G7 Summit In Japan : Japan To Host G7 Summit In Hiroshima Group Of Seven To Discuss On China Russia Ukraine War

टोक्यो : इस साल जापान ‘ग्रुप ऑफ सेवन’ यानी जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस सम्मेलन का खास फोकस दो देशों पर होगा जिन्हें हिरोशिमा से दूर रखा गया है, चीन और रूस। पश्चिमी जापानी शहर में शुक्रवार से तीन दिनों के लिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों के प्रमुख नेता मिलेंगे और अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि इन नेताओं उद्देश्य बीजिंग और मॉस्को की चुनौतियों के खिलाफ एकता प्रदर्शित करना है। इस सम्मेलन में जी-7 देश अपने आपसी मतभेदों को भी दूर करने पर जोर देंगे।कई अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि जी-7 के भीतर चीन को लेकर विभाजन प्रतीत हो रहा है। जी-7 के सदस्य अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और इटली चीन के साथ आर्थिक रूप से जुड़े हुए हैं। टोक्यो में नेशनल ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज (GRIPS) के प्रोफेसर नरुशिगे मिशिशिता ने कहा कि ‘जी-7 ग्रेट पावर कंपटीशन से कैसे निपटेगा?’, यह शिखर सम्मेलन का एक अहम मुद्दा होगा। मिशिशिता ने कहा, ‘उन्हें आर्थिक सुरक्षा और संवेदनशील तकनीकों से निपटने के तरीकों पर ध्यान देना होगा।’Ukraine War: रूस और चीन की बढ़ती नजदीकी से टेंशन में जापान, विदेश मंत्री की चेतावनी- अगर जवाब नहीं दिया तो…चीन में जिनपिंग से मिले मैक्रोंउन्होंने कहा, ‘सब कुछ ग्रेट पावर कंपटीशन का हिस्सा है जो अमेरिका-रूस और अमेरिका-चीन के बीच चल रहा है।’ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले महीने बीजिंग का दौरा किया था और यूरोपीय संघ से अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करने का आह्वान किया था। अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते दिनों न्यूज एजेंसी से कहा था कि ‘शिखर सम्मेलन नेताओं को चीन के सामने एकजुट दिखाएगा’। कई अन्य घोषणाएं भी होने की उम्मीद हैं। जर्मन सरकार के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि यूक्रेन, आर्थिक सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा पर भी चर्चा हो सकती है।’सुरक्षा संकट’ से निपटने पर भी होगी चर्चाफ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘मैं इसे एक ‘भू-राजनीतिक जी-7′ कहूंगा जो एक बड़े सुरक्षा संकट, यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रमण, से निपटेगा।’ अधिकारी ने कहा, ‘यह भू-राजनीतिक भी है क्योंकि चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है।’ सम्मेलन में ऑब्जर्वर के रूप में भारत और वियतनाम सहित कई अन्य देशों के नेता भी शामिल होंगे। वैश्विक मंच पर चीन की भूमिका का मुकाबला करने के लिए जी-7 ‘ग्लोबल साउथ’ के सदस्यों के करीब आना चाहता है।चीन में निवेश पर बंटा जी-7यह देखना अहम होगा कि चीन को लेकर समूह की भाषा कितनी ज्यादा स्पष्ट होगी। कुछ जी-7 सदस्य चीन में निवेश पर नियंत्रण को लेकर संशय में हैं। अप्रैल में जी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक में ‘वैश्विक चुनौतियों पर चीन के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता’ को स्वीकार किया गया था। अमेरिका मजबूत निवेश नियंत्रणों पर जोर देने में सबसे आगे है लेकिन जर्मनी अधिक सतर्क है। जापान भी निवेश नियंत्रण को लेकर संशय में है।मेजबानी के पीछे जापान का स्पष्ट संदेशनेताओं ने रूस पर प्रतिबंधों को कड़ा करने की भी योजना बनाई है जो मॉस्को के हमले को बढ़ावा देने वाले ऊर्जा और निर्यात को टारगेट करेंगे। लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले को खत्म करने की रणनीति में भी मतभेद हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस सम्मेलन से मेजबान जापान अंतरराष्ट्रीय नियमों के महत्व के बारे में एक स्पष्ट संदेश देना चाहता है क्योंकि टोक्यो को चिंता सता रही है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई ताइवान के खिलाफ चीन की कार्रवाई को बढ़ावा दे सकती है।