India is a rising force in Southeast Asia to counter China’s dominance चीन नहीं भारत! दक्षिण पूर्व एशिया में ड्रैगन होगा पीछे, भारत बनेगा महाशक्ति, जानें क्‍यों कह रहे विशेषज्ञ

बीजिंग: अगले कुछ सालों में दक्षिण पूर्व एशिया में चीन नहीं बल्कि भारत एक शक्ति होगा, यह मानना है उन विशेषज्ञों का जो क्षेत्र की राजनीति पर गहरी नजर रखते हैं। उनका कहना है कि भारत दक्षिण पूर्व एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठा रहा है। वह उन कदमों को आगे बढ़ा रहा है जो क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने में सक्षम बनाएंगे। उनकी मानें तो इस बात में किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि भारत निश्चित तौर पर दक्षिण पूर्व क्षेत्र के लिए महत्‍वाकांक्षी है। भारत और चीन के बीच साल 2020 से ही तनाव की स्थिति है।कई रणनीतिक कदम उठा रहा भारतभारत की राजधानी नई दिल्‍ली स्थित थिंक टैंक ऑब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में उपाध्‍यक्ष हर्ष वी पंत ने सीएनबीसी से बातचीत में कई अहम बातें कही हैं। उन्‍होंने कहा, ‘भारत निश्चित तौर से दक्षिण पूर्व एशिया में अधिक महत्वाकांक्षी होता जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है।’ उन्होंने कहा कि भारत इस क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को लेकर और ज्‍यादा सशक्त और मुखर हुआ है। चीन के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच ही इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने में भारत रणनीतिक तौर पर कई उपायों को आगे बढ़ा रहा है।चीन के साथ जारी टकरावपंत का कहना है कि लंबे समय से चीन हिमालय से लगी वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ जारी टकराव की आशंका की वजह से भारतीय नेतृत्‍व पूर्व में इस क्षेत्र में कोई भी कदम उठाने से पहले हिचकिचाता था। साल 2020 से ही भारत और चीन के बीच रिश्‍ते तनावपूर्ण बने हुए हैं। गलवान हिंसा ने इन रिश्‍तों में आग में घी का काम किया। पंत की मानें तो भारत यह मानता था कि उसे उन जगहों पर नहीं जाना जाना चाहिए जिसकी वजह से चीन मुश्किल में आए या फिर कोई संकट की स्थिति पैदा हो। उसे लगता था कि चीन में भारत को परेशान करने की पूरी क्षमता थी। मगर अब जो स्थिति है उसके बाद यह सोच बदल चुकी है।सीमा विवाद पर गंभीर नहीं चीनभारत यह बात समझ चुका है कि चीन सीमा विवाद को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। इसलिए अब वह दक्षिण पूर्व एशिया के लिए और ज्‍यादा अलर्ट है। सिंगापुर स्थित युसुफ इशाक इंस्टीट्यूट में ISEAS में आसियान स्‍टडी सेंटर से जुड़े जोआन लिन के मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिया में बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के जरिए चीन का बढ़ता प्रभाव भी भारत के रणनीतिक फैसले को प्रभावित करता है। लिन का कहना था कि ऐसे में भारत को सुरक्षा, खासतौर पर समुद्री सुरक्षा को दोगुना करना सबसे महत्वपूर्ण होगा। क्षेत्र के अधिकांश देश चीन के इस मेगा प्रोजेक्‍ट से जुड़े हैं।भारत के पास एकमात्र विकल्‍पइस पहल का मकसद पूरे एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व में सड़क, रेल और समुद्री नेटवर्क के जरिए चीन के प्रभाव को बढ़ाना है। पर्यवेक्षकों की मानें तो चीन की सख्त विदेश नीति के साथ ही बेल्ट एंड रोड की वजह से राजनीतिक और आर्थिक लाभ उठाने से क्षेत्र में चिंताएं बढ़ गई हैं। पंत की मानें तो जब तक चीन-भारत संबंध कुछ हद तक सामान्य नहीं होते तब तक भारत के पास चीन के करीब स्थित देशों चाहे वो छोटे हैं या बड़े, उन के साथ संबंधों को बढ़ाना होगा। इसके अलावा उसके पास कोई और विकल्‍प नहीं है। ऐसा करके ही उसे कुछ फायदा मिल सकता है।