कोलंबो: आर्थिक संकट के बीच ही पिछले दिनों श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने पहली बार भारत का दौरा किया। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके बीच ही उनका यह दौरा काफी महत्वपूर्ण करार दिया गया। आधिकारिक सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि विक्रमसिंघे की भारत यात्रा के दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा पर भारत और श्रीलंका के विचार एक जैसे ही नजर आए। सूत्रों की मानें तो विक्रमसिंघे ने श्रीलंका में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझा।भारत को दिलाया भरोसाश्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने हिंद महासागर के दोनों पड़ोसियों के बीच तेजी से कनेक्टिविटी बढ़ाने का वादा पीएम मोदी से किया है। बताया जा रहा है कि विक्रमसिंघे ने भारत को भरोसा दिलाया है कि श्रीलंका की जमीन का प्रयोग भारत के खिलाफ नहीं किया जाएगा। सुरक्षा पर दोनों देश एक जैसा ही सोच रहे हैं। बताया जा रहा है कि विक्रमसिंघे ने अपनी यात्रा के अंतिम दिन पर चीनी मौजूदगी के सवाल पर भी चर्चा की थी। भारत की तरफ से विक्रमसिंघे से साल 2014 में कोलंबो में चीन की पनडुब्बी यात्राओं और पिछले साल अगस्त में एक जासूसी जहाज की मौजूदगी पर वार्ता की गई।चीन को छोड़ भारत को यूं ही गले नहीं लगा रहा श्रीलंका, जानिए क्यों विक्रमसिंघे पीएम मोदी से आए थे मिलनेचीन के मिलिट्री अड्डे नहींविक्रमसिंघे ने जून में फ्रांस की यात्रा के दौरान श्रीलंका में चीनी सैन्य अड्डों के बारे में अटकलों को खारिज कर दिया था। उन्होंने चीन के इरादों को लेकर भारत की चिंताओं को भी समझा था। विक्रमसिंघे ने जून में फ्रांस24 टीवी नेटवर्क को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चीन के साथ श्रीलंका का कोई सैन्य समझौता नहीं है और कोई सैन्य समझौता होगा भी नहीं। विक्रमसिंघे ने कहा था, ‘हम एक तटस्थ देश हैं, लेकिन हम इस तथ्य पर भी जोर देते हैं कि हम श्रीलंका को भारत के खिलाफ किसी भी खतरे के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दे सकते।’क्या हुआ था पिछले सालचीन का जासूसी जहाज युआन वांग पिछजे साल पांच अगस्त को हंबनटोटा पहुचा था। चीन इसे एक रिसर्च शिप कहता है। श्रीलंका ने भारत की आपत्ति के बाद चीन से कहा था कि वह श्रीलंका के जलक्षेत्र में कोई भी साइंटिफिक रिसर्च नहीं कर सकता है। भारत को भरोसा दिलाने के लिए श्रीलंका की सरकार ने विक्रमसिंघे की यात्रा से दो दिन पहले 18 जुलाई को विदेशी रिसर्ज शिप और मिलिट्री जहाजों के लिए नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर का ऐलान किया था।