तेल अवीवइजरायली वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने गुरुवार तड़के लेबनान के कई मिसाइल लॉन्च साइट को अपनी सटीक बमबारी से तबाह कर दिया। बुधवार को ही लेबनान की तरफ से इजरायल पर कई रॉकेट दागे गए थे। ये रॉकेट उत्तरी इजरायल के एक खुले क्षेत्र में आकर गिरे थे, जिसके कारण वहां आग लग गई थी। इसी के बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पहले तोप से गोले दागे और फिर बाद में लड़ाकू विमानों के जरिए लेबनान के अंदर घुसकर बमबारी की।हिजबुल्लाह की मदद से फिलिस्तीनी आतंकियों ने किया हमलामाना जा रहा है कि इस हमले के पीछे लेबनान में सक्रिय फिलिस्तीनी आतंकी गुटों का हाथ है। लेबनान के सबसे बड़े चरमपंथी संगठन हिजबुल्लाह ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है। दूसरी तरफ कुछ विषेषज्ञों का मानना है कि हिजबुल्ला ही इजरायल के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हालांकि, इसकी संभावना कम है कि लेबनान में सक्रिय फिलिस्तीनी समूह हिजबुल्ला की अनुमति के बिना काम कर सके।कौन है हिजबुल्लाह?हिजबुल्लाह लेबनान का कट्टर शिया आतंकी संगठन है। 1982 में इजरायल ने जब दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया था तब हिजबुल्लाह संगठन अस्तित्व में आया था। हालांकि, आधिकारिक रूप से हिजबुल्लाह की स्थापना 1985 में हुई थी। तब से लेकर अबतक हिजबुल्लाह के लड़ाके इजरायल पर हमले करते रहते हैं। इजरायल ने भी हिजबुल्लाह के खिलाफ कई ऑपरेशन चलाए हैं।इजरायल पर हमास के रॉकेट के बाद हिजबुल्लाह का ड्रोन हमला, एक साथ चार दुश्मनों से उलझा यह यहूदी राष्ट्रकैसे हुआ हिजबुल्लाह का जन्महिजबुल्लाह के जन्म की पटकथा इजरायल के स्थापना से भी पुरानी है। 1943 में लेबनान में शिया, सुन्नी और ईसाइयों के बीच राजनीतिक समझौता हुआ था। इसके अंतर्गत सुन्नी मुसलमानों को प्रधानमंत्री , वहीं ईसाइयों को राष्ट्रपति और शिया मुसलमानों को संसद स्पीकर का पद दिया गया। ऐसे में लेबनान का प्रधानमंत्री केवल सुन्नी मुसलमान ही बन सकता था। यह समझौता करीब 25 साल तक चला लेकिन फिलिस्तीन से सुन्नी मुसलमानों के आने के कारण लेबनान में धार्मिक समीकरण गड़बड़ाने लगे। यही कारण था कि शिया मुसलमानों को लेबनान की सत्ता से बेदखल होने का डर सताने लगा।सुन्नियों के खिलाफ एकजुट हुए थे लेबनान के शियाइस कारण 1975 में लेबनान में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच गृहयुद्ध शुरू हो गया। इस दौरान फिलीस्तीनी लड़ाके मौके का फायदा उठाकर दक्षिणी लेबनान से इजरायल पर हमले करने लगे। जिसके बाद 1978 में जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल ने लेबनान के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया। इस दौरान 1979 में शिया बहुल ईरान में सरकार बदली और उसने लेबनान में कमजोर पड़े शियाओं को हथियार देना शुरू कर दिया। 1982 में पहली बार अस्तित्व में आया हिजबुल्लाहजिसके बाद 1982 में पहली बार हिजबुल्लाह का नाम अस्तित्व में आया। हिजबुल्लाह का अर्थ अल्लाह की पार्टी से था। इसमें लेबनान के सताए हुए शिया लड़ाके भर्ती हुए और ईरान ने इन्हें इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। जल्द ही हिजबुल्लाह का नाम मध्यपूर्व में शियाओं के सबसे बड़े हथियारबंद संगठन के रूप में जाना जाने लगा। 1985 में हिजबुल्लाह ने घोषणापत्र जारी करते हुए लेबनान से पश्चिमी ताकतों को निकाल बाहर करने का ऐलान कर दिया। इसमें इजरायल की तबाही और ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता के प्रति सम्मान की बातें भी लिखी हुई थीं।