अर्जेंटीना के बराबर बर्फ पिघली45 साल पहले इस बर्फ का रिकॉर्ड रखना शुरू किया गया था। बर्फ साल के इस समय अपने सबसे निचले स्तर पर है। नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक बर्फ 2022 की तुलना में 16 लाख वर्ग किमी कम है। जुलाई के मध्य में अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ 1981 से 2010 के औसत से 26 लाख वर्ग किमी कम थी। यह बर्फ लगभग उत्तरी अमेरिकी देश अर्जेंटीना के क्षेत्रफल के बराबर है। इस घटना को कुछ वैज्ञानिकों ने असाधारण बताया है।सिस्टम बदल गयायह लाखों वर्षों में एक बार होने वाली घटना मानी जा रही है। लेकिन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के ग्लेशियोलॉजिस्ट टेड स्कैम्बोस का कहना है कि इसे आम शब्दों में नहीं समझाया जा सकता। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘खेल बदल चुका है। इसकी संभावनाओं के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि सिस्टम जिस तरह से हुआ करता था वैसा नहीं है। यह सीधा संकेत है कि पूरा सिस्टम ही बदल गया है।’ वैज्ञानिक पता लगाने में लगे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ।जलवायु संकट के कारण पिघल रही बर्फअंटार्कटिक एक बर्फीला महाद्वीप है। एक तरफ आर्कटिक महाद्वीप की बर्फ जलवायु संकट के कारण लगातार नीचे जा रही है। तो वहीं अंटार्कटिका की बर्फ पिछले कुछ दशकों में रिकॉर्ड ऊंचाई से रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गई है। इससे वैज्ञानिक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर यह ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है। लेकिन साल 2016 के बाद से वैज्ञानिक लगातार तेजी से गिरावट देख रहे हैं। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन बर्फ के पिघलने का प्रमुख कारण हो सकता है।45 साल में सबसे बड़ा बदलावटेड स्कैम्बोस ने कहा कि अंटार्कटिक सिस्टम हमेशा से बेहद ज्यादा परिवर्तनशील रहा है। हालांकि यह बदलाव इतना चरम है कि पिछले 45 वर्षों में सबसे बड़ा परिवर्तन दिखा है। स्कैम्बोस का कहना है कि समुद्री बर्फ के नुकसान में कई कारक योगदान देते हैं, जिसमें अंटार्कटिका के आसपास पश्चिमी हवाओं की ताकत भी शामिल है, जो ग्रह के ताप प्रदूषण में बढ़ोतरी करता है। अंटार्कटिका की बर्फ ग्रह के तापमान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।