने-पीने की चीजों का दाम दुनिया भर में बढ़ा है।