इस्लामाबादपाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने देश के बड़बोले नेताओं को जमकर फटकार लगाई है। सेना ने तो नेताओं को राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर विभाजनकारी राजनीति से बचने की समझाइश भी दे डाली। उन्होंने आगाह किया कि रणनीतिक चुनौतियों और बाहरी संबंधों में बदलाव देश के लिए घातक हो सकता है। कुछ ही दिन पहले इमरान खान के बयान से अमेरिका काफी नाराज हुआ था। इतना ही नहीं, नेताओं की गंदी राजनीति के कारण ही पाकिस्तान का फ्रांस के साथ संबंध सबसे निचले स्तर पर है।राजनीति पर पाक सेना की नेताओं को दो टूकसेना और आईएसआई ने राजनीतिक नेतृत्व को बताया कि स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर आम सहमति बनाए रखना महत्वपूर्ण है। राजनीति को शासन और संबंधित राजनीतिक मामलों तक ही सीमित रखा जाना चाहिए। जिसे पाकिस्तानी राजनीतिक हलके में सेना की परोक्ष रूप से दी गई चेतावनी माना जा रहा है। पाकिस्तान के शीर्ष राजनीतिक स्तर पर की गई बयानबाजियों के कारण कूटनीतिक संबंधों पर बुरा असर पड़ा है।आईएसआई चीफ ने किया ब्रीफपाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएस) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर गठित संसदीय समिति को अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद बनती स्थिति, जम्मू-कश्मीर के घटनाक्रम, चीन और अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर ब्रीफिंग दी। इस बैठक में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी नेताओं को देश के हालात के बारे में जानकारी दी।किसी दूसरे देश की लड़ाई में नहीं शामिल होगा पाकइस बैठक में संसदीय समिति में शामिल दोनों सदनों में प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टियों के सदस्यों के अलावा प्रांतीय मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। सेना प्रमुख ने बैठक में शामिल नेताओं को बताया कि इमरान खान सरकार ने अन्य देशों के साथ समानता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया है कि पाकिस्तान किसी भी संघर्ष में दूसरे देश के साथ हिस्सा नहीं बनेगा। बता दें कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में सहायता दी थी। जिसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी।पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा रही बाहरी ताकतेंआर्मी चीफ जनरल बाजवा ने पाकिस्तान के भविष्य की रूपरेखा बताते हुए आने वाले दुर्दिनों को लेकर आगाह किया। उन्होंने कहा कि बाहरी ताकतों ने पहले ही पाकिस्तान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि 27 में से 26 कार्ययोजना लागू करने के बावजूद पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया है। इस्लामाबाद को अब अतिरिक्त रूप से FATF के एक क्षेत्रीय सहयोगी, एशिया पैसिफिक ग्रुप द्वारा दी गई छह-सूत्रीय कार्य योजना को लागू करने के लिए कहा गया है।पाकिस्तान के दुर्दिनों के बारे में किया आगाहइस बैठक में नेताओं को यह भी बताया गया कि बाहरी ताकतें देश में अपना प्रभाव बढ़ा रही हैं। बलूचिस्तान में आतंकवाद में वृद्धि और पिछले हफ्ते लाहौर में हुए हमले इसी का परिणाम है। आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा सकता है। इसके अलावा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) परियोजनाओं को लक्षित करने के प्रयास भी किए जा सकते हैं। आगे यह भी आशंका जताई गई कि पाकिस्तान से विदेशी निवेशकों को डराने की कोशिश हो सकती है।