नियामे: नाइजर में पिछले दिनों हुए तख्तापलट की आग अब पश्चिमी अफ्रीका के कई देशों तक फैलने लगी है। तख्तापलट के बाद बुर्किना फासो के शासक और राष्ट्रपति के तौर पर राज कर रहे 35 साल के जनरल इब्राहिम ट्रोरे ने साफ कर दिया है कि अफ्रीका के गुलामी के दिन खत्म हो गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने फ्रांस और अमेरिका को चुनौती दी है। ट्रोरे ने देश से अमेरिका और फ्रांस जाने वाले यूरेनियम और सोने के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है। ट्रोरे पिछले साल से ही खबरों में हैं जब उन्होंने देश में तख्तापलट को अंजाम देकर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। उन्होंने फ्रांस की सेनाओं को भी देश से निकाल दिया था।शुरू हुई आजादी की लड़ाईबुर्किना फासो के राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे ने घोषणा की कि पूरी आजादी के लिए लड़ाई अब शुरू हो गई है। राष्ट्रपति ने ट्रोरे ने कहा, ‘ अफ्रीका में पश्चिमी शासन की गुलामी का समय समाप्त हो गया है और पूर्ण स्वतंत्रता की लड़ाई अब शुरू हो गई है। अब या तो मातृभूमि या मृत्यु।’ ट्रोरे ने आगे कहा, ‘मेरी पीढ़ी को यह समझ ही नहीं आता है कि अफ्रीका, जिसके पास इतनी संपत्ति है, आज दुनिया का सबसे गरीब महाद्वीप कैसे बन सकता है? अफ्रीकी नेता भीख मांगने के लिए दुनिया भर की यात्रा क्यों करते हैं।’ ट्रोरे के बयान से लगता है कि बुर्किना फासो पश्चिमी देशों के खिलाफ अब नाइजर, गिनी, माली और अल्जीरिया के साथ मजबूत क्षेत्रीय गठबंधन बनाने की तैयारी में है।सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनीनाइजर में 26 जुलाई को तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश बुर्किना फासो और माली ने किसी भी सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है। एक संयुक्त बयान में बुर्किना फासो और माली ने नाइजर के लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। साथ ही उनके भाग्य और संप्रभुता पर नियंत्रण लेने के उनके फैसले को स्वीकार किया। उन्होंने आगाह किया है कि नाइजर में सैन्य हस्तक्षेप के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। ये ऐसे नतीजे होंगे जो पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकते हैं।अफ्रीकी नेताओं को बताया कठपुतलीबुर्किना फासो के राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे ने कहा, ‘हम अफ्रीकी नेताओं को कठपुतलियों की तरह व्यवहार करना बंद करना चाहिए।’ उन्होंने अफ्रीका के नेताओं के लिए कहा कि वो साम्राज्यवादियों की तरफ से हर बार खींचे जाते हैं और फिर नाचते रहते हैं। बुर्किना फासो और माली ने नाइजर के लोगों और अधिकारियों पर लगाए गए ‘अवैध और अमानवीय प्रतिबंधों’ को मानने से इनकार कर दिया है। नाइजर में तख्तापलट ने पूरे पश्चिम अफ्रीका में तनाव पैदा कर दिया है। नाइजर का तख्तापलट पश्चिम और मध्य अफ्रीका में तीन साल से भी कम समय में सातवां सैन्य अधिग्रहण है। स्थिति काफी तनावपूर्ण और अनिश्चित बनी हुई है।