फ्लोरिडा: पूरी दुनिया अभी तक भारत के चंद्रयान-3 की सफलता की ही बातें कर रही हैं। 23 अगस्त को विक्रम लैंडर की लैंडिंग के साथ ही भारत चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। साथ ही दक्षिणी ध्रुव पर सफलता की कहानी लिखने वाला पहला देश बना। विशेषज्ञों ने याद दिलाया है कि अभी तक किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया है। उनका कहना है कि इस एतिहासिक मौके के भारत के लिए कई फायदे हैं और आने वाले दिनों में उसका कद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ने वाला है।एक अभूतपूर्व उपलब्धिअमेरिका स्थित थिंक टैंक वूड्रो विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर माइकल कुगलमनने फॉरेन पॉलिसी मैगजीन में लिखा है कि कहते हैं कि 14 जुलाई को दक्षिण भारत से लॉन्च किए गए चंद्रयान-3 की सफलता ने भारतीय जनता को मंत्रमुग्ध कर दिया है। यह अभी आने वाले कई दिनों तक सुर्खियों में रहने वाला है। उनकी मानें तो भारत के चंद्रमा पर उतरना उसकी शक्ति का भी प्रतीक है। एक महत्वाकांक्षी देश ने पृथ्वी से करीब 240,000 मील दूर एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है।पीएम मोदी को मिलेगा फायदाभारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम सन् 1960 के दशक में शुरू हुआ और तब से लेकर अब तक सैकड़ों सैटेलाइट्स लॉन्च हो चुके हैं। साल 2008 में, चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर गड्ढों की मौजूदगी की पुष्टि की। इन गड्ढों के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें बर्फ है। हालांकि साल 2019 में किया गया चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश पूरी तरह से असफल रही थी। माइकल का मानना है कि ग्लोबल मंच पर, लैंडिंग भारत के लिए आगमन को बताताी है। इसका सीधा फायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिलने वाला है।कई देश छूटे पीछेभले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य बनने और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने के भारत का लक्ष्य अभी अधूरा है। लेकिन अब यह केवल चीन, रूस और मेरिका के साथ चंद्रमा पर जाने वाले देशों के एक बहुत छोटे समूह का हिस्सा है। वह भी तब जब इजरायल, जापान, रूस और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में सफल नहीं हुए हैं। उनकी मानें तो प्रतीकात्मकता से अलग, यह उपलब्धि भारत और पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद है।तेज होगी अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धाभारत की चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पेस को लेकर हो रही रिसर्च में फायदा मिलेगा। भारत में हो रही स्पेस रिसर्च की वजह से भूमिगत जल स्तर की निगरानी करने और पृथ्वी पर मौसम के पैटर्न की भविष्यवाणी करने में भी मदद की है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील देशों में से एक में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग प्राइवेट स्पेस रिसर्च प्रोग्राम को शुरू करके भारत की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे सकती है। भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। अंतरिक्ष में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज होने के साथ, यह निश्चित रूप से पृथ्वी पर रहने वालों के चंद्रमा और उससे आगे के बारे में सोचने के तरीके को बदल सकती है।