दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में शनिवार को सदियों पुराने धार्मिक समारोह यद्नया कसाडा का आयोजन किया गया। इस उत्सव में इंडोनेशिया में रहने वाले हिंदू आदिवासी टेंगर जनजाति के लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान ये आदिवासी देवताओं को मनाने के लिए पूर्वी जावा के प्रोबोलिंगगो में स्थित माउंट ब्रोमो ज्वालामुखी के क्रेटर में अनाज, सब्जियां, पशु-पक्षी और दूसरे खाने वाली चीजों को डालते हैं। हर साल बड़ी संख्या में टेंगर जनजाति के लोग इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए माउंट ब्रोमो पर इकट्ठा होते हैं। ये आदिवासी खुद को हिंदू मानते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इतना ही नहीं, ये लोग ज्वालामुखी के क्रेटर में डाले गए प्रसाद को बड़े-बड़े नेट के जरिए पकड़ने की कोशिश भी करते हैं। मान्यता है कि यहां स्थित गणेशजी की पूजन-अर्चन करने और ज्वालामुखी को फल और सब्जियां अर्पित करने से इसमें विस्फोट नहीं होता और वे लोग सुरक्षित रहते हैं। ब्रोमो ज्वालामुखी को सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यदि यह फूटता है, तो लोग मानते हैं कि उनके भगवान बहुत क्रोधित हैं।टेंगर जनजाति की कुल आबादी 1 लाख से भी ज्यादामाउंट ब्रोमो के आसपास बसे लगभग 30 गांवों में इस जनजाति के लगभग एक लाख लोग रहते हैं। ये लोग खुद को हिंदू मानते हैं। टेंगर जनजाति के लोग खुद को माजापहित राजकुमारों के वंशज होने का दावा करते हैं। माजापहित साम्राज्य इंडोनेशिया में शासन करने वाला अंतिम भारतीय राजवंश था। 13वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इंडोनेशिया के ईस्ट जावा में इस राजवंश का शासन था। इंडोनेशिया में इन्हें परंपरागत रूप से पौराणिक रोरो एंटेंग और जोको सेगर के वंशज माना जाता है। ये लोग जावा की सबसे पुरानी मजापहित बोली बोलते हैं। इस बोली को टेंगर जावानीज भी कहा जाता है। ये लोग आज भी अपना अधिकांश जीवन जंगलों, पशु-पक्षी और फलों-सब्जियों पर ही व्यतीत करते हैं।ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश जी की पूजा करते हैं ये लोगटेंगर जनजाति में हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की अधिक तादाद है। इसके अलावा ये बौद्ध और दूसरे स्थानीय धर्मों को भी मानते हैं। बाली के लोगों की तरह ये भी हिंदू और बौद्ध देवताओं के अलावा इडा सांग हयांग विडी वासा (सर्वशक्तिमान भगवान) की पूजा करते हैं। इनमें त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश और बुद्ध शामिल हैं। इस जनजाति के प्रमुख धार्मिक स्थलों में पुंडेन, पोटेन और डेनयांग शामिल हैं। पोटेन माउंट ब्रोमो के पास स्थित एक पवित्र क्षेत्र है। यहीं हर साल वार्षिक कसाडा समारोह का आयोजन किया जाता है। पोडेन में लोग अलग-अलग अस्थायी निवास भी बनाते हैं। जिसमें वे कुछ दिन रहकर पूजा पाठ और आराधना करते हैं। पूर्वजों की आत्माओं को शांत करने के लिए करते हैं पूजामाउंट ब्रोमो के जरिए ये अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं। इसमें गांवों की स्थापना करने वाली आत्माएं, गांवों की रक्षा करने वाली आत्माएं और इनके पूर्वजों की आत्माएं शामिल होती हैं। इन आत्माओं को प्रसन्न करने के लिए विशेष पुजारियों द्वारा अनुष्ठान किए जाते हैं। इन संस्कारों के दौरान आत्माओं का प्रतिनिधित्व करने वाली छोटी गुड़िया जैसी आकृतियों को कपड़े पहनाया जाता है और उन्हें खाने-पीने की चीजें भेंट की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि आत्माएं इन प्रसादों के सार का हिस्सा होती हैं। बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए ये लोग मांस का भोग लगाते हैं। आमतौर पर मांस और चावल को केले को पत्तियों में लपेटा जाता है और कब्रिस्तान, पुल, सड़क या चौराहों जैसी जगहों पर रखा जाता है।टेंगर जनजाति का इस्लाम में किया जा रहा धर्म परिवर्तनपिछले कुछ दशकों में टेंगर जनजाति के लोगों का शोषण बढ़ गया है। दूसरे धर्मों के लोगों की इनके इलाके में बढ़ती घुसपैठ से जनसांख्यिकी में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहा है। बाहरी लोग इस जनजाति प्राकृतिक भंडार जैसे जंगल और पानी का तेजी से उपभोग कर रहे हैं। इस कारण लदभग 10000 टेंगर जनजाति के लोगों का इस्लाम में धर्म परिवर्तन भी करवाया गया है। इस्लामिक मिशनरी गतिविधि के कारण यहां के टेंगर जनजाति के लोगों ने बाली के हिंदुओं से अपनी संस्कृति और धर्म को बचाने के लिए मदद भी ली है। इंडोनेशियाई सरकार ने टेंगर पहाड़ों को ब्रोमो-टेंगर-सेमेरु राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया और बाहरी लोगों के इन इलाकों में बसने पर रोक लगा दी है।